मुंगेरः बिहार के मुंगेर में शहीद सिपाही अमिता बच्चन को अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान जिले एसपी सहित अन्य पुलिसकर्मी और विधायक मौजूद रहे. सिपाही को राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई. जैसे ही सिपाही का पार्थिव शरीर मुंगेर स्थित गांव पहुंचा, लोगों की आंखें नम हो गई. देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान पहुंचे अधिकारियों और नेताओं ने परिजनों को ढांढस बढाया.
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वैशाली में सिपाही अमिता बच्चन की हत्याः सोमवार को वैशाली में सिपाही की हत्या बैंक लूटने आए अपराधी ने कर दी थी. सिपाही अमिता बच्चन मुंगेर जिले के शामपुर थाना क्षेत्र के भदौरा गांव के रहने वाले थे. मंगलवार को सिपाही का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा. इस दौरान लोगों ने 'भारत माता की जय..शहीद जवान अमर रहे' के नारे लगाए गए.
एसपी ने दी श्रद्धांजलिः मंगलवार को मुंगेर एसपी जगगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी, मुंगेर विधायक प्रणव यादव, हवेली खड़गपुर डीएसपी राकेश कुमार सहित कई थानों के पुलिस पदाधिकारी के साथ शहीद जवान को शोक सलामी दी गई. एसपी, विधायक सहित अन्य पदाधिकारियों ने जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित की. सिपाही का अंतिम संस्कार सुल्तानगंज में किया गया.
"वैशाली में अपराधी की गोली से मौत हो गई थी. सिपाही का पार्थिव शरीर मुंगेर पहुंचा है. शहीद जवान के पार्थिव शरीर को शोक सलामी दी गई. उनका अंतिम संस्कार सुल्तानगंज गंगा घाट पर किया जाएगा." -जगगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी, एसपी, मुंगेर
काफी मिलनसार थे सिपाहीः स्थानीय लोगों ने बताया कि अमिता बच्चन पर गांव को गर्व था. वे युवाओं के आदर्श थे. जब भी छुट्टी पर आते थे युवाओं को पुलिस में भर्ती की तैयारी का टिप्स देते थे. युवाओं ने बताया कि वे काफी मिलनसार व साहसी थे. शहीद की अंतिम यात्रा बड़े ही शान से निकाली गई. इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में युवा मौजूद थे.
शहीद जवान अमिता बच्चन के पिता गणेश सिंह किसान हैं. अमिता सबसे बड़े बेटे थे, जो वैशाली जिला में सिपाही के पद पर पदस्थापित थे. छोटा भाई अपनी पढ़ाई कर रहा है. छः साल पहले मुंगेर के ही कोमल से उनकी शादी हुई थी. सिपाही को दो संतान है, जिसमें एक चार साल का बेटा अर्णव और एक छोटी बेटी आराध्या. पत्नी बार-बार रो रोकर कह रही थी..हमलोगों को कौन देखेगा सर, हमारा तो दुनिया ही उजड़ गया'.
पिता रहते हैं बीमारः पिता गणेश सिंह ने कहा कि बीमार होने के कारण बेटे के शहीद होने की खबर मुझे पहले नहीं दी गई. पिछली बार ड्यूटी पर जाने से पहले अमिता ने कहा था कि ड्यूटी पर जा रहा हूं आप ठीक से रहिएगा. आखरी बार फोन पर भी मेरी तबियत के बारे में ही पूछ रहा था. उसे मेरी बहुत चिंता रहती थी. पिता ने बताया कि अमिता की नौकरी से परिवार का खर्च चलता था.
"मैं बीमार रहता हूं, इसलिए मेरे बेटे के शहीद होने की खबर नहीं दी गई. उसे मेरे तबितय की बहुत फिक्र रहती थी. फोन कर पूछा करता था. मेरे बेटे की कमाई से ही परिवार का खर्च चलता था. सरकार सूबे में प्रशासन को और मजबूत करे ताकि आगे किसी बाप को अपने सामने बेटे का चिता न देखना पड़े." -गणेश सिंह, शहीद के पिता