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स्वच्छता सर्वेक्षण 2020: गंगा किनारे बसे 57 जिलों में मुंगेर को मिला तीसरा स्थान

स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 के नतीजे अभी घोषित हुए हैं. जिसमें गंगा किनारे 57 जिलों में मुंगेर तीसरे पायदान पर है. वही अर्बन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने मुंगेर प्रशासन की तारीफ की है.

munger
स्वच्छता सर्वेक्षण में महिलाएं
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Published : Aug 20, 2020, 10:05 PM IST

मुंगेर: बिहार के सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन को आज पूरे देश ने देखा है. वहीं स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 के तहत गंगा किनारे 57 जिलों में मुंगेर तीसरे पायदान पर है. इसके अलावा मुंगेर को स्वच्छता सर्वेक्षण में सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन के लिए चुना गया है. प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति में अर्बन मिनिस्टर हरदीप पूरी ने शौचालय के लाभार्थियों अनुपमा देवी और कामिनी कुमारी से सीधे बात कर उनका हौसला अफजाई किया और निगम प्रशासन की तारीफ की.

स्वच्छता सर्वेक्षण में मुंगेर तीसरे पायदान पर
डीएम राजेश मीना ने कहा कि 2 अक्टूबर 2014 से शुरू हुआ स्वच्छता का कारवां अब एक अभियान बन चुका है. इस अभियान में पूरे देश की भागीदारी सुनिश्चित करने को केंद्र सरकार हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण आयोजित करती है. फिर देशभर के निकायों की रैंकिंग जारी की जाती है. स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 के नतीजे अभी घोषित हुए हैं. हमें खुशी है कि देश में मुंगेर जिले को सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन हेतु चयन कर यहां के लाभार्थियों से बात किए.

swachh survekshan 2020
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के तहत मुंगेर तीसरे पायदान पर.

इस आयोजन को स्वच्छता महोत्सव नाम दिया गया है. इस दौरान स्वच्छता परीक्षा के विजेताओं को पुरस्कृत करने के साथ ही इस अभियान के लाभुकों से भी बात हुई. इसके लिए अलग-अलग कैटेगरी में बेहतर कार्य करने वाले देशभर के कुछ निकायों को चुना गया है. बिहार से इस सूची में मुंगेर नगर निगम का नाम है. उसका चयन सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन की श्रेणी में किया गया है.

munger
स्वच्छता सर्वेक्षण समारोह में महिलाएं

स्वच्छता के लिए हर परिवार देता है 40 रुपये
मुंगेर के नगर आयुक्त श्रीकांत शास्त्री सामुदायिक शौचालय कैटेगरी में अपने निकाय के चयन पर बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने बताया कि जिस सामुदायिक शौचालय को पुरस्कृत किया जा रहा है, उसे 45 परिवार प्रयोग करते हैं. इसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग शौचालय और स्नानघर हैं. शौचालय में सफाई रहे और उसका बेहतर प्रबंधन हो सके, इसके लिए प्रयोग करने वाले परिवार हर महीने 40-40 रुपए देते हैं. परिवारों के कार्ड बना दिए गए हैं. एकत्रित होने वाली राशि से शौचालय पर तैनात कर्मी को वेतन मिलता है. इससे वहां लोगों के जीवन में बदलाव आने के साथ ही एक परिवार के लिए रोजगार का भी सृजन हुआ है.

मुंगेर: बिहार के सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन को आज पूरे देश ने देखा है. वहीं स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 के तहत गंगा किनारे 57 जिलों में मुंगेर तीसरे पायदान पर है. इसके अलावा मुंगेर को स्वच्छता सर्वेक्षण में सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन के लिए चुना गया है. प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति में अर्बन मिनिस्टर हरदीप पूरी ने शौचालय के लाभार्थियों अनुपमा देवी और कामिनी कुमारी से सीधे बात कर उनका हौसला अफजाई किया और निगम प्रशासन की तारीफ की.

स्वच्छता सर्वेक्षण में मुंगेर तीसरे पायदान पर
डीएम राजेश मीना ने कहा कि 2 अक्टूबर 2014 से शुरू हुआ स्वच्छता का कारवां अब एक अभियान बन चुका है. इस अभियान में पूरे देश की भागीदारी सुनिश्चित करने को केंद्र सरकार हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण आयोजित करती है. फिर देशभर के निकायों की रैंकिंग जारी की जाती है. स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 के नतीजे अभी घोषित हुए हैं. हमें खुशी है कि देश में मुंगेर जिले को सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन हेतु चयन कर यहां के लाभार्थियों से बात किए.

swachh survekshan 2020
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के तहत मुंगेर तीसरे पायदान पर.

इस आयोजन को स्वच्छता महोत्सव नाम दिया गया है. इस दौरान स्वच्छता परीक्षा के विजेताओं को पुरस्कृत करने के साथ ही इस अभियान के लाभुकों से भी बात हुई. इसके लिए अलग-अलग कैटेगरी में बेहतर कार्य करने वाले देशभर के कुछ निकायों को चुना गया है. बिहार से इस सूची में मुंगेर नगर निगम का नाम है. उसका चयन सामुदायिक शौचालय के बेहतर प्रबंधन की श्रेणी में किया गया है.

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स्वच्छता सर्वेक्षण समारोह में महिलाएं

स्वच्छता के लिए हर परिवार देता है 40 रुपये
मुंगेर के नगर आयुक्त श्रीकांत शास्त्री सामुदायिक शौचालय कैटेगरी में अपने निकाय के चयन पर बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने बताया कि जिस सामुदायिक शौचालय को पुरस्कृत किया जा रहा है, उसे 45 परिवार प्रयोग करते हैं. इसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग शौचालय और स्नानघर हैं. शौचालय में सफाई रहे और उसका बेहतर प्रबंधन हो सके, इसके लिए प्रयोग करने वाले परिवार हर महीने 40-40 रुपए देते हैं. परिवारों के कार्ड बना दिए गए हैं. एकत्रित होने वाली राशि से शौचालय पर तैनात कर्मी को वेतन मिलता है. इससे वहां लोगों के जीवन में बदलाव आने के साथ ही एक परिवार के लिए रोजगार का भी सृजन हुआ है.

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