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विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति बनाकर खुश हुए मूर्तिकार, एक बार फिर जगी आमदनी की आस

मुंगेर में विश्वकर्मा पूजा को लेकर मूर्तिकार काफी खुश दिख रहे हैं. लगातार दो वर्ष से कोरोना की मार झेलने के बाद अब मूर्तिकारों को आमदनी होने लगी है. साथ ही मूर्तियों की बिक्री भी बढ़ गई है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Sep 17, 2021, 7:59 AM IST

मुंगेर: देश में कोरोना संक्रमण (Covid-19) के कारण सभी तरीके की पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों पर पाबंदी लगा दी गई थी. जिस कारण सभी उद्योग-धंधे चौपट हो गए. सबसे बुरा हाल कुंभकारों का हुआ. जो मिट्टी की मूर्तियां बनाकर अपना जीवन यापन करते थे. वहीं इस वर्ष कोरोना संक्रमण की दर में कमी आने के बाद केंद्र सरकार ने पंडालों में प्रतिमा स्थापित करने की इजाजत दे दी है. जिसके बाद से ही मूर्तिकार विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2021) को लेकर मूर्ति निर्माण कार्य में जुट गए.

इसे भी पढ़ें: बाजारों में लौटी रौनक से शिल्पकारों को बंधी आस, भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति से पटे बाजार

विश्वकर्मा पूजा को लेकर मुंगेर जिले में लगभग 200 से अधिक प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार करते हैं. कोरोना का असर कम होने से लंबे अरसे से बंद पड़े मूर्तिकला निर्माण से जुड़े बाजारों की रौनक लौटने लगी है. कोरोना को लेकर सभी प्रतिबंध खत्म होने के बाद से मूर्तिकार एक बार फिर अपने मूर्तिकला व्यवसाय से जुड़ गए हैं. यही वजह है कि इस बार बड़ी संख्या में मूर्तिकारों ने देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को तैयार कर अपने काम का आगाज कर दिया है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: विश्वकर्मा पूजा को लेकर मूर्तिकार दिखे उत्साहित, दो सालों बाद चेहरे पर लौटी रौनक

'यह हमारा पुश्तैनी कारोबार है. पिछले 2 वर्ष से मूर्ति नहीं बन पाने के कारण आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए थे. लेकिन इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा में मूर्तियों का आर्डर मिला है. जिसके बाद हमलोगों की आर्थिक स्थिति कुछ सुधरने की उम्मीद है.' -दिनेश पंडित, मूर्तिकार

बताते चलें कि त्योहारों का सिलसिला अब शुरू हो गया है. विश्वकर्मा पूजा के बाद बाद दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, काली पूजा, छठ पूजा समेत कई अन्य पर्व त्योहार आने को है. जिसमें प्रतिमाओं का निर्माण बड़े पैमाने पर होता है. इसमें खासकर 10 दिनों तक चलने वाला दशहरा में तो दुर्गा प्रतिमा की अच्छी डिमांड रहती है. जिसे लेकर मूर्तकार उत्साहित नजर आ रहे हैं. मूर्तिकारों को इसी सीजन में कमाई की उम्मीद रहती है. जिससे कि वे पूरे साल अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.

बता दें कि कोरोना काल में मंदिर बंद थे. पंडाल में पूजा की अनुमति नहीं थी. ऐसे में शिल्पकारों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया था. कई शिल्पकारों को तो इस काम को छोड़कर दूसरे क्षेत्र का रुख तक करना पड़ा था. कोरोना संक्रमण के दौरान मूर्तियों की डिमांड लगभग खत्म हो चुकी थी. लेकिन एक बार फिर से धीमी पड़े कोरोना संक्रमण के बीच बाजारों की रौनक लौट आई है.

वहीं इन शिल्पकारों ने अपने काम की शुरुआत भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति बनाकर की है. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है. इन्हें यंत्रों का देवता कहा जाता है. विश्वकर्मा ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था. ऐसे में इन लोगों ने इनकी मूर्ति बनाकर अपने काम का एक बार फिर से श्रीगणेश किया है.

मुंगेर: देश में कोरोना संक्रमण (Covid-19) के कारण सभी तरीके की पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों पर पाबंदी लगा दी गई थी. जिस कारण सभी उद्योग-धंधे चौपट हो गए. सबसे बुरा हाल कुंभकारों का हुआ. जो मिट्टी की मूर्तियां बनाकर अपना जीवन यापन करते थे. वहीं इस वर्ष कोरोना संक्रमण की दर में कमी आने के बाद केंद्र सरकार ने पंडालों में प्रतिमा स्थापित करने की इजाजत दे दी है. जिसके बाद से ही मूर्तिकार विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2021) को लेकर मूर्ति निर्माण कार्य में जुट गए.

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विश्वकर्मा पूजा को लेकर मुंगेर जिले में लगभग 200 से अधिक प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार करते हैं. कोरोना का असर कम होने से लंबे अरसे से बंद पड़े मूर्तिकला निर्माण से जुड़े बाजारों की रौनक लौटने लगी है. कोरोना को लेकर सभी प्रतिबंध खत्म होने के बाद से मूर्तिकार एक बार फिर अपने मूर्तिकला व्यवसाय से जुड़ गए हैं. यही वजह है कि इस बार बड़ी संख्या में मूर्तिकारों ने देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को तैयार कर अपने काम का आगाज कर दिया है.

देखें रिपोर्ट.

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'यह हमारा पुश्तैनी कारोबार है. पिछले 2 वर्ष से मूर्ति नहीं बन पाने के कारण आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए थे. लेकिन इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा में मूर्तियों का आर्डर मिला है. जिसके बाद हमलोगों की आर्थिक स्थिति कुछ सुधरने की उम्मीद है.' -दिनेश पंडित, मूर्तिकार

बताते चलें कि त्योहारों का सिलसिला अब शुरू हो गया है. विश्वकर्मा पूजा के बाद बाद दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, काली पूजा, छठ पूजा समेत कई अन्य पर्व त्योहार आने को है. जिसमें प्रतिमाओं का निर्माण बड़े पैमाने पर होता है. इसमें खासकर 10 दिनों तक चलने वाला दशहरा में तो दुर्गा प्रतिमा की अच्छी डिमांड रहती है. जिसे लेकर मूर्तकार उत्साहित नजर आ रहे हैं. मूर्तिकारों को इसी सीजन में कमाई की उम्मीद रहती है. जिससे कि वे पूरे साल अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.

बता दें कि कोरोना काल में मंदिर बंद थे. पंडाल में पूजा की अनुमति नहीं थी. ऐसे में शिल्पकारों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया था. कई शिल्पकारों को तो इस काम को छोड़कर दूसरे क्षेत्र का रुख तक करना पड़ा था. कोरोना संक्रमण के दौरान मूर्तियों की डिमांड लगभग खत्म हो चुकी थी. लेकिन एक बार फिर से धीमी पड़े कोरोना संक्रमण के बीच बाजारों की रौनक लौट आई है.

वहीं इन शिल्पकारों ने अपने काम की शुरुआत भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति बनाकर की है. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है. इन्हें यंत्रों का देवता कहा जाता है. विश्वकर्मा ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था. ऐसे में इन लोगों ने इनकी मूर्ति बनाकर अपने काम का एक बार फिर से श्रीगणेश किया है.

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