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Muzaffarpur News : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर परिवाद दायर, 16 सितंबर को होगी सुनवाई, जानें क्या है मामला

मुजफ्फरपुर में सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है. परिवादी ने बिहार में अचानक शराबबंदी लागू कर देने से जहरीली शराब पीकर लोगों के मरने को लेकर परिवाद दायर किया है. इस पर अगली सुनवाई 16 सितंबर को की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

सीएम नीतीश कुमार पर परिवाद
सीएम नीतीश कुमार पर परिवाद
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 8, 2023, 5:38 PM IST

परिवादी का बयान

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में सीएम नीतीश कुमार पर परिवाद दायर किया है. इसके अलावा उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजयाल सहित राज्य भर के सभी उत्पाद अधीक्षकों के खिलाफ भी सीजेएम शिकायत दर्ज कराई है. दरअसल, अधिवक्ता सुशील सिंह ने RTI के तहत जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा मांगा था. इसके जवाब में बताया गया कि अबतक 243 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई है. ऐसे में अधिवक्ता ने शराबबंदी कानून को सही ढंग से लागू नहीं करने और इस बारे में जागरूगता नहीं फैलाने को कारण बताया.

ये भी पढ़ें : Bihar News: शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब से मरने वाले 38 लोगों के आश्रितों को मिलेगा 4-4 लाख मुआवजा

जहरीली शराब से मौत के कारण दायर किया परिवाद : अधिकवक्ता ने बिना जागरूकता के शराबबंदी लागू करने की वजह से 243 लोगों की मौत का जिम्मेवार सीएम नीतीश को बनाया है. अधिवक्ता ने इस बाबत CJM कोर्ट में सीएम और अन्य अधिकारियों के खिलाफ 243 लोगों के गैर इरादतन हत्या के आरोप में IPC की धारा 304,120 (बी), 34 के तहत परिवाद दायर कराया है. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अब इसको लेकर अगली सुनवाई 16 सितंबर को की जाएगी.

"बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजयाल और मुजफ्फरपुर के उत्पाद आयुक्त संजय राय सहित सभी जिले के उत्पाद अधीक्षकों के खिलाफ गैर इरातन हत्या के तहत सीजेएम मुजफ्फरपुर के यहां परिवाद दायर किया है. शराबबंदी लागू करने से पहले सरकार को नशामुक्ति के लिए जागरूकता अभियान चलाना था. लोगों को शराब के विरुद्ध जागरूक करते. लेकिन नीतीश कुमार ने पहले लोगों को अल्कोहलिक बनाया और फिर अचानक शराबबंदी लागू कर दी. ऐसे में उन पर बुरा असर पड़ने लगा". - सुशील सिंह, अधिवक्ता सह परिवादी

शराबबंदी पूरी तरह फेल : अधिवक्ता सुशील सिंह ने कहा कि 2016 में जो शराबबंदी लागू की गई है, वह पूरी तरह से फेल है. शराबबंदी के बावजूद यहां तरह-तरह के ब्रांड की शराब और जहरीली दारू की बिक्री जारी है. इस वजह से हमने बिहार सरकार से एक आरटीआई मांगी थी. इसमें बताया गया कि सरकारी आंकड़ों में 243 लोगों की जहरीली शराब से मृत्यु हुई है. लेकिन हकीकत यह है कि हजारों लोगों की मौत हुई है.

सिर्फ गरीबों पर कार्रवाई : अधिवक्ता ने कहा कि वहीं बिहार में जो भी लोग पकड़े जा रहे हैं, वे गरीब तबके के हैं. वहीं जितने बड़े लोग चाहे विधायक और मंत्री ही क्यों न हो, उनतक पुलिस पहुंच नहीं पा रही है. शराब पीने के आरोप में सबसे ज्यादा गरीबों पर ही कार्रवाई की गई है. वहीं 2016 से पहले नीतीश कुमार ने हर गली में शराब की दुकान खुलवा दी और दुकानों को कोटा फिक्स कर दिया कि इतनी शराब बेचनी ही है. नीतीश कुमार ने पहले तो लोगों को शराब का आदी बनया और इसके बाद अचानक से शराबबंदी लागू कर दी.

परिवादी का बयान

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में सीएम नीतीश कुमार पर परिवाद दायर किया है. इसके अलावा उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजयाल सहित राज्य भर के सभी उत्पाद अधीक्षकों के खिलाफ भी सीजेएम शिकायत दर्ज कराई है. दरअसल, अधिवक्ता सुशील सिंह ने RTI के तहत जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा मांगा था. इसके जवाब में बताया गया कि अबतक 243 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई है. ऐसे में अधिवक्ता ने शराबबंदी कानून को सही ढंग से लागू नहीं करने और इस बारे में जागरूगता नहीं फैलाने को कारण बताया.

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जहरीली शराब से मौत के कारण दायर किया परिवाद : अधिकवक्ता ने बिना जागरूकता के शराबबंदी लागू करने की वजह से 243 लोगों की मौत का जिम्मेवार सीएम नीतीश को बनाया है. अधिवक्ता ने इस बाबत CJM कोर्ट में सीएम और अन्य अधिकारियों के खिलाफ 243 लोगों के गैर इरादतन हत्या के आरोप में IPC की धारा 304,120 (बी), 34 के तहत परिवाद दायर कराया है. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अब इसको लेकर अगली सुनवाई 16 सितंबर को की जाएगी.

"बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजयाल और मुजफ्फरपुर के उत्पाद आयुक्त संजय राय सहित सभी जिले के उत्पाद अधीक्षकों के खिलाफ गैर इरातन हत्या के तहत सीजेएम मुजफ्फरपुर के यहां परिवाद दायर किया है. शराबबंदी लागू करने से पहले सरकार को नशामुक्ति के लिए जागरूकता अभियान चलाना था. लोगों को शराब के विरुद्ध जागरूक करते. लेकिन नीतीश कुमार ने पहले लोगों को अल्कोहलिक बनाया और फिर अचानक शराबबंदी लागू कर दी. ऐसे में उन पर बुरा असर पड़ने लगा". - सुशील सिंह, अधिवक्ता सह परिवादी

शराबबंदी पूरी तरह फेल : अधिवक्ता सुशील सिंह ने कहा कि 2016 में जो शराबबंदी लागू की गई है, वह पूरी तरह से फेल है. शराबबंदी के बावजूद यहां तरह-तरह के ब्रांड की शराब और जहरीली दारू की बिक्री जारी है. इस वजह से हमने बिहार सरकार से एक आरटीआई मांगी थी. इसमें बताया गया कि सरकारी आंकड़ों में 243 लोगों की जहरीली शराब से मृत्यु हुई है. लेकिन हकीकत यह है कि हजारों लोगों की मौत हुई है.

सिर्फ गरीबों पर कार्रवाई : अधिवक्ता ने कहा कि वहीं बिहार में जो भी लोग पकड़े जा रहे हैं, वे गरीब तबके के हैं. वहीं जितने बड़े लोग चाहे विधायक और मंत्री ही क्यों न हो, उनतक पुलिस पहुंच नहीं पा रही है. शराब पीने के आरोप में सबसे ज्यादा गरीबों पर ही कार्रवाई की गई है. वहीं 2016 से पहले नीतीश कुमार ने हर गली में शराब की दुकान खुलवा दी और दुकानों को कोटा फिक्स कर दिया कि इतनी शराब बेचनी ही है. नीतीश कुमार ने पहले तो लोगों को शराब का आदी बनया और इसके बाद अचानक से शराबबंदी लागू कर दी.

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