मुजफ्फरपुर: हिन्दू रीति रिवाजों में स्थानीय देवता को परिवार का सबसे बड़ा सदस्य माना जाता है. ऐसे में फिर चाहे शादी का निमंत्रण का कार्ड हो या कोई और काम उसकी सबसे पहली शुरुआत इन देवताओं के मंदिरों से ही होती है. फगुआ और होली को लेकर भी यही परंपरा है. होली के दिन लोग सबसे पहले मंदिरों और शिवालयों में जाकर अपने इष्टदेव को रंग और अबीर चढ़ाते हैं, उसके बाद ही दूसरों के संंग होली खेलने निकलते हैं. मुजफ्फरपुर के बाबा गरीब नाथ मंदिर में ये परंपरा कई हजार सालों से निभाई जा रही है.
इसे भी पढ़ें: पूरे देश में कोरोना संकट के बीच मनाई जा रही होली
बाबा गरीब नाथ संग लोगों ने खेली होली
इस बार की होली में भी वैसा ही नजारा देखने को मिला. सुबह से ही लोग बाबा के संग होली खेलने के लिए मंदिर में पहुंचे हुए थे. बस एक ही आस थी की पहले बाबा को रंग चढ़ाएं फिर अपने घर के लोगों और दोस्तों के संग होली खेलें. होली के अवसर पर बाबा गरीब नाथ की विशेष भस्म और रंग-बिरंगे अबीर-गुलाल से महाश्रृंगार करने की परंपरा है. सुबह सुबह मंदिर पहुंचने वाले भक्तों में बाबा का ये रुप देखने की होड़ मची रहती है. आज भी भक्तों ने बाबा के इस रुप के दर्शन किए उसके बाद मंदिर प्रांगण में ढोलक, बाजा और झाल बजाते हुए फगुआ के कई पारंपरिक गीत गाए.
इस दौरान लोगों ने पारंपरिक गीत पनिया लाले लाल, ए गउरा हमरो के चाही.., बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में खेले होरी... समेत कई अन्य गीत गाकर बाबा गरीबनाथ के संग फगुआ का आनंद लिया. इस दौरान फगुआ गीतों से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान रहा. मंदिर के मुख्य पुजारी पं.विनय पाठक ने ईटीवी के संवाददाता से बात करते हुए कहा कि बाबा का भस्म और कई प्रकार के गुलाल से आज महाश्रृंगार किया गया है. साथ ही बाबा गरीबनाथ से कोरोना महामारी को खत्म कर लोगों के जीवन में खुशियों का रंग भरने की कामना की गई. उन्होंने कहा कि इस बार भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है, बाबा बाबा गरीबनाथ के साथ होली खेलने वाले श्रद्धालु पिछले बार की तरह ही अच्छी संख्या में आ रहे हैं.