मुंगेर: जिले के कमिश्नरी ऑफिस में कार्यरत्त चतुर्थवर्गीय कर्मचारी अनिल राम को पूरा मुंगेर 'पर्यावरण मित्र' के नाम से जानता है. सालों पहले घटित हुई एक घटना के बाद से अनिल ने अब तक हजारों पौधे लगा दिए हैं. नतीजतन, मुंगेर कमिश्नरी क्षेत्र में इनकी एक अलग और अनोखी पहचान है.
मौजूदा सरकार जल जीवन हरियाली के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है लेकिन, मुंगेर कमिश्नरी कार्यालय में चपरासी के पद पर कार्यरत अनिल राम अपनी स्वेच्छा और अपने स्तर से आस पास पौधारोपण करते हैं. साथ ही समय-समय पर वे उनकी देखभाल भी करते हैं. अनिल राम पूरे मनोयोग से पर्यावरण संरक्षण के कार्य में लगे हुए हैं.
सैलरी से कर रहे वातारण का संरक्षण
अनिल राम अब तक अपने वेतन के रुपयों से किला क्षेत्र और आसपास के इलाके में अब तक 3000 पौधे लगा चुके हैं. पर्यावरण के प्रति उनके समर्पण भाव के कारण मुंगेर कमिश्नरी के लोग उन्हें पर्यावरण मित्र या पर्यावरण का गांधी के नाम से पुकारने लगे हैं.
इस घटना ने बदल दी जिंदगी
पर्यावरण का गांधी बनने के पीछे एक कहानी है. अनिल बताते है कि साल 1997 में वे किसी काम से बरियारपुर गए थे. जहां जेब कतरों ने उनकी पॉकेट मारी कर ली. उनके पास वापस लौटने के रुपये नहीं थे. बरियारपुर से मुंगेर करीब 20 किलोमीटर की थी. जून की तपती गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण अनिल काफी परेशान हो गए. ऐसे में उन्होंने पेड़ की छांव तलाशनी शुरू की. लेकिन, सिर छिपाने के लिए भी उन्हें कड़ी मशक्क्त करनी पड़ी. ऐसे में अनिल ने प्रण लिया कि वे पेड़-पौधे लगाएंगे ताकि जो परेशानी उन्हें हुई वह किसी और को न झेलनी पड़ी.
अब तक लगा चुके हैं 3 हजार पौधे
सालों पहले लिए संकल्प के कारण अब तक अनिल राम ने तकरीब 3000 से अधिक पौधे लगाए हैं. उन्होंने पीपल, कुसुम, बरगद, जामुन, गुलमोहर, अमरूद सहित ज्यादा से ज्यादा छांव देने वाले पौधे लगाए हैं. ये पौधे अब वृक्ष बन कर मुंगेर किला क्षेत्र के आसपास की सड़कों को छांव देते नजर आते हैं.
ये है अनिल की दिनचर्या
अनिल ने बताया कि वे सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कार्यालय में काम करते है. लेकिन, पेड़-पौधों की सेवा के लिए वे सुबह 5 बजे ही अपने घर से निकल कर जाते हैं. सुबह 5 से 10 बजे तक और शाम 5 बजे से 9 बजे रात तक लगभग प्रतिदिन वे पेड़-पौधों की देखरेख और सेवा करते हैं. इस दौरान वे पौधे लगाने के लिए निराई, गुड़ाई, बेकार उग आए घास-फूस की साफ-सफाई का काम करता हैं. उन्होंने बताया कि जब पौधे बड़े होने लगता हैं तो उसकी रक्षा के लिए वे 8 फीट का गैबीयन लगाते हैं. अनिल ने आयुक्त कार्यालय परिषद, किला गेट से लेकर पोलो मैदान और किला परिसर के अलावा पूरब सराय, कृष्णापुरी इलाके में दर्जनों पौधे लगाए हैं.
पेड़-पौधों को संतान मानते हैं अनिल राम
अनिल राम कहते हैं कि पौधे मेरे सन्तान की तरह हैं. जब इन्हें तकलीफ होती है तो उन्हें भी होती है. एक किस्सा बताते हुए अनिल कहते हैं कि एक बार जब सड़क चौड़ीकरण के नाम पर सैकड़ों पेड़ काटे जाने का निर्देश हुआ तो वे रोते-रोते डीएम कार्यालय गए और अपनी बात को रखा. इसके बाद जिला पदाधिकारी ने तुरंत पेड़ काटने के निर्देश को रोक दिया. अनिल पेड़ों से लिपट कर उनसे बातें करते हैं. उन्हें बच्चों के तरह दुलारते और पुचकारते हैं.
अनिल के जुनून को सलाम करते हैं लोग
स्थानीय अशोक कुमार पासवान बताते हैं कि प्रतिदिन वे मॉर्निंग वॉक करने केला क्षेत्र आते हैं. सालों भर वे अनिल को रोज पेड़-पौधों की सेवा करते पाते हैं. गर्मी, बरसात, सर्दी-बुखार यहां तक कि लॉकडाउन के दिनों में भी अनिल रोजाना पेड़ों की सेवा में खड़े नजर आए. इस सेवा भाव के लिए अनिल को आचार्य लक्ष्मी कांत मिश्र सम्मान 2018, प्रमंडलीय आयुक्त की ओर से पर्यावरण मित्र 2019 और विभिन्न निजी व सरकारी संस्थाओं की ओर से कई बार नवाजा जा चुका है. 'विश्व पर्यावरण दिवस' के मौके पर 'पर्यावरण के गांधी' को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.