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SKMCH में मरीजों के बेड के ऊपर झूलते हैं बिजली के तार, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

उत्तर बिहार के बड़े अस्पतालों में एक SKMCH में बिजली के ज्यादातर तार जर्जर हो चुके हैं. यहां अक्सर शॉर्ट सर्किट की समस्या होती है. जिससे मरीज डरे रहते हैं.

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Published : Aug 20, 2019, 12:48 PM IST

बिजली के बोर्ड

मुजफ्फरपुरः अपने जीवन की रक्षा के लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज यहां की बदइंतजामी से खतरे में हैं. पिछले दिनों दिल्ली के एम्स में लगी भीषण आग की घटना के बाद भी बिहार के स्वस्थ्य विभाग ने इससे कोई सबक नहीं लिया. मुजफ्फरपुर के भी सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में लगातार शॉर्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं. इसके बाद भी वार्डों में मरीजों के सिर पर झूलते जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जा रहा है.

एसकेएमसीएच में बिजली की खराब व्यवस्था से मरीज परेशान
अक्सर होती है शॉर्ट सर्किट की समस्या
महिला वार्ड और सामान्य वार्ड में कई बेड के ऊपर खुले तार लटकते आसानी से देखे जा सकते हैं. हालांकि, इसको मुख्य स्वीच से कनेक्ट नहीं किया गया है. यहां अक्सर शॉर्ट सर्किट की समस्या होती है. महिला वार्ड के ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे के ऊपर बिजली वायरिंग जली हुई है. इसके जरिए ही बिजली आपूर्ति हो रही है. प्रसव वार्ड के दरवाजे के ऊपर भी यही हाल है. यहां चार माह पहले शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी. सामान्य ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे की दीवार के बगल में नाले से बिजली का तार सटा हुआ है. जो खतरनाक है.
electric wire
जर्जर बिजली के तार

महिला वार्ड में भी बिजली की हालत बदतर
जब हमारे संवाददाता सदर अस्पताल के महिला वार्ड की ऊपरी मंजिल पर पहुंचे तो वहां वार्ड में बिजली आपूर्ति नहीं थी. लोड नहीं लेने के कारण पंखे नहीं चल रहे थे. अस्पताल कर्मियों की मानें तो जुलाई में बारिश से सदर अस्पताल के सभी वार्डों की वायरिंग में पानी घुस गया था. इस कारण खराबी आ गई है. इलाज करा रही सशक्ति देवी और एक अन्य मरीज के परिजन पंकज कुमार सिंह ने बताया कि बिजली आ ही नहीं रही है. इस कारण पंखे नहीं चल रहे हैं. पूछने पर अस्पताल कर्मी कहते हैं कि तार ठीक नहीं है.

electric bord
खुले बिजली के बोर्ड

बिजली के बोर्ड से निकलती है चिंगारी
मरीज के परिजनों ने बताया कि बोर्ड में अगर मोबाइल चार्ज करने या कूलर चलाने के लिए प्लग लगाया जाता है तो चिंगारी निकलती है. यही हाल अन्य वार्डों का भी है. इसी तरह की स्थिति ईएनटी जाने के लिए सीढ़ी के पास की भी है. यहां वायरिंग देखने से ही वर्षों पुराना लगता है. अस्पताल कर्मियों ने बताया कि इमरजेंसी से लेकर अन्य वार्डों में लगी कई महंगी मशीनों पर भी खतरा है. इलाज के लिए मशीनें चालू की जाती हैं तो बोर्ड में प्लग को दबाकर लगाना पड़ता है.

'ध्यान नहीं देता बिजली विभाग'
एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने बताया कि कई बार बिजली वायरिंग को लेकर विभाग को सूचना दी जा चुकी है. इसके बाद भी इसको सही करने की कोई पहल नहीं हो रही है. मरीजों की सुरक्षा का हवाला देकर भी कई पत्र बिजली विभाग को लिखे जा चुके हैं. लेकिन विभाग काम ही नहीं कर रहा है, तो क्या किया जा सकता है.

