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मुजफ्फरपुर: औषधीय पौधा खस की खेती से मालामाल हो रहे किसान, लाखों में हो रही आमदनी

मुजफ्फरपुर में औषधीय पौधा खस की खेती से किसान को काफी फायदा हो रहा है. किसानों का कहना है कि इस फसल को नीलगाय या कोई जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाते.

khas farming in muzaffarpur
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Published : Dec 30, 2020, 9:03 PM IST

मुजफ्फरपुर: बाढ़ और बारिश से परेशान किसानों के लिए औषधीय पौधा खस की खेती वरदान साबित हो रही है. यही वजह है कि जिले में किसानों के बीच खस की खेती का क्रेज लगातार तेजी से बढ़ रहा है. वर्तमान में मुजफ्फरपुर के बाढ़ प्रभावित वानरा और बोचहा प्रखंड के 200 एकड़ से अधिक जमीन पर 70 से अधिक किसान इसकी खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं.

लाखों की आमदनी
खस की खेती से किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन लाख तक की हर वर्ष आमदनी हो रही है. खस की खेती की बात करें तो, इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी फसल लंबे समय तक बाढ़ के पानी में डूबने के बाद भी खराब नहीं होती. वहीं इस फसल को नीलगाय या कोई जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाते.

देखें पूरी रिपोर्ट

लगातार पांच वर्ष होती है खेती
एक बार खेत में खस लगाने के बाद लगातार पांच वर्ष इसकी खेती होती है, जिसके खेती में रासायनिक उर्वरक की जरूरत भी न के बराबर होती है. इन वजहों से अब किसान इस औषधीय पौधे की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यह एक बहुपयोगी फसल है. जिससे खस के पौधे की जड़ से सुगंधित तेल निकाला जाता है. जो बहुपयोगी है.

khas farming in muzaffarpur
पांच वर्ष लगातार होती है खेती

इत्र निर्माण में इस्तेमाल
खासकर इत्र निर्माण में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वहीं साबुन, सुगंधित प्रसाधन सामग्री निर्माण में भी इसका इस्तेमाल होता है. हरी घास पशुचारे में भी काम आती है. इन तमाम खसियत की वजह से यह फसल खराब माहौल में भी खूब फल-फूल रही है. वहीं खस के पौधे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में भी बेहद कारगर हैं.

मुजफ्फरपुर: बाढ़ और बारिश से परेशान किसानों के लिए औषधीय पौधा खस की खेती वरदान साबित हो रही है. यही वजह है कि जिले में किसानों के बीच खस की खेती का क्रेज लगातार तेजी से बढ़ रहा है. वर्तमान में मुजफ्फरपुर के बाढ़ प्रभावित वानरा और बोचहा प्रखंड के 200 एकड़ से अधिक जमीन पर 70 से अधिक किसान इसकी खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं.

लाखों की आमदनी
खस की खेती से किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन लाख तक की हर वर्ष आमदनी हो रही है. खस की खेती की बात करें तो, इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी फसल लंबे समय तक बाढ़ के पानी में डूबने के बाद भी खराब नहीं होती. वहीं इस फसल को नीलगाय या कोई जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाते.

देखें पूरी रिपोर्ट

लगातार पांच वर्ष होती है खेती
एक बार खेत में खस लगाने के बाद लगातार पांच वर्ष इसकी खेती होती है, जिसके खेती में रासायनिक उर्वरक की जरूरत भी न के बराबर होती है. इन वजहों से अब किसान इस औषधीय पौधे की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यह एक बहुपयोगी फसल है. जिससे खस के पौधे की जड़ से सुगंधित तेल निकाला जाता है. जो बहुपयोगी है.

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पांच वर्ष लगातार होती है खेती

इत्र निर्माण में इस्तेमाल
खासकर इत्र निर्माण में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वहीं साबुन, सुगंधित प्रसाधन सामग्री निर्माण में भी इसका इस्तेमाल होता है. हरी घास पशुचारे में भी काम आती है. इन तमाम खसियत की वजह से यह फसल खराब माहौल में भी खूब फल-फूल रही है. वहीं खस के पौधे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में भी बेहद कारगर हैं.

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