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केदार गुप्ता होंगे कुढ़नी उपचुनाव में BJP के उम्मीदवार, केंद्रीय चुनाव समिति ने लगाई मुहर - बिहार में उपचुनाव

कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. इस सीट से बीजेपी के केदार गुप्ता चुनाव लड़ेंगे.

केदार गुप्ता
केदार गुप्ता
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Published : Nov 15, 2022, 12:14 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 2:03 PM IST

मुजफ्फरपुरः बिहार में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव (by elections In Bihar) होने वाला है. जिसे लेकर तमाम पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने में जुटी हैं. इस बीच बीजेपी ने भी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. कुढ़नी विधानसभा सीट से बीजेपी के केदार गुप्ता चुनाव लड़ेंगे. केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने पुराने कार्यकर्ता केदार गुप्‍ता (Kedar Gupta became BJP candidate) के नाम पर मुहर लगाई है. वे पहले भी भाजपा से विधायक रह चुके हैं. भाजपा के राष्‍ट्रीय मीडिया प्रभारी डा. संजय मयूख ने इसकी जानकारी दी है.

ये भी पढ़ें: JDU के खाते में कुढ़नी सीट, मनोज कुशवाहा होंगे महागठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी

फिर आमने-सामने होंगे केदार-मनोज: साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिल सहनी ने बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता को बेहद कम अंतर से मात दी थी. साल 2015 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था. केदार गुप्ता ने साल 2015 के चुनाव में जेडीयू के मनोज कुमार कुशवाहा को इस सीट से हराया था. इस बार इस सीट से जेडीयू ने मनोज कुशवाहा को एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू को जहां आरजेडी-कांग्रेस, हम और वाम दलों का साथ मिल रहा है, वहीं बीजेपी को आरएलजेपी और एलजेपीआर का समर्थन मिल रहा है. मुकेश सहनी भी यहां अपना उम्मीदवार उतारेंगे.

दोनों दलों के दावों की लिटमस टेस्टः गोपालगंज सीट जीतने के बाद भी कुढ़नी विधानसभा सीट को लेकर भाजपा पर दबाव है. बोचाहां उपचुनाव में हार के बाद भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. किसी भी सूरत में भाजपा कुढ़नी को जीतकर नीतीश फैक्टर को खारिज करना चाहेगी. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि उपचुनाव तो एक ही सीट पर है लेकिन अग्नि परीक्षा भाजपा और जदयू दोनों की है. गठबंधन का स्वरूप बदलने के बाद दोनों दलों के दावों की लिटमस टेस्ट होनी है. एक तरफ भाजपा यह साबित करने की कोशिश करेगी कि बिहार की राजनीति में नीतीश फैक्टर प्रासांगिक नहीं है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार चुनाव जीतकर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि भाजपा के साथ अलग होने का हमारा फैसला सही था.

क्यों हुई सीट खालीः दरअसल अनिल साहनी का टिकट घोटाले में नाम आया है जिसमें दोषी करार होने के बाद उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया. वहीं पर पांच दिसंबर को अब चुनाव हो रहा है और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. महागठबंधन की तरफ से कुढ़नी विधानसभा की सीट जदयू के खाते में गई है और जदयू ने यहां से पूर्व मंत्री और 10 साल तक विधायक रहे मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.

क्या है जातिगत समीकरणः कुढ़नी में कुल मिलाकर 3 लाख 10 हजार 987 से ज्यादा मतदाता हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति हैं. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या तकरीबन 33 हजार के आसपास है. इसके अलावा 25 हज़ार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर है. चौथे नम्बर पर करीब 23 हज़ार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग हैं. इसके अलावा कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में मौजूद हैं. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हज़ार के आसपास है. अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं.

मुजफ्फरपुरः बिहार में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव (by elections In Bihar) होने वाला है. जिसे लेकर तमाम पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने में जुटी हैं. इस बीच बीजेपी ने भी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. कुढ़नी विधानसभा सीट से बीजेपी के केदार गुप्ता चुनाव लड़ेंगे. केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने पुराने कार्यकर्ता केदार गुप्‍ता (Kedar Gupta became BJP candidate) के नाम पर मुहर लगाई है. वे पहले भी भाजपा से विधायक रह चुके हैं. भाजपा के राष्‍ट्रीय मीडिया प्रभारी डा. संजय मयूख ने इसकी जानकारी दी है.

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फिर आमने-सामने होंगे केदार-मनोज: साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के अनिल सहनी ने बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता को बेहद कम अंतर से मात दी थी. साल 2015 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था. केदार गुप्ता ने साल 2015 के चुनाव में जेडीयू के मनोज कुमार कुशवाहा को इस सीट से हराया था. इस बार इस सीट से जेडीयू ने मनोज कुशवाहा को एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू को जहां आरजेडी-कांग्रेस, हम और वाम दलों का साथ मिल रहा है, वहीं बीजेपी को आरएलजेपी और एलजेपीआर का समर्थन मिल रहा है. मुकेश सहनी भी यहां अपना उम्मीदवार उतारेंगे.

दोनों दलों के दावों की लिटमस टेस्टः गोपालगंज सीट जीतने के बाद भी कुढ़नी विधानसभा सीट को लेकर भाजपा पर दबाव है. बोचाहां उपचुनाव में हार के बाद भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. किसी भी सूरत में भाजपा कुढ़नी को जीतकर नीतीश फैक्टर को खारिज करना चाहेगी. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि उपचुनाव तो एक ही सीट पर है लेकिन अग्नि परीक्षा भाजपा और जदयू दोनों की है. गठबंधन का स्वरूप बदलने के बाद दोनों दलों के दावों की लिटमस टेस्ट होनी है. एक तरफ भाजपा यह साबित करने की कोशिश करेगी कि बिहार की राजनीति में नीतीश फैक्टर प्रासांगिक नहीं है तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार चुनाव जीतकर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि भाजपा के साथ अलग होने का हमारा फैसला सही था.

क्यों हुई सीट खालीः दरअसल अनिल साहनी का टिकट घोटाले में नाम आया है जिसमें दोषी करार होने के बाद उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया. वहीं पर पांच दिसंबर को अब चुनाव हो रहा है और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. महागठबंधन की तरफ से कुढ़नी विधानसभा की सीट जदयू के खाते में गई है और जदयू ने यहां से पूर्व मंत्री और 10 साल तक विधायक रहे मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.

क्या है जातिगत समीकरणः कुढ़नी में कुल मिलाकर 3 लाख 10 हजार 987 से ज्यादा मतदाता हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति हैं. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या तकरीबन 33 हजार के आसपास है. इसके अलावा 25 हज़ार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर है. चौथे नम्बर पर करीब 23 हज़ार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग हैं. इसके अलावा कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में मौजूद हैं. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हज़ार के आसपास है. अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं.

Last Updated : Nov 15, 2022, 2:03 PM IST
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