मुंगेर: सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल होने के बावजूद बिहार में शिक्षा व्यवस्था में कई खामियां उजागर होती रहती हैं. मुंगेर विश्वविद्यालय से ऐसा ही मामला सामने आया है. विश्वविद्यालय की स्थापना के 4 साल बीत जाने के बावजूद यहां एक प्रिंटर (No Printer In Munger University) तक नहीं है. इसके कारण 1 लाख से अधिक छात्रों को अब तक अंक पत्र (मार्कशीट) और अन्य प्रमाण पत्र (Munger University Did Not Released Marksheets To Students) नहीं मिल सका है. इससे छात्रों में आक्रोश है.
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दरअसल मुंगेर विश्वविद्यालय की स्थापना 2018 में हुई थी. विश्वविद्यालय से 17 कॉलेज संबंध है. इसमें 5 जिलों के 5 बीएड कॉलेज भी शामिल हैं. सबसे अधिक बीएड कॉलेज के छात्र हैं. पांच कॉलेजों के 475 बीएड कॉलेज के छात्र सत्र 2018 में ही बीएड किए हैं. इन लोगों का अप्रैल 2021 में ऑनलाइन रिजल्ट भी आ गया. लेकिन 9 माह बीतने के बाद भी अब तक इन्हें अंकपत्र नहीं मिला है. जिससे यह लोग नौकरी के लिए कोई प्रतियोगी परीक्षा में नहीं बैठ पा रहे हैं.
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प्रतियोगिता परीक्षाओं में उम्र की अहर्ता खत्म होने का भय छात्रों को सताने लगा है. इसके अलावा इस विश्वविद्यालय से संबंध 17 कॉलेजों के पार्ट वन ,पार्ट 2 आदि के छात्र परीक्षा तो दे दिए हैं लेकिन उन्हें अंकपत्र विश्वविद्यालय नहीं दे रहा है. छात्र प्रतिदिन यहां आकर कर्मचारियों से उलझते देखे जाते हैं.
मुंगेर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की मानें तो, इस विश्वविद्यालय से संबंध 17 महाविद्यालयों के लगभग एक लाख से अधिक छात्रों का प्रमाण पत्र प्रिंटर नहीं रहने के कारण नहीं मिल पाया है. बहुत जल्द सम्भवतः फरवरी के अंत तक सभी को प्रमाणपत्र दे दिया जाएगा. लेकिन यह भी एक बड़ी सच्चाई है कि, 1 माह में एक लाख प्रमाण पत्र छापने में काफी परेशानी होगी. छात्र भी रजिस्ट्रार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं दिखे. रहमानी बीएड कॉलेज के छात्र का कहना है कि, हम लोग पिछले 9 माह से यूनिवर्सिटी का दरवाजा खटखटा रहे हैं.लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. कई प्रतियोगी परीक्षाएं गुजर गईं. हम लोग प्रमाण पत्र नहीं रहने के कारण परीक्षा नहीं दे पाए.
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बीएड कॉलेज के उत्तीर्ण छात्र अमित रंजन ने कहा कि, अब तो मार्च में बिहार सरकार द्वारा शिक्षकों की बहाली के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा भी होनी है. प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिला है. कैसे हम लोग बहाली में भाग ले पाएंगे. विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. परीक्षा देने के लिए हम लोगों की उम्र खत्म हो रही है, इसकी भी किसी को परवाह नहीं है.
मुंगेर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर डॉ श्यामा राय ( Vice Chancellor of Munger University Dr. Shyama Rai ) ने प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण के बारे में बताते हुए ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि, विश्वविद्यालय की स्थापना 2018 में हुई थी. यहां पहले प्रोफेसर रंजीत वर्मा कुलपति थे. मैं 4 महीने पहले ही यहां आई हूं. स्थापना के 4 साल बीतने को है लेकिन विश्वविद्यालय के पास अभी तक प्रिंटर नहीं है. प्रिंटर नहीं रहने के कारण छात्र छात्राओं को हम अंकपत्र या प्रमाण पत्र नहीं दे पाए हैं.
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उन्होंने कहा कि,' छात्रों को अंक पत्र नहीं दिए जाने का मुझे अफसोस है. इसकी प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही प्रिंटर लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी. राजभवन को भी सूचित कर दिया गया है. क्योंकि प्रिंटर के साथ स्कैनर भी होता है, बार कोडिंग भी जारी होता है. इसके लिए कई तरह की बाधाएं हैं.सभी बाधा को दूर करने के लिए हम लोग कृत संकल्पित हैं. संभवत फरवरी के अंत तक प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. मैं तो 4 महीने पहले यहां की कुलपति के पद पर प्रतिनियुक्ति हुई हूं. इससे पहले वाले कुलपति क्या कर रहे थे ?छात्र इतने दिन क्यों सोए रहे ? आखिर 4 साल बीतने के बाद छात्र क्यों जाग रहे हैं? छात्र को पहले आना चाहिए था.'
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