मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सीनियर फोटो पत्रकार वीरेंद्र विश्वकर्मा (Senior Photo Journalist Virendra Vishwakarma) के इकलौते पुत्र पियूष विश्वकर्मा की मौत हो गई है. बता दें कि पियूष विश्वकर्मा कोविड पॉजिटिव पाए गए थे. जिसके बाद पियूष को इलाज के लिए पटना के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान 7 मई को उनका निधन हो गया. बता दें कि पियूष विश्वकर्मा केनरा बैंक के जुन्नर शाखा में पीओ (Bank PO) के पद पर कार्यरत थे.
परिजनों ने किडनी निकालने का लगाया आरोप
परिवादी मीता विश्वकर्मा के अनुसार आईसीयू में रखने से पहले तक उनका पुत्र ठीक-ठाक हालत में था. पारस अस्पताल ले जाने के बाद पियूष को नींद का इंजेक्शन लगाया गया. परिवादी ने बताया कि जब वे लोग पुत्र पियूष का शव लेने गए तो देखा कि पेशाब की थैली में लाल रक्त का थक्का (Blood Clot) जमा हुआ था. जिससे उन्हें यह विश्वास हो गया कि उनके पुत्र का किडनी पारस अस्पताल के माध्यम से निकाल लिया गया है. जिसके बाद पियूष को जान से मार दिया गया है.
जिलाधिकारी के माध्यम से नहीं की गई कोई कार्रवाई
बता दें कि इस पूरे मामले की सूचना वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र विश्वकर्मा ने जिलाधिकारी पटना को तत्काल दी. लेकिन किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद उन्होंने मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा (Human Rights Advocate SK Jha) के माध्यम से बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग पटना के समक्ष एक याचिका दायर किया. जिसके आलोक में बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग पटना ने जिलाधिकारी पटना से 10 दिनों के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है.
अतिगंभीर श्रेणी का मामला
इस मामले के सम्बन्ध में परिवादी के अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि यह मामला मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है. क्योंकि मृतक के पेशाब की थैली में लाल रक्त का थक्का का पाया जाना काफी संदेह उत्पन्न करता है. मामले के सम्बन्ध में बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेकर जिलाधिकारी पटना से 10 दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट की मांग की है. आयोग ने सुनवाई की अगली तिथि 14 जुलाई को तय की है.
जानिए मानवाधिकार अधिवक्ता ने क्या कहा
'मामला यह है कि वरिष्ठ फोटो पत्रकार वीरेंद्र विश्वकर्मा के पुत्र पियूष विश्वकर्मा को कोविड-19 के इलाज के लिए पटना के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के अभाव में 7 मई 2021 को निधन हो गया. परिजन जब पियूष विश्वकर्मा का शव लेने पहुंचे तो, देखा कि पेशाब के थैली में खून का थक्का जमा हुआ था. इलाज के लिए सात लाख से अधिक रुपये पारस अस्पताल ने लिया है. जिसके बाद परिजनों ने जिलाधिकारी को सूचना दी गई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. जसके बाद परिजनों को लगा कि पारस अस्पताल में पियूष की किडनी निकालकर हत्या कर दी गई है. जिसके लिए परिजनों ने मानवाधिकार के समस्त के अर्जी दाखिल किया है.' -एसके झा, अधिवक्ता, मानवाधिकार