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बिहार में बढ़े वायरल फीवर के केस, डॉक्टरों की सलाह- 'बच्चों को अभी ना भेजें स्कूल'

मुंगेर (Munger) में लगातार वायरल फीवर (Viral Fever) के केस बढ़ रहे हैं. बच्चे निमोनिया (Pneumonia) की भी चपेट में आ रहे हैं. इस बीच चिकित्सकों की सलाह है कि बच्चों को स्कूल ना भेजें. पढ़ें रिपोर्ट..

मुंगेर
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Published : Sep 7, 2021, 9:31 PM IST

Updated : Sep 8, 2021, 10:14 AM IST

मुंगेर: कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका के बीच मुंगेर जिले के सभी प्रखंडों में वायरल बुखार (Viral Fever) का कहर शुरू हो गया. पीड़ितों में बच्चों की संख्या अधिक है. मुंगेर शहर के बड़ी बाजार, चौक बाजार या हवेली खड़गपुर, तारापुर, जमालपुर, धरहरा प्रखंड में शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के पास प्रतिदिन 100 से अधिक नए बच्चे वायरल फीवर की चपेट में आकर इलाज कराने पहुंच रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पटना में वायरल फीवर का प्रकोप, NMCH में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से चरमराई व्यवस्था

यही हाल जिले के अनुमंडल अस्पताल, पीएचसी और सदर अस्पताल का भी है. मुंगेर के सिविल सर्जन भी मानते हैं कि पिछले तीन-चार दिनों में बच्चों में वायरल फीवर के केस बढ़े हैं. पूरे जिले की बात करें तो अमूमन 1 दिन में 200 से अधिक नए बच्चों में निमोनिया (Pneumonia) के लक्षण मिल रहे हैं. बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार से परेशान है. आंकड़ा डराने वाला है. इसमें बच्चों को ऑक्सीजन तक लगाना पड़ रहा है. ऐसे हालात में सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ भी बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की सलाह दे रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच जिस तरह बच्चों में वायरल फीवर के केस बढ़ गए हैं, ये चिंता का विषय है. मुंगेर के सदर अस्पताल के शिशु चिकित्सक डॉ. पंकज सागर, शिशु रोग विशेषज्ञ अर्जुन प्रसाद और डॉक्टर के.अभिजीत का मानना है कि इस साल वायरल फीवर और निमोनिया के केस अधिक देखने को मिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पटना में वायरल फ्लू का अटैक, सोमवार को PMCH पहुंचे 200 से ज्यादा संक्रमित बच्चे

उन्होंने ईटीवी भारत से कहा कि प्रतिदिन 150 मरीज मैं देखता हूं, जिसमें 120 से अधिक मरीज निमोनिया के लक्षण वाले रहते हैं. ये चिंता का विषय है. ऐसे हालात में बच्चे कम से कम घर से बाहर निकलें. अगर संभव हो तो अभिभावक बच्चों को स्कूल ना भेजें. बच्चे कोरोना नियमों का पालन सही से नहीं करते, वो मास्क हमेशा नहीं लगा कर रख सकते हैं, ना ही सेनेटाइजर का प्रयोग करते हैं.

शिशु रोग विशेषज्ञ अर्जुन प्रसाद का कहना है कि बच्चों में इम्यूनिटी पावर कम रहती है. इसके कारण वे जल्द वायरल फीवर की चपेट में आ रहे हैं. उन्होंने बड़ों से भी अपील करते हुए कहा कि अगर वो सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हैं तो बच्चों के संपर्क में ना आएं, उन्हें गोद ना लें, ना ही उनके साथ सोए और खाना भी शेयर ना करें. साथ ही उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में वायरल फीवर के अधिक मामले हैं, उन इलाकों में बच्चों को खेलने ना भेजें. संभव हो तो बच्चों को घर में ही रखें. यह सावधानी जरूरी है.

बता दें कि बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए बी सी डी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं.

ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.

मुंगेर: कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका के बीच मुंगेर जिले के सभी प्रखंडों में वायरल बुखार (Viral Fever) का कहर शुरू हो गया. पीड़ितों में बच्चों की संख्या अधिक है. मुंगेर शहर के बड़ी बाजार, चौक बाजार या हवेली खड़गपुर, तारापुर, जमालपुर, धरहरा प्रखंड में शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के पास प्रतिदिन 100 से अधिक नए बच्चे वायरल फीवर की चपेट में आकर इलाज कराने पहुंच रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पटना में वायरल फीवर का प्रकोप, NMCH में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से चरमराई व्यवस्था

यही हाल जिले के अनुमंडल अस्पताल, पीएचसी और सदर अस्पताल का भी है. मुंगेर के सिविल सर्जन भी मानते हैं कि पिछले तीन-चार दिनों में बच्चों में वायरल फीवर के केस बढ़े हैं. पूरे जिले की बात करें तो अमूमन 1 दिन में 200 से अधिक नए बच्चों में निमोनिया (Pneumonia) के लक्षण मिल रहे हैं. बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार से परेशान है. आंकड़ा डराने वाला है. इसमें बच्चों को ऑक्सीजन तक लगाना पड़ रहा है. ऐसे हालात में सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ भी बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की सलाह दे रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच जिस तरह बच्चों में वायरल फीवर के केस बढ़ गए हैं, ये चिंता का विषय है. मुंगेर के सदर अस्पताल के शिशु चिकित्सक डॉ. पंकज सागर, शिशु रोग विशेषज्ञ अर्जुन प्रसाद और डॉक्टर के.अभिजीत का मानना है कि इस साल वायरल फीवर और निमोनिया के केस अधिक देखने को मिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पटना में वायरल फ्लू का अटैक, सोमवार को PMCH पहुंचे 200 से ज्यादा संक्रमित बच्चे

उन्होंने ईटीवी भारत से कहा कि प्रतिदिन 150 मरीज मैं देखता हूं, जिसमें 120 से अधिक मरीज निमोनिया के लक्षण वाले रहते हैं. ये चिंता का विषय है. ऐसे हालात में बच्चे कम से कम घर से बाहर निकलें. अगर संभव हो तो अभिभावक बच्चों को स्कूल ना भेजें. बच्चे कोरोना नियमों का पालन सही से नहीं करते, वो मास्क हमेशा नहीं लगा कर रख सकते हैं, ना ही सेनेटाइजर का प्रयोग करते हैं.

शिशु रोग विशेषज्ञ अर्जुन प्रसाद का कहना है कि बच्चों में इम्यूनिटी पावर कम रहती है. इसके कारण वे जल्द वायरल फीवर की चपेट में आ रहे हैं. उन्होंने बड़ों से भी अपील करते हुए कहा कि अगर वो सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हैं तो बच्चों के संपर्क में ना आएं, उन्हें गोद ना लें, ना ही उनके साथ सोए और खाना भी शेयर ना करें. साथ ही उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में वायरल फीवर के अधिक मामले हैं, उन इलाकों में बच्चों को खेलने ना भेजें. संभव हो तो बच्चों को घर में ही रखें. यह सावधानी जरूरी है.

बता दें कि बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए बी सी डी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं.

ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.

Last Updated : Sep 8, 2021, 10:14 AM IST
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