मुजफ्फरपुरः अपने जीवन की रक्षा के लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज यहां की बदइंतजामी से खतरे में हैं. पिछले दिनों दिल्ली के एम्स में लगी भीषण आग की घटना के बाद भी बिहार के स्वस्थ्य विभाग ने इससे कोई सबक नहीं लिया. मुजफ्फरपुर के भी सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में लगातार शॉर्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं. इसके बाद भी वार्डों में मरीजों के सिर पर झूलते जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जा रहा है.

एसकेएमसीएच में बिजली की खराब व्यवस्था से मरीज परेशान
अक्सर होती है शॉर्ट सर्किट की समस्या
महिला वार्ड और सामान्य वार्ड में कई बेड के ऊपर खुले तार लटकते आसानी से देखे जा सकते हैं. हालांकि, इसको मुख्य स्वीच से कनेक्ट नहीं किया गया है. यहां अक्सर शॉर्ट सर्किट की समस्या होती है. महिला वार्ड के ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे के ऊपर बिजली वायरिंग जली हुई है. इसके जरिए ही बिजली आपूर्ति हो रही है. प्रसव वार्ड के दरवाजे के ऊपर भी यही हाल है. यहां चार माह पहले शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी. सामान्य ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे की दीवार के बगल में नाले से बिजली का तार सटा हुआ है. जो खतरनाक है.
electric wire
जर्जर बिजली के तार

महिला वार्ड में भी बिजली की हालत बदतर
जब हमारे संवाददाता सदर अस्पताल के महिला वार्ड की ऊपरी मंजिल पर पहुंचे तो वहां वार्ड में बिजली आपूर्ति नहीं थी. लोड नहीं लेने के कारण पंखे नहीं चल रहे थे. अस्पताल कर्मियों की मानें तो जुलाई में बारिश से सदर अस्पताल के सभी वार्डों की वायरिंग में पानी घुस गया था. इस कारण खराबी आ गई है. इलाज करा रही सशक्ति देवी और एक अन्य मरीज के परिजन पंकज कुमार सिंह ने बताया कि बिजली आ ही नहीं रही है. इस कारण पंखे नहीं चल रहे हैं. पूछने पर अस्पताल कर्मी कहते हैं कि तार ठीक नहीं है.

electric bord
खुले बिजली के बोर्ड

बिजली के बोर्ड से निकलती है चिंगारी
मरीज के परिजनों ने बताया कि बोर्ड में अगर मोबाइल चार्ज करने या कूलर चलाने के लिए प्लग लगाया जाता है तो चिंगारी निकलती है. यही हाल अन्य वार्डों का भी है. इसी तरह की स्थिति ईएनटी जाने के लिए सीढ़ी के पास की भी है. यहां वायरिंग देखने से ही वर्षों पुराना लगता है. अस्पताल कर्मियों ने बताया कि इमरजेंसी से लेकर अन्य वार्डों में लगी कई महंगी मशीनों पर भी खतरा है. इलाज के लिए मशीनें चालू की जाती हैं तो बोर्ड में प्लग को दबाकर लगाना पड़ता है.

'ध्यान नहीं देता बिजली विभाग'
एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने बताया कि कई बार बिजली वायरिंग को लेकर विभाग को सूचना दी जा चुकी है. इसके बाद भी इसको सही करने की कोई पहल नहीं हो रही है. मरीजों की सुरक्षा का हवाला देकर भी कई पत्र बिजली विभाग को लिखे जा चुके हैं. लेकिन विभाग काम ही नहीं कर रहा है, तो क्या किया जा सकता है.

