मुजफ्फरपुर: बाढ़ और बारिश से परेशान किसानों के लिए औषधीय पौधा खस की खेती वरदान साबित हो रही है. यही वजह है कि जिले में किसानों के बीच खस की खेती का क्रेज लगातार तेजी से बढ़ रहा है. वर्तमान में मुजफ्फरपुर के बाढ़ प्रभावित वानरा और बोचहा प्रखंड के 200 एकड़ से अधिक जमीन पर 70 से अधिक किसान इसकी खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं.
लाखों की आमदनी
खस की खेती से किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन लाख तक की हर वर्ष आमदनी हो रही है. खस की खेती की बात करें तो, इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी फसल लंबे समय तक बाढ़ के पानी में डूबने के बाद भी खराब नहीं होती. वहीं इस फसल को नीलगाय या कोई जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाते.
लगातार पांच वर्ष होती है खेती
एक बार खेत में खस लगाने के बाद लगातार पांच वर्ष इसकी खेती होती है, जिसके खेती में रासायनिक उर्वरक की जरूरत भी न के बराबर होती है. इन वजहों से अब किसान इस औषधीय पौधे की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यह एक बहुपयोगी फसल है. जिससे खस के पौधे की जड़ से सुगंधित तेल निकाला जाता है. जो बहुपयोगी है.
इत्र निर्माण में इस्तेमाल
खासकर इत्र निर्माण में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वहीं साबुन, सुगंधित प्रसाधन सामग्री निर्माण में भी इसका इस्तेमाल होता है. हरी घास पशुचारे में भी काम आती है. इन तमाम खसियत की वजह से यह फसल खराब माहौल में भी खूब फल-फूल रही है. वहीं खस के पौधे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में भी बेहद कारगर हैं.