मुजफ्फरपुर: चमकी बुखार आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के लिए अबूझ पहेली बन गया है. तापमान में गिरावट आने के बाद भी मामले बढ़ रहे हैं. 4 नए बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) की पुष्टि हुई है.
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इस बार अगस्त में तापमान में हो रही गिरावट के बाद भी चमकी बुखार से जुड़े मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. जिले में फिर चमकी बुखार से जुड़े चार मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही चमकी बुखार का आंकड़ा इस वर्ष बढ़कर 67 हो गया है. जबकि इस बीमारी से अभी तक 15 बच्चों की मौत भी हो चुकी है.
फिलहाल मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (SKMCH) के पीकू वार्ड में चमकी बुखार से जुड़े छह बच्चे इलाजरत हैं. जिनमें चार बच्चों में एईएस की पुष्टि हो चुकी है. इस बार सबसे चौकाने वाली बात है कि अमूमन जुलाई अंत तक चमकी बुखार से जुड़े मामले आने बंद हो जाते थे, लेकिन बार अगस्त में भी चमकी बुखार से जुड़े मामले सामने आ रहे है. जोकि चिंता का विषय है. हालाकि राहत की बात ये है कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के मृत्यु दर में पिछले दो वर्षो में कमी आई है.
इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इस बीमारी के चलते शरीर में दूसरे कई संक्रमण हो जाते हैं. एईएस होने पर तेज बुखार के साथ मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. इसके चलते शरीर का तंत्रिका तंत्र निष्क्रिय हो जाता है और रोगी की मौत तक हो जाती है.
गर्मी और आद्रता बढ़ने पर यह बीमारी तेजी से फैलती है. इस बीमारी के वायरस खून में मिलने पर प्रजनन शुरू कर तेजी से बढ़ने लगते हैं. खून के साथ ये वायरस मरीज के मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस वहां की कोशिकाओं में सूजन कर देते हैं. दिमाग में सूजन आने पर शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है, जो मरीज की मौत का कारण बनता है.
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बता दें कि मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार का पहला मामला 1995 में सामने आया था. वहीं, पूर्वी यूपी में भी ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इस बीमारी के फैलने का कोई खास पैमाना तो नहीं है, लेकिन अत्यधिक गर्मी और बारिश की कमी के कारण अक्सर ऐसे मामले में बढ़ोतरी देखी गई है.