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लोजपा में टूट का मामला पहुंचा कोर्टः पशुपति कुमार पारस पर धोखाधड़ी का परिवाद दर्ज

लोजपा पर कब्जे की लड़ाई कोर्ट पहुंच चुकी है. मुजफ्फरपुर में सांसद पशुपति कुमार पारस समेत पांच लोजपा नेताओं पर पार्टी के साथ धोखाधड़ी करने का परिवाद दर्ज हुआ है. पढ़ें रिपोर्ट.

कोर्ट में परिवाद दर्ज
कोर्ट में परिवाद दर्ज
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Published : Jun 16, 2021, 3:45 PM IST

मुजफ्फरपुर: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पर कब्जे को लेकर चल रही लड़ाई अब अदालत भी पहुंच गई है. इसको लेकर मुजफ्फरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और चिराग पासवान (Chirag Paswan) के समर्थक कुंदन कुमार ने जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (chief judicial magistrate) की कोर्ट में परिवाद दर्ज किया है. यह परिवाद लोजपा नेता सह हाजीपुर सांसद पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) और समस्तीपुर सांसद प्रिंस राज के खिलाफ नामजद किया गया है. इनके साथ अन्य चार-पांच अज्ञात लोजपा नेताओं पर भी कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया है.

यह भी पढ़ें- लोजपा में फूट, 'चिराग' तले अंधेरा

सोची-समझी साजिश के तहत लिया पूरा कमान
परिवाद दर्ज करनेवाले कुंदन कुमार ने आरोप लगाया है कि इन सभी अभियुक्तों के द्वारा एकमत होकर नाजायज तरीके से धोखाधड़ी और विश्वासघात का सहारा लेकर एक सोची समझी साजिश के तहत चिराग पासवान से लोक जनशक्ति पार्टी का पूरी कमान अपने हाथ में लिया गया है. जबकि चिराग द्वारा बखूबी अपने दायित्व का निर्वहन किया जा रहा था. इन सभी अभियुक्तों के द्वारा पार्टी के अन्य सांसदों को दिग्भ्रमित कर वास्तविक तथ्यों को छुपाते हुए पार्टी के खिलाफ बगावत कर अन्य नेताओं को भी बगावत करने के लिए उकसाने का भी आरोप लगाया गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप
कुंदन कुमार ने अदालत से इन सभी अभियुक्तगण के विरुद्ध धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाते हुए इन सभी के खिलाफ भादवि (IPC) की धारा 420, 406/34 के तहत कोर्ट में परिवार दर्ज कराया गया है. माननीय न्यायालय ने इस परिवाद को मंजूर करते हुए अगली सुनवाई 21 जून निर्धारित की है. ऐसे लोजपा पर कब्जे की लड़ाई अब बेहद दिलचस्प होने के साथ अब अदालत तक पहुंच गई है.

13 जून देर शाम में पांच सांसदों ने छोड़ा लोजपा का दामन
लोजपा के पांचों सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है. खबर है कि 13 जून रविवार को देर शाम तक चली लोजपा सांसदों की बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगी. इसके बाद पांचों सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) को आधिकारिक मांग पत्र भी सौंप दिया.

यह भी पढ़ें- चिराग की वो एक भूल जिसने 'बंगले' में कर दिया अंधेरा...!

पारस को सांसदों ने क्यों चुना?
पारस लोजपा सांसदों में सबसे वरिष्ठ हैं. वे रामविलास पासवान के छोटे भाई भी हैं. 5 सांसदों के निर्णय के बाद लोजपा में बड़े घमासान की आशंका है. पहले ही लोजपा के कई नेता जदयू में शामिल हो चुके हैं. बताया जा रहा है कि चिराग की ओर से मनाने का दौर भी जारी है. पार्टी में इस टूट के बाद लोजपा और कमजोर हो जाएगी. पशुपति पारस के साथ बड़ी संख्या में नेता और समर्थक भी लोजपा का दामन छोड़ सकते हैं.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं पशुपति पारस
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा तेज है. बताया जा रहा है कि पारस केन्द्र में मंत्री बन सकते हैं. 2019 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने दोबारा कमान संभाली तब एक फार्मूला बना कि सहयोगी दलों को मंत्रिपरिषद में एक-एक सीट दी जाएगी. तब 16 सांसदों वाली जदयू मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं हुई. उसकी कम से कम दो सीटों की मांग थी. 6 सांसदों वाली लोजपा से रामविलास पासवान मंत्री बने. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामविलास पासवान का निधन हो गया था.

