मुंगेर: छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए वर्ष 2018 में मुंगेर प्रमंडलीय मुख्यालय में मुंगेर विश्वविद्यालय की स्थापना (Establishment of Munger University) की गयी थी. इससे 30 महाविद्यालय संबद्ध हैं. इस विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 50,000 छात्र ऑनलाइन आवेदन करते हैं लेकिन यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सुविधा देने में विश्वविद्यालय फिसड्डी (Munger University Failed in Admission Exam Result) साबित हो रहा है. इस संबंध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र यूनियन से जुड़े छात्र सन्नी ने कहा कि प्रवेश परीक्षा और परिणाम तीनों मामले में विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है.
प्रवेश में परेशानी : विश्वविद्यालय से संबंधित 30 महाविद्यालयों में प्रत्येक वर्ष नामांकन के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर 50 हजार छात्र-छात्राएं 300 रुपये शुल्क पोर्टल के लिए अदा कर अप्लाई करते हैं. प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ की आमद होने के बाद भी वेबसाइट लगभग बंद ही रहता है. नामांकन के समय तो सर्वर डाउन की समस्या से विद्यार्थी परेशान रहते हैं. इससे विद्यार्थियों का पैसे भी फंस जाता है. ऑनलाइन पेमेंट के समय पैसे फंस जाने के बाद काफी परेशानी होती है. पुनः आवेदक को विश्विद्यालय जाकर इस त्रुटि को दूर करवाना होता है.
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विलंब से परीक्षा: 2018 में स्थापित इस विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं का स्नातक अभी तक कंप्लीट नहीं हुआ. स्नातक 3 वर्ष का है लेकिन चौथे वर्ष में अभी फाइनल ईयर की परीक्षा ही हो रही है. ऐसे में रिजल्ट कब आयेगा, यह कोई नहीं बता सकता. सत्र विलम्ब से चल रहा. यूजी और पीजी का सत्र डेढ़ साल विलम्ब से चल रहा है. पीएचडी की पढ़ाई अभी तक शुरू नहीं हुई.
नहीं मिलता प्रिंटेड मार्कशीट: रिजल्ट के नाम पर आज तक किसी को अंक पत्र जारी नहीं किया गया. इस यूनिवर्सिटी से संबंधित सभी कॉलेज के छात्र अब तक प्रिंटेड मार्कशीट नहीं मिलने से परेशान हैं. बीएड कंप्लीट कर चुके छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बावजूद नौकरी नहीं मिल रही क्योंकि उन्हें सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के समय प्रिंटेड ओरिजिनल अंक पत्र नहीं दिया जाता. इसके कारण वे वेरिफिकेशन में फेल हो जाते हैं. इससे हजारों छात्र परेशान हैं. अंक पत्र कब मिलेगा, यह विश्वविद्यालय भी नहीं बता पाएगा क्योंकि प्रिंटर अभी तक नहीं खरीदा गया.
4 साल में 7 कुलसचिव: छात्र नेता सरवन कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय का यह दुर्भाग्य ही है कि स्थापना के 4 साल नहीं बीते, लेकिन 6 कुलसचिवों का तबादला हो चुका है. अब सातवें कुलसचिव आए हैं. ये कब तक रहेंगे, यह कोई नहीं बता सकता. लगातार तबादलों के कारण यहां की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता. विश्वविद्यालय से जुड़े कई कार्य पेंडिंग हैं. विश्वविद्यालय को ना तो अभी तक अपनी जमीन मिल पायी है और ना ही सत्र समय पर हो पा रहा है. परीक्षा भी विलंब से ली जा रही है.
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बोलीं कुलपति: इस संबंध में यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. श्यामा राय ने कहा कि अपनी जमीन नहीं होने के कारण प्रशासनिक कार्यों करने में परेशानी हो रही है. अपनी जमीन पर अपना भवन होता तो विश्वविद्यालय बेहतर कार्य कर पाता. उन्होंने कहा कि अंकपत्र देने संबंधी परेशानियों को दूर किया जा रहा है. क्यूआर कोड और कई तरह की अड़चनें हैं, जिसका राजभवन और यूजीसी के साथ बातचीत कर समाधान करवाया जा रहा है. उन्होंने स्वीकार किया कि 3 वर्ष के स्नातक का सत्र विलंब से चल रहा है. साथ ही पीएचडी की पढ़ाई जल्द शुरू होने की बात उन्होंने कही. कुलपति ने कहा कि 4 माह पूर्व ही यहां मेरा पदस्थापन हुआ है. बहुत जल्द सभी समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा.
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