मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर विजलेंस कोर्ट में नगर निगम के अफसर, स्मार्ट सिटी के डायरेक्टर, ट्रैफिक पुलिस के उपाधीक्षक और एसडीओ पर परिवाद दायर किया गया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में गुहार लगाया है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से नगर क्षेत्र की ट्रैफिक व्यवस्था सुधर नहीं रही है. निगम क्षेत्र में हमेशा ट्रैफिक जाम रहता है. इसके लिए 50 रुपए का शुल्क भी लिया जाता है जिसकी बंदरबांट इन्ही अधिकारियों के बीच होती है.
कागज़ों पर अतिक्रमण के खिलाफ अफसरों पर परिवाद : याचिकाकर्ता ने अपनी दायर याचिका में कहा है कि इस अव्यवस्था के चलते स्कूली बच्चे, शहरवासी और गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज परेशान हैं. इसको देखते हुए अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया भी चली, 22 नवंबर को विभिन्न सड़कों से अतिक्रमण हटाने का काम भी शुरू किया गया. फिर 23 नवंबर को मीडिया में एक खबर छापी गई जिसमें लिखा था कि स्टेशन रोड, मोती झील, कल्याणी चौक, हरी सभा चौक, देवी मंदिर रोड, अघोरिया बाजार मिठनपुरा के इन इलाके में अतिक्रमण हटाए जाने का जिक्र किया गया था. लेकिन आज भी सभी जगहों पर वैसा ही अतिक्रमण है.
निगम के आलाधिकारी समेत कई अफसरों पर परिवाद : याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सिर्फ कागजों पर ही अतिक्रमण करके वसूली कर ली गई. इस उगाही में यह सभी पदाधिकारी की संलिप्तता रहती हैं.इससे परेशान होकर अब परिवादी के द्वारा माननीय निगरानी न्यायालय के समक्ष परिवाद दर्ज कराया गया. माननीय न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार करते हुए सुनवाई की अगली तिथि 5 दिसंबर 2023 को निर्धारित की गई है.
''सभी के द्वारा निगम क्षेत्र के विभिन्न सड़कों पर दुकान लगाने वाले सैकड़ों दुकानदारों से ₹50 प्रति दुकान लिया जाता है. इतनी राजस्व की राशि वसूली जाती और सभी पैसा इन अधिकारियों के मिली भगत से सरकार के घर में ना जाकर बंदरबाट हो जाता है. सभी अभियुक्त पदाधिकारी के भ्रष्ट आचरण एवं पद के दुरुपयोग के कारण मुख्य सड़क पर भ्रष्ट तरीके से धनोपाजर्न के लिए ऐसा किया जाता है.''- परिवादी
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