यह भी पढ़ें- दलों को तोड़ने में लालू अव्वल तो नीतीश पुरोधा, 1990 से हो रहा 'खेला'

कौन हैं बागी सांसद

पशुपति कुमार पारस : पशुपति कुमार पारस अलौली से पांच बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने जेएनपी उम्मीदवार के रूप में 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. तब से वे एलकेडी, जेपी और एलजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया. पशुपति पारस 2019 में हाजीपुर से सांसद चुने गए. इसके अलावा, वह लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

प्रिंस राज : समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. वह बिहार एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. 25 साल की उम्र में प्रिंस ने वर्ष 2015 में समस्तीपुर के रोसड़ा विधानसभा चुनाव लड़ा. हालांकि तब उन्हें चुनाव में शिकस्त मिली. प्रिंस राज अपने पिता रामचंद्र पासवान के साथ लगातार राजनीति में सक्रिय रहे. पिता रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उपचुनाव में प्रिंस राज समस्तीपुर में एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और शानदार जीत हासिल की.

महबूब अली कैसर : चौधरी महबूब अली कैसर ने कांग्रेस से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह बिहार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय चौधरी सलाहुद्दीन के पुत्र हैं. उन्होंने बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया है. 2014 के आम चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए. फिलहाल खगड़िया से सांसद हैं.

वीणा देवी : वीणा देवी वैशाली से सांसद हैं. वह बिहार विधानसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं. 2019 आम चुनाव में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर वैशाली से चुनाव लड़ा और आरजेडी के दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर लोक सभा पहुंची.

चंदन सिंह : चंदन सिंह नवादा से सांसद है. इनकी सबसे बड़ी पहचान ये है कि ये सूरजभान सिंह के भाई हैं. सूरजभान सिंह एलजेपी नेता व पूर्व सांसद हैं.

यह भी पढ़ें- LJP में बड़ी टूट! पार्टी के पांच सांसदों ने छोड़ा चिराग पासवान का साथ

मुजफ्फरपुर: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पर कब्जे को लेकर चल रही लड़ाई अब अदालत भी पहुंच गई है. इसको लेकर मुजफ्फरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और चिराग पासवान (Chirag Paswan) के समर्थक कुंदन कुमार ने जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (chief judicial magistrate) की कोर्ट में परिवाद दर्ज किया है. यह परिवाद लोजपा नेता सह हाजीपुर सांसद पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) और समस्तीपुर सांसद प्रिंस राज के खिलाफ नामजद किया गया है. इनके साथ अन्य चार-पांच अज्ञात लोजपा नेताओं पर भी कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया है.

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सोची-समझी साजिश के तहत लिया पूरा कमान
परिवाद दर्ज करनेवाले कुंदन कुमार ने आरोप लगाया है कि इन सभी अभियुक्तों के द्वारा एकमत होकर नाजायज तरीके से धोखाधड़ी और विश्वासघात का सहारा लेकर एक सोची समझी साजिश के तहत चिराग पासवान से लोक जनशक्ति पार्टी का पूरी कमान अपने हाथ में लिया गया है. जबकि चिराग द्वारा बखूबी अपने दायित्व का निर्वहन किया जा रहा था. इन सभी अभियुक्तों के द्वारा पार्टी के अन्य सांसदों को दिग्भ्रमित कर वास्तविक तथ्यों को छुपाते हुए पार्टी के खिलाफ बगावत कर अन्य नेताओं को भी बगावत करने के लिए उकसाने का भी आरोप लगाया गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप
कुंदन कुमार ने अदालत से इन सभी अभियुक्तगण के विरुद्ध धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाते हुए इन सभी के खिलाफ भादवि (IPC) की धारा 420, 406/34 के तहत कोर्ट में परिवार दर्ज कराया गया है. माननीय न्यायालय ने इस परिवाद को मंजूर करते हुए अगली सुनवाई 21 जून निर्धारित की है. ऐसे लोजपा पर कब्जे की लड़ाई अब बेहद दिलचस्प होने के साथ अब अदालत तक पहुंच गई है.

