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BPSC 64th Result: दूसरे प्रयास में नादिर को BPSC में मिली सफलता, बने सर्किल ऑफिसर

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Published : Jun 17, 2021, 2:08 PM IST

64वीं बीपीएससी परीक्षा के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं. मुंगेर के चुरंबा निवासी दिवंगत प्रो. हुसैन अयूबी के छोटे पुत्र लाल नादिर आयूबी ने सफलता पाई है. दूसरे प्रयास में उन्हें कामयाबी मिली. पढ़ें पूरी खबर...

Laal Nadir Ayubi passed BPSC exam
Laal Nadir Ayubi passed BPSC exam

मुंगेर: कहते हैं कि कोई भी इंसान अगर सच्चे लगन से काम करें तो निश्चित तौर पर सफलता मिलती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है लाल नादिर अयूबी (Laal Nadir Ayubi) ने. इन्होंने दूसरे प्रयास में 64वीं बीपीएससी परीक्षा (BPSC 64th exam) में 289 रैंक पाकर सर्किल ऑफिसर (Circle Officer) बन अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया है. बेटे की इस कामयाबी पर पूरा परिवार खुशी से फुले नहीं समा रहा है.

यह भी पढ़ें - लिस्ट में अपना नाम देखा तो काजल की आखों में आ गए आंसू , कहा- माता पिता के विश्वास का है यह फल

दरअसल, जिले के चुरंबा निवासी दिवंगत प्रो. हुसैन अयूबी के छोटे पुत्र नादिर आयूबी ने 64वीं लोक सेवा आयोग की परीक्षा में रेवेन्यू डिपार्टमेंट में सर्किल ऑफिसर के तौर पर बहाल हुए हैं. नादिर के रांची से अपने गांव चुरंबा पहुंचते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया. संगठन के सदस्यों ने अयूबी को सम्मानित किया. बड़े भाई ने कहा कि आज अल्पसंख्यक समाज के युवा भी अपना परचम लहरा रहे ये काफी गर्व करने वाली बात है.

देखें वीडियो

युवाओं को मुख्य धारा में लौटेने की अपील
लाल नादिर अयूबी ने बताया कि उसकी प्रारंभिक शिक्षा मुंगेर के एनटीडी से हुआ और उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पढ़ाई करने के बाद रांची में पीएचसी की पढ़ाई के साथ UPSC की तैयारी कर रहा था. इस बार उसने दूसरे प्रयास में बीपीएससी की परीक्षा निकाला है.

"समाज के जो युवा अपने मार्ग से भटक गए और गलत रास्ते पे चले गए, वे भी मुख्य धारा में लौटें. अल्पसंख्यक समाज में आज भी शिक्षा का घोर अभाव है. वे बच्चों को पढ़ाई के दौरान किसी भी चीज की जरूरत होने पर वे उन युवाओं को मदद करेंगे. ताकि उन्हें नेक राह मिल सके." - लाल नादिर अयूबी, बीपीएससी सफल अभ्यर्थी

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नादिर का जोरदार स्वागत
बता दें कि 64वीं बीपीएससी परीक्षा में 289 रैंक पर नादिर के रांची से अपने गांव चुरंबा पहुंचते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया. संगठन के सदस्यों ने अयूबी को सम्मानित किया. बड़े भाई ने कहा कि आज अल्पसंख्यक समाज के युवा भी अपना परचम लहरा रहे हैं, ये काफी गर्व करने वाली बात है. ग्रामीण साह मल्लिक ने बताया कि नादिर की सफलता से हम सभी काफी खुश हैं. समाज के लोगों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को इस ओर जाने के लिए प्रेरित करें.

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मुंगेर: कहते हैं कि कोई भी इंसान अगर सच्चे लगन से काम करें तो निश्चित तौर पर सफलता मिलती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है लाल नादिर अयूबी (Laal Nadir Ayubi) ने. इन्होंने दूसरे प्रयास में 64वीं बीपीएससी परीक्षा (BPSC 64th exam) में 289 रैंक पाकर सर्किल ऑफिसर (Circle Officer) बन अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया है. बेटे की इस कामयाबी पर पूरा परिवार खुशी से फुले नहीं समा रहा है.

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दरअसल, जिले के चुरंबा निवासी दिवंगत प्रो. हुसैन अयूबी के छोटे पुत्र नादिर आयूबी ने 64वीं लोक सेवा आयोग की परीक्षा में रेवेन्यू डिपार्टमेंट में सर्किल ऑफिसर के तौर पर बहाल हुए हैं. नादिर के रांची से अपने गांव चुरंबा पहुंचते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया. संगठन के सदस्यों ने अयूबी को सम्मानित किया. बड़े भाई ने कहा कि आज अल्पसंख्यक समाज के युवा भी अपना परचम लहरा रहे ये काफी गर्व करने वाली बात है.

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युवाओं को मुख्य धारा में लौटेने की अपील
लाल नादिर अयूबी ने बताया कि उसकी प्रारंभिक शिक्षा मुंगेर के एनटीडी से हुआ और उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पढ़ाई करने के बाद रांची में पीएचसी की पढ़ाई के साथ UPSC की तैयारी कर रहा था. इस बार उसने दूसरे प्रयास में बीपीएससी की परीक्षा निकाला है.

"समाज के जो युवा अपने मार्ग से भटक गए और गलत रास्ते पे चले गए, वे भी मुख्य धारा में लौटें. अल्पसंख्यक समाज में आज भी शिक्षा का घोर अभाव है. वे बच्चों को पढ़ाई के दौरान किसी भी चीज की जरूरत होने पर वे उन युवाओं को मदद करेंगे. ताकि उन्हें नेक राह मिल सके." - लाल नादिर अयूबी, बीपीएससी सफल अभ्यर्थी

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नादिर का जोरदार स्वागत
बता दें कि 64वीं बीपीएससी परीक्षा में 289 रैंक पर नादिर के रांची से अपने गांव चुरंबा पहुंचते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया. संगठन के सदस्यों ने अयूबी को सम्मानित किया. बड़े भाई ने कहा कि आज अल्पसंख्यक समाज के युवा भी अपना परचम लहरा रहे हैं, ये काफी गर्व करने वाली बात है. ग्रामीण साह मल्लिक ने बताया कि नादिर की सफलता से हम सभी काफी खुश हैं. समाज के लोगों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को इस ओर जाने के लिए प्रेरित करें.

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