मुजफ्फरपुर: जिले में बाढ़ के कारण भारी तबाही देखने को मिली है. इस साल फसल नष्ट होने के कारण उर्वरक की मांग में भी भारी कमी आई है. ऐसे में किसानों को आसानी से उर्वरक महुैया हो रहा है.
कोरोना के बाद बाढ़ की विभीषिका ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. उनकी माली हालात बहुत अच्छी नहीं है. किसानों ने इस बार रिकार्ड तोड़ 1 लाख 38 हजार एकड़ जमीन में धान की खेती की थी. लेकिन बाढ़ ने किसानों की उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फेर दिया है.
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बढ़ी किसानों की परेशानी
किसानों की मानें तो अब वे अपनी बची धान की फसल को उर्वरक के सहारे सहेजने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि 1 लाख 8 हजार हेक्टेयर से अधिक धान की फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गई है. जिसके कारण इस बार उर्वरक की खपत पर भी काफी कमी आ गई.
'बाढ़ नहीं आती तो होती अच्छी आमदनी'
बता दें कि यदि बाढ़ के हालात नहीं रहते तो मुजफ्फरपुर में भी उर्वरक का काफी संकट हो सकता था क्योंकि बाजार में इस बार लगी हुई धान के फसल के अनुपात में 44541 टन यूरिया की जरूरत बताई जा रही थी. जिसके मुकाबले इस बार जिले को महज 24 हजार टन यूरिया का आवंटन हुआ था. लिहाजा इस बार जिले में फिलहाल खाद की किल्लत नहीं दिख रही है. सभी प्रखंड मुख्यालयों में स्थित कृषि सेवा केंद्र में भी खाद का स्टॉक पर्याप्त नजर आ रहा है.