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मुजफ्फरपुर: भारत पेट्रोलियम के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का हड़ताल

मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड की पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है. मौके पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया है.

मुजफ्फरपुर
निजीकरण के विरोध में कर्मचारियो का हड़ताल
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Published : Nov 28, 2019, 10:54 PM IST

मुजफ्फरपुर: भारत पेट्रोलियम के निजीकरण के विरोध में पेट्रोलियम कर्मचारियों ने हड़ताल कर दिया है. जिले के सदर थाना क्षेत्र के शेरपुर के भारत पेट्रोलियम के कर्मचारियों ने एक दिवसीय हड़ताल कर भारत सरकार का जमकर विरोध किया. वहीं, मौके पर पेट्रोलियम कर्मचारी संघ के इश्तिखार अली ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोलियम का निजीकरण करना बिल्कुल गलत है.

संसद से मंजूरी की आवश्यकता नहीं
बता दें कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड की पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है. वहीं, मौके पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया है. जिसके कारण अब कंपनी को बेचने से पहले संसद से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है.

निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का हड़ताल

कंपनियों का किया गया था राष्ट्रीयकरण
आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2003 में निर्णय दिया था कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद की ओर से कानून के संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है. साथ ही संसद में पहले कानून पारित कर दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

मुजफ्फरपुर: भारत पेट्रोलियम के निजीकरण के विरोध में पेट्रोलियम कर्मचारियों ने हड़ताल कर दिया है. जिले के सदर थाना क्षेत्र के शेरपुर के भारत पेट्रोलियम के कर्मचारियों ने एक दिवसीय हड़ताल कर भारत सरकार का जमकर विरोध किया. वहीं, मौके पर पेट्रोलियम कर्मचारी संघ के इश्तिखार अली ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोलियम का निजीकरण करना बिल्कुल गलत है.

संसद से मंजूरी की आवश्यकता नहीं
बता दें कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड की पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है. वहीं, मौके पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया है. जिसके कारण अब कंपनी को बेचने से पहले संसद से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है.

निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का हड़ताल

कंपनियों का किया गया था राष्ट्रीयकरण
आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2003 में निर्णय दिया था कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद की ओर से कानून के संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है. साथ ही संसद में पहले कानून पारित कर दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

Intro:भारत पेट्रोलियम के निजीकरण के विरोध में मुज़फ़्फ़रपुर में सभी कर्मी हड़ताल पर चले गए.डिपो में सभी कार्य ठप पड़े हुए है.टैंकर की लंबी कतार लगी हुई है.Body:केंद्रीय सरकार के द्वारा भारत पेट्रोलियम के निजीकरण के विरोध में पेट्रोलियम कर्मचारियों ने हड़ताल कर दिया है.ज़िले के सदर थाना क्षेत्र के शेरपुर स्थित भारत पेट्रोलियम में कर्मचारियों ने पूरी तरह काम काज ठप कर दिया है.पेट्रोलियम कर्मी कर्मचारी संघ के इश्तिखार अली ने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा पेट्रोलियम का निजीकरण करना पूर्णतः गलत है.भारत पेट्रोलियम मुनाफे में चल रही है.इसके बावजूद सरकार निजी हाथों में इसे सौप रही है.जिसका कर्मचारी संघ एक दिवसीय हड़ताल कर विरोध कर रहे है.

बता दे कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड में अपनी पूरे हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है.इस हिस्सेदारी को बेचने के बाद यह कंपनी पूरी तरह से निजी हाथों में चली जाएगी. हाल ही में खबर सामने आई है कि सरकार ने चुपके से कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया है.जिसके कारण अब कंपनी को बेचने से पहले संसद से मंजूरी लेने की आवश्यक्ता नहीं है.
आपको बता दें कि पहले खबर आ रही थी कि बीपीसीएल का निजीकरण करने के लिए सरकार को संसद की मंजूरी लेनी होगी.निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है.इसमें 1976 कानून भी शामिल है.जिसके जरिए पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था. बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है. वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है. इसके अलावा बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपय के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी.चार अक्टूबर को बाजार बंद होने के समय बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 1.11 लाख करोड़ रुपये था. बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचकर सरकार को 60,000 करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं.इसमें नियंत्रण तथा ईंधन बाजार प्रवेश प्रीमियम भी शामिल है.
Byte जुल्फे अली प्रदर्शनकारी ,भारत पेट्रोलियम Conclusion:उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है.संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.अधिकारियों ने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है.क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है.वही इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है.
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