मुजफ्फरपुर: चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की मदद करने पहुंचे, गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित डॉ. कफील ने ग्रामीण क्षेत्रों में सात दिनों के नि:शुल्क सेवा के बाद बच्चों की मौत की वजह सरकारी तंत्र की विफलता बताई है. उन्होंने कहा है कि अभी भी बिहार के कई अस्पतालों में व्यवस्थाओं की घोर कमी है.
डॉ. कफील ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बच्चों की मौत जागरूकता के अभाव और कुपोषण से हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले से इसकी तैयारी नहीं करती है. उनका कहना है कि चमकी बुखार के कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसके लक्षण यूपी के मस्तिष्क ज्वर जैसे ही हैं.
बिहार में अस्पतालों की हालत बदतर
डॉक्टर ने कहा कि बिहार के प्राथमिक अस्पतालों की हालत खस्ता है. उन्होंने कहा कि आईसीयू में बेड की संख्या बढ़ाकर 200 होनी चाहिए. डॉ. कफील ने कहा कि मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच में 120 एमबीबीएस डॉक्टरों की संख्या के बजाय 250 डॉक्टरों की जरुरत है.
लीची नहीं है 'चमकी' का कारण
डॉ. कफील ने कहा कि अंतर केवल इतना है कि यूपी में मस्तिष्क ज्वर का प्रकोप बारिश होने पर पाया गया, लेकिन बिहार में चमकी गर्मी की वजह से घातक होती है. उन्होंने बताया कि केवल लीची खाने से ही चमकी बीमारी नहीं हो रही है उसके और भी कारण हैं. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान बहुत से माता-पिता ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को लीची ही नहीं खिलाई.
कैम्प लगाकर मुफ्त इलाज
गौरतलब है कि डॉ. कफील ने प्रभावित गांवों में कैम्प लगा कर नि:शुल्क बच्चों की जांच की और चौपाल लगाकर जागरूकता अभियान चलाया. इस दौरान जगह-जगह कैम्प लगाकर बच्चों को दवाईयां बांटी और लोगों को इस बीमारी से बचाव के उपाय भी बताए.