मुंगेर: योग नगरी मुंगेर की हवा जहरीली हो गई है और वह भी इतनी कि खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है. मुंगेर शहर देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. बीते मंगलवार को मुंगेर शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 423 (air quality index in Munger) तक पहुंच गया था. गुरुवार को भी एक्यूआई खतरनाक लेवल 400 तक बना रहा. इस छोटे से शहर मुंगेर ने देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई को पीछे छोड़ (Munger most polluted city) दिया है. मुंगेर शहर की हवा यूं ही नहीं प्रदूषित हुई है. इसके पीछे कई कारण हैं. शहर में नगर निगम द्वारा खुले में ही डंपिंग यार्ड रिहायशी इलाके में बनाया गया है.
डंपिंग यार्ड के कूड़े के अंबार में समय-समय पर आग लगा दिया जाता है. इसके कारण जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड हवा में फैल जाती है. कार्बन मोनोऑक्साइड से आसपास के इलाके के लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है. इसके अलावा मुंगेर शहर में अचानक कई निर्माण कार्य शुरू हो गए हैं. इस निर्माण कार्य में लगने वाले बालू से लदे ट्रकों से निकलने वाला जहरीली धुआं भी हवा को प्रदूषित कर रहा है. शहर की सड़कों पर पुराने वाहनों का दौड़ना, सिगरेट फैक्ट्री से निकलने वाला जहरीला धुआं भी हवा को जहरीला बना रहा है.
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मुंगेर नगर निगम का डंपिंग यार्ड फैला रहा प्रदूषण
मुंगेर नगर निगम के 45 वार्ड का कचरा नगर निगम के वार्ड नंबर 19 के मनसा नगर स्थित 11 एकड़ में फैले डंपिंग यार्ड में इकट्ठा किया जाता है. यह रिहायशी इलाका है. डंपिंग यार्ड के कचरे में आए दिन आग भी लगा दी जाती है. आग से निकलने वाले धुंए के कारण हवा अधिक प्रदूषित हो रही है. वार्ड नंबर 7 के रहने वाले धन्नामल चौधरी ने बताया कि नगर निगम रिहायशी इलाके में डंपिंग यार्ड बनाकर कूड़े-कचरे का अंबार लगवाता है. कचरा खुले में फेंका जाता है और आए दिन इसे आग के हवाले कर दिया जाता है. आग लगने से जो धुआं निकलता है, उससे हम लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जा रहा है.
आग बुझने में 2 से 3 दिन लग जाता है लेकिन नगर निगम प्रशासन लापरवाह बना हुआ है. इसके अलावे नगर निगम के लगभग चौक चौराहे पर डस्टबिन नहीं रखा गया है. इसके कारण खुले में कचरा फेंका जाता है और इस कचरे में आए दिन स्थानीय लोग आग भी लगा देते हैं. उससे भी अलग-अलग इलाके में प्रतिदिन धुआं निकलता है. इस धुए से हवा प्रदूषित होती है.
कल कारखाने भी हैं जिम्मेवार
मुंगेर शहर में वार्ड नंबर 8 में इंडियन टोबैको फैक्ट्री, जिसे सिगरेट फैक्ट्री के नाम से भी जाना जाता है, वह संचालित है. इस सिगरेट फैक्ट्री के चिमनी से भी लगातार धुआं निकलता है. इस संबंध में समाजसेवी संजय केसरी ने बताया कि आईटीसी सिगरेट फैक्ट्री, मुंगेर शहर का बंदूक कारखाना या फिर रेल कारखाना, इन लोगों पर भी कोई बंदिश नहीं है. केवल कागजों पर ही प्रदूषण नियंत्रित दिखाया जाता है जबकि हकीकत यह है कि आईटीसी में प्रतिदिन सिगरेट के लिए तंबाकू उबालाने में जो जहरीली गैस निकलती है, उससे आसपास के इलाके के लोग दुर्गंध से परेशान रहते हैं. इससे भी हवा प्रदूषित हो रही है लेकिन सभी आला अधिकारी चुप हैं क्योंकि आईटीसी सरकार को बड़ा रेवेन्यू देती है.
निर्माण कार्य भी है जिम्मेवार
मुंगेर शहर में अचानक से कई निर्माण कार्य आरंभ हुए हैं. मुंगेर खगड़िया रेल-सह-सड़क पुल के लिए बनाए जा रहे एप्रोच पथ निर्माण में प्रतिदिन लगभग 400 से 500 बालू लदे ट्रकों का आवागमन होता है. इस ट्रक से निकलने वाले धुएं जो कार्बन डाइऑक्साइड निकालता है, उससे वायु प्रदूषित हो रही है. इसके अलावा बिहार का पहला कृषि वानिकी कॉलेज एवं इंजीनियरिंग कॉलेज भी बनाया जा रहा है. इन सभी निर्माण कार्य में लगे मालवाहक वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बड़ा कारण है.
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