Intro:दिल्ली के एम्स में लगी भीषण आग की घटना से बिहार के स्वस्थ्य विभाग सबक नही लिया है , मुजफ्फरपुर के भी सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच में लगातार शॉर्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं। इसके बाद भी वार्डों में मरीजों के सिर पर झूलते जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जा रहा है।
एसकेएमसीएच में पीआईसीयू व ऑपरेशन थियेटर को छोड़कर लगभग सभी 16 वार्डों में बिजली वायरिंग सही नहीं है। इस तरह की स्थिति सदर अस्पताल की है। सदर अस्पताल का हाल यह है कि सामान्य ऑपरेशन थियेटर में तार झूल रही है। सबसे खराब स्थिति महिला वार्ड की है। जर्जर वायरिंग से भविष्य में कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।Body:जिले के सदर अस्पताल के महिला वार्ड की ऊपरी मंजिल के वार्ड में बिजली आपूर्ति नहीं थी। लोड नहीं लेने के कारण पंखे नहीं चल रहे थे। अस्पताल कर्मियों की मानें तो जुलाई में बारिश से सदर अस्पताल के सभी वार्डों की वायरिंग में पानी घुस गया था। इस कारण खराबी आ गई है। इलाज करा रही सशक्ति देवी व एक अन्य मरीज के परिजन पंकज कुमार सिंह ने बताया कि बिजली आ ही नहीं रही है। इस कारण पंखे नहीं चल रहे हैं। पूछने पर अस्पताल कर्मी कहते हैं कि तार ठीक नहीं है। इसी तरह महिला वार्ड व सामान्य वार्ड में कई बेड के ऊपर खुले तार लटकते रहते हैं। हालांकि, इसको मुख्य स्वीच से कनेक्ट नहीं किया गया है। इसी तरह शहरी टीकाकरण कक्ष में जर्जर तार हैं। अक्सर यहां शॉर्ट सर्किट की समस्या होती है। महिला वार्ड के ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे के ऊपर बिजली वायरिंग जली हुई है। इसके जरिए ही बिजली आपूर्ति हो रही है। प्रसव वार्ड के दरवाजे के ऊपर भी यही हाल है। यहां चार माह पूर्व शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी। आईसीयू की वायरिंग ठीक है, लेकिन इसके सामने दवा स्टोर के दरवाजे की दीवार के पास मेन स्वीच के तार लटक रहे हैं। सामान्य ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे की दीवार के बगल में नाले से बिजली का तार सटा हुआ है। अधीक्षक प्रकोष्ठ से सटे ओपीडी कक्षों व प्रसव वार्ड में कई तार लटकते मिले। यहां हर रोज 12 सौ मरीज और उनके परिजन आते हैं। इस तरह मेडिसीन वार्ड के गलियारे व अंदर दोनों वार्ड में ज्यादातर वायरिंग खराब हो चुकी है। बोर्ड में यदि मोबाइल चार्ज करने या कूलर चलाने के लिए प्लग लगाया जाता है तो चिंगारी निकलती है। यह हाल अन्य वार्डों का है। सर्जरी वार्ड में अपने परिजन का इलाज करा रही बोचहां की समा देवी ने बताया कि यहां जो बोर्ड है, वह काम नहीं करता है। रात में भतीजा ने जब मोबाइल चार्ज के लिए बोर्ड में लगाया तो छोटी चिंगारी निकली। इस तरह की स्थिति ईएनटी जाने के लिए सीढ़ी के पास की है। यहां वायरिंग देखने से ही लगता है कि वर्षों पुराना है। वर्न वार्ड में भी इस तरह की बदइंतजामी है। अस्पताल कर्मियों ने कहा कि इमरजेंसी से लेकर अन्य वार्डों में लगी कई महंगी मशीनों पर खतरा है। इलाज के लिए मशीनें चालू की जाती हैं तो बोर्ड में प्लग को दबाकर लगाना पड़ता है। कई बार बिजली वायरिंग को लेकर विभाग को सूचना दी जा चुकी है। इसके बाद भी पहल नहीं हो रही है। मरीजों की सुरक्षा का हवाला देकर भी कई पत्र बिजली विभाग को लिखे जा चुके है। काम नहीं हो रहा है तो इसमें क्या किया जा सकता है।
डॉ.एसके शाही, अधीक्षक, एसकेएमसीएचConclusion:अपने जीवन की रक्षा के लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज यहां की बदइंतजामी से खतरे पड़े रहते हैं। मुज़फ्फरपुर के भी सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच में लगातार शॉर्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं। इसके बाद भी वार्डों में मरीजों के सिर पर झूलते जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जा रहा है। एसकेएमसीएच में पीआईसीयू व ऑपरेशन थियेटर को छोड़कर लगभग सभी 16 वार्डों में बिजली वायरिंग सही नहीं है। इस तरह की स्थिति सदर अस्पताल की है। सदर अस्पताल का हाल यह है कि सामान्य ऑपरेशन थियेटर में तार झूल रही है। सबसे खराब स्थिति महिला वार्ड की है। जर्जर वायरिंग से भविष्य में कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
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