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5 साल तक जिंदगी की जंग लड़कर हार गया जितेंद्र, शहीद को नम आंखों से दी गयी विदाई - आईईडी ब्लास्ट

5 साल पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर में चुनाव के दौरान हुए आईईडी ब्लास्ट में जितेंद्र जख्मी हुए थे. जिसके बाद से लगातार उनका इलाज चल रहा था. शनिवार को एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली.

अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब
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Published : Aug 12, 2019, 8:59 PM IST

मुजफ्फरपुर: शहीद सीआरपीएफ जवान जितेंद्र का पार्थिक शरीर रविवार देर रात पैतृक घर दुबहा पहुंचा. इस दौरान गांव में मातम पसरा रहा. सोमवार को लगभग पूरा गांव शहीद को विदाई देने के लिए उनके घर पहुंचा था. ग्रामीणों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी.

MUZAFFARPUR
पुलिस के वरीय अधिकारी रहे मौजूद

आईईडी ब्लास्ट में हुआ था जख्मी
दरअसल, 5 साल पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर में चुनाव के दौरान हुए आईईडी ब्लास्ट में जितेंद्र जख्मी हुए थे. जिसके बाद से लगातार उनका इलाज चल रहा था. शनिवार को एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

MUZAFFARPUR
तिरंगे में लिपटा घर पहुंचा जवान

दुबहा बुजुर्ग गांव का था निवासी
जितेंद्र कुमार मुजफ्फरपुर के सकरा स्थित दुबहा बुजुर्ग गांव का रहने वाले थे. पिछले 5 सालों से उनका इलाज एम्स के ट्रामा सेंटर में चल रहा था. रविवार को उनका पार्थिव शरीर मुजफ्फरपुर पहुंचा. स्टेट हैंगर में सीआरपीएफ के आईजी चारू सिन्हा, डीएम रवि कुमार, एसएसपी गरिमा मलिक, एएसपी ऑपरेशन अनिल सिंह, सीआरपीएफ के कमांडेंट अनिल बिष्ट ने शहीद जितेंद्र को गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

राजकीय सम्मान के साथ दी गई विदाई

9 साल पहले ज्वॉइन किया था सीआरपीएफ
साल 2011 में जितेंद्र ने सीआरपीएफ की नौकरी शुरू की थी. हादसे के दौरान वह छत्तीसगढ़ में बहाल थे. जवान बेटे की मौत से परिवार वाले गहरे सदमे में हैं. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.

MUZAFFARPUR
पैतृक गांव पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर

बता दें कि 7 दिन पहले ही जितेंद्र की दादी का निधन हो गया था. परिजन उनके श्राद्ध कर्म में व्यस्त थे कि तभी उन्होंने अपने जवान बेटे को भी खो दिया. सोमवार को जितेंद्र का अंतिम संस्कार किया गया.

मुजफ्फरपुर: शहीद सीआरपीएफ जवान जितेंद्र का पार्थिक शरीर रविवार देर रात पैतृक घर दुबहा पहुंचा. इस दौरान गांव में मातम पसरा रहा. सोमवार को लगभग पूरा गांव शहीद को विदाई देने के लिए उनके घर पहुंचा था. ग्रामीणों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी.

MUZAFFARPUR
पुलिस के वरीय अधिकारी रहे मौजूद

आईईडी ब्लास्ट में हुआ था जख्मी
दरअसल, 5 साल पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर में चुनाव के दौरान हुए आईईडी ब्लास्ट में जितेंद्र जख्मी हुए थे. जिसके बाद से लगातार उनका इलाज चल रहा था. शनिवार को एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

MUZAFFARPUR
तिरंगे में लिपटा घर पहुंचा जवान

दुबहा बुजुर्ग गांव का था निवासी
जितेंद्र कुमार मुजफ्फरपुर के सकरा स्थित दुबहा बुजुर्ग गांव का रहने वाले थे. पिछले 5 सालों से उनका इलाज एम्स के ट्रामा सेंटर में चल रहा था. रविवार को उनका पार्थिव शरीर मुजफ्फरपुर पहुंचा. स्टेट हैंगर में सीआरपीएफ के आईजी चारू सिन्हा, डीएम रवि कुमार, एसएसपी गरिमा मलिक, एएसपी ऑपरेशन अनिल सिंह, सीआरपीएफ के कमांडेंट अनिल बिष्ट ने शहीद जितेंद्र को गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

राजकीय सम्मान के साथ दी गई विदाई

9 साल पहले ज्वॉइन किया था सीआरपीएफ
साल 2011 में जितेंद्र ने सीआरपीएफ की नौकरी शुरू की थी. हादसे के दौरान वह छत्तीसगढ़ में बहाल थे. जवान बेटे की मौत से परिवार वाले गहरे सदमे में हैं. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.

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पैतृक गांव पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर

बता दें कि 7 दिन पहले ही जितेंद्र की दादी का निधन हो गया था. परिजन उनके श्राद्ध कर्म में व्यस्त थे कि तभी उन्होंने अपने जवान बेटे को भी खो दिया. सोमवार को जितेंद्र का अंतिम संस्कार किया गया.

Intro:मुजफ्फरपुर शहीद सीआरपीएफ जवान जितेंद्र का पार्थिक शरीर देर रात तक पैतृक घर दुबहा पहुंचा, जहां गाँव मे मातमी सन्नाटा घिरा था, शहीद के घर ग्रामीण नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ो लोग जुटे है।Body:5 साल पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर में चुनाव के दौरान आईडी ब्लास्ट में जख्मी हुए सीआरपीएफ के जवान जितेंद्र कुमार की शनिवार को एम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई मुजफ्फरपुर के सकरा के दुबहा बुजुर्ग गांव के रहने वाले जितेंद्र का इलाज एम्स के ट्रामा सेंटर में पिछले 5 साल से चल रहा था रविवार को उनका पार्थिव शरीर इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली से पटना एयरपोर्ट पहुंचने के बाद स्टेट हैंगर लाया गया स्टेट हैंगर में सीआरपीएफ के आईजी चारू सिन्हा डीएम रवि एसएसपी गरिमा मलिक एएसपी ऑपरेशन अनिल सिंह सीआरपीएफ के कमांडेंट अनिल बिष्ट ने शहीद जितेंद्र को गार्ड ऑफ ऑनर दिया रात में ही शव को उनके पैतृक गांव भेज दिया गयाConclusion:2011 में शुरू की थी नौकरी जितेंद्र दुबे बुजुर्ग गांव के रहने वाले राम शुभम शर्मा के बड़े बेटे थे 2011 में उन्होंने सीआरपीएफ में योगदान दिया था छत्तीसगढ़ में ही उनकी पोस्टिंग थी शुभम को जितेंद्र से एक छोटा बेटा सत्येंद्र कुमार है एक छोटी बेटी प्रियंका है घर का सारा खर्च जितेंद्र ही उठाते थे उनकी शादी नहीं हुई थी । 7 दिन पहले जवान की दादी का निधन हो गया था परिजन उनके श्राद्ध कर्म के क्रियाकलापों में व्यस्त थे जानकारी होने पर सकरा थाना अध्यक्ष राजेश कुमार वीडियो हुस्नारा सीओ पंकज कुमार शहीद के घर पहुंचे सीओ ने बताया कि सीआरपीएफ जवान के शव को राजकीय सम्मान के साथ सोमवार को अंतिम संस्कार किया गया
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