मुजफ्फरपुरः नेपाल और उत्तर बिहार (Nepal-North Bihar) में बारिश थम गई है. इलाके से बाढ़ का पानी निकलना शुरू हो गया है. लिहाजा बाढ़ प्रभावित लोगों (Flood Affected People) ने राहत की सांस की सांस तो ली है, लेकिन उनके सामने अब दूसरी समस्या आ गई है. कई दिनों तक जलमग्न (Water Logging) होने के कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसल और सब्जियां बर्बाद हो गईं हैं.
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बाढ़ प्रभावित इलाकों में चारों तरफ तबाही का ही मंजर नजर आ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने जिले के मीनापुर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित जामीन मठिया पंचायत का जायजा लिया. सैलाब के रहते तो लोग हलकान हुए ही थे, अब जब बाढ़ से हालात सामान्य हुए हैं, तब खेतों में बर्बाद फसल को देख किसान चिंतित हैं. मक्के की फसल को देख ऐसा लग रहा है इलाके में बाढ़ नहीं, भयंकर सुखाड़ आई हो.
"बाढ़ के बाद तो हालत खराब हो गया है. सब खत्म हो गया. मक्का, मूंग सब खत्म हो गया. अभी तक राहत भी नहीं मिला है. कोई सुध लेने वाला नहीं है."- रामानंद साहनी, बाढ़ पीड़ित किसान
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विगत दो सप्ताह से जिले में जारी बाढ़ से जिले के बड़े हिस्से में लगी फसल पानी में पूरी तरह डूबने से नष्ट हो गई. मक्के, मूंग, दलहन और सब्जियों की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं. खेतों में अब सिर्फ अवशेष ही नजर आ रहा है. बूढ़ी गण्डक और बागमती नदी के जलस्तर में तेजी से गिरावट दर्ज हो रहा है. निचले ग्रामीण इलाकों में भी बाढ़ का पानी कम होने लगा है.
किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि फसल लगाने में उनकी जमापूंजी भी खत्म हो गई है. जिस फसल से आमदनी की उम्मीदें थी, उसका मूलधन भी वापस लौट नहीं पाया. ऊपर से सरकार की नीतियां सवाल पैदा करती है. किसानों की फसल नुकसान का अभी तक आकलन नहीं होने से भी किसान चिंता में हैं. क्योंकि आगे रोजी-रोटी और घर परिवार चलाने के लिए उन्हें सरकारी अनुदान का ही सहारा है.
बता दें उत्तर बिहार के कई जिलों सहित नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य की अधिकांश नदियां उफान पर थीं. प्रदेश के दर्जनों जिलों में बाढ़ का कहर था. लाखों लोगों लोग रोज जिंदगी की जद्दोजहद कर रहे थे. अब जब बारिश कम होने लगी है, नदियों का जलस्तर घटने लगा है, गांवों-शहरों से पानी निकलने लगा है तो लोगों के सामने एक नई समस्या उत्पन्न हो गई है.
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