मुजफ्फरपुर: केंद्रीय कारागार से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित शहीद खुदीराम बोस की चिता स्थल पर भू-माफिया लगातार नजर बनाए हुए हैं. भू-माफिया इस ऐतिहासिक जगह पर कब्जा जमाना चाहते हैं. इसको लेकर खुदीराम बोस चिता स्थल बचाव संघर्ष समिति के बैनर तले संकल्प सभा का आयोजन किया गया. इसमें शामिल स्थानीय लोगों ने चिता स्थली की जमीन को बचाने का संकल्प लिया.
रविवार को शहर के चंदवारा सोडा गोदाम स्थित खुदीराम बोस चिता स्थल पर आयोजित संकल्प सभा में शामिल हुए स्थानीय लोगों ने भूमाफियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ने और चिता स्थली को बचाने का संकल्प लिया. लोगों ने चिता स्थल की भूमि को बचाने का प्रण लेते हुए प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. चिता स्थल बचाव संघर्ष समिति के संयोजक शशि रंजन शुक्ला ने बताया कि कई बार प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया गया है. बावजूद इसके, कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि यहां बेघर लोग कच्चे मकान बनाकर रह रहे हैं, जो इस स्थली की देखरेख भी करते हैं. उनका पक्का मकान बनवाया जाए. साथ ही चिता स्थल की जमीन की घेराबंदी की जाए.
महज 19 साल की उम्र में शहादत
आजादी का सपना देख चुके खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में शहीद हुए थे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी कदम उठाते हुए एक ऐसा धमाका किया था, जिससे अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी. बंगाल के मेदनीपुर से बिहार के मुजफ्फरपुर पहुंचे खुदीराम ने 30 अप्रैल 1908 में कंपनीबाग में ये धमाका किया था. खुदीराम का निशाना एक क्रूर अंग्रेज अधिकारी किंग्सफोर्ड था. लिहाजा, उन्होंने अधिकारी की बग्घी पर हमला कर दिया. जिसमें अधिकारी तो नहीं, उसकी पत्नी और और बेटे की मौत हो गई.
ऐतिहासिक है खुदीराम बोस चिता स्थली
धमाके के बाद खुदीराम बोस को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन्हें मुजफ्फरपुर कारागार में बंद रखा गया. वहीं, अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें 11 अगस्त 1908 को फांसी पर चढ़ा दिया. वैसे तो मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार में खुदीराम बोस से जुड़ी यादें संरक्षित हैं. लेकिन गंडक नदी के तट पर स्थित उनकी चिता स्थली सरकारी उदासीनता का शिकार है. लिहाजा, चिता स्थल की जमीन को भूमाफिया कब्जाने की फिराक में हैं.