13 जून देर शाम में पांच सांसदों ने छोड़ा लोजपा का दामन
लोजपा के पांचों सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है. खबर है कि 13 जून रविवार को देर शाम तक चली लोजपा सांसदों की बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगी. इसके बाद पांचों सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) को आधिकारिक मांग पत्र भी सौंप दिया.

यह भी पढ़ें- चिराग की वो एक भूल जिसने 'बंगले' में कर दिया अंधेरा...!

पारस को सांसदों ने क्यों चुना?
पारस लोजपा सांसदों में सबसे वरिष्ठ हैं. वे रामविलास पासवान के छोटे भाई भी हैं. 5 सांसदों के निर्णय के बाद लोजपा में बड़े घमासान की आशंका है. पहले ही लोजपा के कई नेता जदयू में शामिल हो चुके हैं. बताया जा रहा है कि चिराग की ओर से मनाने का दौर भी जारी है. पार्टी में इस टूट के बाद लोजपा और कमजोर हो जाएगी. पशुपति पारस के साथ बड़ी संख्या में नेता और समर्थक भी लोजपा का दामन छोड़ सकते हैं.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं पशुपति पारस
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा तेज है. बताया जा रहा है कि पारस केन्द्र में मंत्री बन सकते हैं. 2019 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने दोबारा कमान संभाली तब एक फार्मूला बना कि सहयोगी दलों को मंत्रिपरिषद में एक-एक सीट दी जाएगी. तब 16 सांसदों वाली जदयू मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं हुई. उसकी कम से कम दो सीटों की मांग थी. 6 सांसदों वाली लोजपा से रामविलास पासवान मंत्री बने. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामविलास पासवान का निधन हो गया था.

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कौन हैं बागी सांसद

पशुपति कुमार पारस : पशुपति कुमार पारस अलौली से पांच बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने जेएनपी उम्मीदवार के रूप में 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. तब से वे एलकेडी, जेपी और एलजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया. पशुपति पारस 2019 में हाजीपुर से सांसद चुने गए. इसके अलावा, वह लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

प्रिंस राज : समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. वह बिहार एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. 25 साल की उम्र में प्रिंस ने वर्ष 2015 में समस्तीपुर के रोसड़ा विधानसभा चुनाव लड़ा. हालांकि तब उन्हें चुनाव में शिकस्त मिली. प्रिंस राज अपने पिता रामचंद्र पासवान के साथ लगातार राजनीति में सक्रिय रहे. पिता रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उपचुनाव में प्रिंस राज समस्तीपुर में एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और शानदार जीत हासिल की.

महबूब अली कैसर : चौधरी महबूब अली कैसर ने कांग्रेस से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह बिहार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय चौधरी सलाहुद्दीन के पुत्र हैं. उन्होंने बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया है. 2014 के आम चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए. फिलहाल खगड़िया से सांसद हैं.

वीणा देवी : वीणा देवी वैशाली से सांसद हैं. वह बिहार विधानसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं. 2019 आम चुनाव में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर वैशाली से चुनाव लड़ा और आरजेडी के दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर लोक सभा पहुंची.

चंदन सिंह : चंदन सिंह नवादा से सांसद है. इनकी सबसे बड़ी पहचान ये है कि ये सूरजभान सिंह के भाई हैं. सूरजभान सिंह एलजेपी नेता व पूर्व सांसद हैं.

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