मुंगेर: तारापुर प्रखंड के अफजलनगर पंचायत के खुदीया गांव में कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है. गांव में एक पखवाड़े में 10 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन ग्रामीणों का टेस्ट नहीं करवाया जा रहा है. यहां तक की अभी तक कई लोगों ने वैक्सीन तक नहीं लिया है. इस पूरे मामले के पीछे की वजह जागरुकता का अभाव, ग्रामीणों की जिद और प्रशासन का उदासीन रवैया बताया जा रहा है.
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ग्रामीण नहीं करा रहे टेस्ट
खुदीया गांव में सौ से ज्यादा लोग सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन कोरोना जांच कराने के लिए ये लोग तैयार नहीं हैं. गांव में ही ग्रामीण चिकित्सक से इलाज करवा रहे हैं. अफजलनगर पंचायत की कुल आबादी 12 हजार के करीब है. जबकि दस हजार सिर्फ खुदीया गांव की आबादी है. आबादी ज्यादा होने के कारण एक सप्ताह पूर्व तारापुर से स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा कोरोना जांच और टीका लगाने के लिए यहां शिविर भी लगाया गया, लेकिन एक भी ग्रामीण ना तो टेस्ट कराने आया और ना ही वैक्सीन लगवाने ही पहुंचा.
'इस गांव मे पंद्रह दिनों के अंदर दस ऐसे व्यक्तियों की मौत हुई जो सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने मे दिक्कत से पीड़ित थे. ये दस लोग जिनकी मौत हुई है, उनकी उम्र 40 से 50 वर्ष के आसपास थी और एक व्यक्ति 80 वर्ष के थे. जांच नहीं कराने और वैक्सीन नहीं लगाने के पीछे ग्रामीणों का तर्क है कि वैक्सीन लगाने से लोगों की मौत हो जाती है.' - शशि कुमार सुमन, मुखिया, अफजल नगर पंचायत
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15 दिन में 10 मौत
15 दिन के अंदर खुदीया गांव में 10 लोगों की मौत हो चुकी है. गांव में कई बार स्वास्थ्य विभाग की टीम वैक्सीन लगाने और कोरोना जांच करने के लिए आई , लेकिन उन्हें बेरंग वापस लौटना पड़ा, क्योंकि ग्रामीण इसके लिए तैयार नहीं हुए.
मुखिया ने बताया कि...
लोगों के बीच भय व्याप्त है कि जांच कराने के बाद अगर संक्रमित पाये गये तो क्वारंटीन कर दिया जाएगा और लोग पास नहीं आयेंगे. मुखिया ने इसके लिए बिहार सरकार को पूर्ण रूप से दोषी बताया है. उनका कहना है कि ग्रामीणों को जागरूक करने में बिहार सरकार विफल रही है.
गांव में जागरुकता का अभाव
स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में आती तो है लेकिन लोगों को जागरूक नहीं कर पायी है. इसके लिए जिला प्रशासन को चाहिए कि लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक आदि का सहारा ले.
'इस गांव मे दस लोगों की मौत हो चुकी है और सौ से अधिक लोग पीड़ित हैं. यहां के ग्रामीणों में जागरुकता की बेहद कमी है जिसका खामियाज़ा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लोगों में एक प्रकार का डर है जिसकी वजह से लोग ना ही कोरोना टेस्ट कराना चाहते हैं और ना ही वैक्सीन लेने को तैयार हैं. सप्ताह सप्ताह भर से लोग खांसी, सर्दी, बुखार और सर दर्द से परेशान हैं और ग्रामीण चिकित्सक से इलाज करवा रहे हैं लेकिन अस्पताल जाकर कोरोना जांच कराने के लिए तैयार नहीं हैं.' - लक्ष्मण यादव, सरपंच
ग्रामीण का बयान
वहीं इस दौरान ग्रामीण सुजीत कुमार से मास्क ना लगाने और वैक्सीन नहीं लगाने की वजह पूछी गयी तो उन्होंने बताया कि अभी सो कर उठे हैं इसलिए मास्क नहीं लगा पाए. उन्होंने कहा कि 'हम तो पूरी तरह स्वस्थ हैं तो कोरोना जांच कराने या वैक्सीन लगाने की क्या जरूरत है. हम लोग अखबार और न्यूज में सुनते हैं कि वैक्सीन लगाने से जान चली जाती है इसलिए हम लोग वैक्सीन नहीं लगा रहे जान है तो जहान है.'
'आखिर लोगों को क्या आपत्ति है ये समझ से परे'
वही इस मामले में तारापुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि अफजल नगर पंचायत के खुदीया गांव के लोगों को कोरोना जांच कराने और वैक्सीन लेने में आखिर क्या आपत्ति है ये समझ से परे है. उन्होंने बताया कि हमने कई बार अपनी टीम को और खुद भी उस गांव में जाकर लोगों को जांच कराने और वैक्सीन लेने के लिए जागरूक किया, लेकिन कोई असर इन लोगों पर नहीं हो रहा है.
'हमारी टीम कई बार उस गांव में जाकर शिविर लगाकर जांच करने और वैक्सीन देने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन ग्रामीण ना तो टेस्ट कराते हैं और ना ही वैक्सीन लगवाने को ही तैयार होते हैं. इस सम्बंध में मैंने डीएम और एसडीओ को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया हैं, डीएम मैडम ने कहा है कि आशा और जीविका से जुड़ी दीदी को भेज कर वहां के लोगों को जागरूक करें अगर नहीं होता है तो इसमे प्रशासन का भी सहयोग लेकर लोगों को प्रेरित करें.' - डॉ बी एन सिंह, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, तारापुर
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