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चंडिका स्थान शक्तिपीठ में पूर्णाहुति करने से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

नौ दिन नवरात्रि के अंतिम दिन चंडिका स्थान शक्तिपीठ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. यहां नवमी के दिन हवन कर पूर्णाहुति करने का विशेष महत्व है.

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Published : Oct 14, 2021, 1:10 PM IST

मुंगेर: भारत के शक्तिपीठों में से एक बिहार के मुंगेर जिले का शक्तिपीठ (Chandika Sthan In Munger) भी प्रसिद्ध है. नवरात्रि के दिनों में इस शक्तिपीठ का महत्व और भी बढ़ जाता है. मान्यता है कि नवमी पूजा के दिन यहां के प्रांगण में हवन कर पूर्णाहुति करने वाले श्रद्धालुओं पर मां चंडिका की कृपा हमेशा बनी रहती है.

इसे भी पढ़ें: Navratri 2021: मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से होती है यश और धन की प्राप्ति

जिले के वासुदेवपुर में स्थापित सिद्ध शक्तिपीठ चंडिका स्थान है. जहां सती के बांयी नेत्र की पूजा होती है. श्रद्धालु 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पूजा के दिन विशेष रूप से मंदिर आते हैं. यहां हवन पूजन कर कन्याओं भोजन कराया जाता है. यहां कुल 100 हवन कुंड है और 50 हजार से अधिक श्रद्धालु हवन करने पहुंचते हैं.

देखें रिपोर्ट.
ये भी पढ़ें: नवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की होती है पूजा, जानें इसका महत्व

जिले के लगभग सभी श्रद्धालु माता चंडिका के दरबार में आकर माथा जरूर टेकते हैं. माता के नेत्र पर जल पुष्प चढ़ाकर हवन में भी भाग लेते हैं. यहां आने का सिलसिला रात 12:00 बजे के बाद ही शुरू हो जाता है. वहीं, माता रानी के दरबार में हाजिरी लगाने और हवन कर पूर्णाहुति करने का कार्यक्रम शाम 4:00 बजे तक निरंतर जारी रहता है.



'नवमी पूजा के दिन चंडिका स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है. आज के दिन विशेष पूजा हो रही है. नवरात्रि का अनुष्ठान करने वाले श्रदालु नवमी के दिन पूर्णाहुति करते हैं. पूर्णाहुति में तिल, गुड़, शहद और हवन सामग्री का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही सभी देवी-देवताओं का आह्वाहन और पूजा कर उन्हें खुश करने की परम्परा है. हवन से वातावरण भी शुद्ध होता है. सभी श्रद्धालु परिवार के साथ हवन में शामिल हो रहे हैं. इसके लिए लगभग 100 से अधिक अस्थाई हवन कुंड बनाए गए है.' -नंदन बाबा, प्रधान पुजारी, चंडिका स्थान

मुंगेर: भारत के शक्तिपीठों में से एक बिहार के मुंगेर जिले का शक्तिपीठ (Chandika Sthan In Munger) भी प्रसिद्ध है. नवरात्रि के दिनों में इस शक्तिपीठ का महत्व और भी बढ़ जाता है. मान्यता है कि नवमी पूजा के दिन यहां के प्रांगण में हवन कर पूर्णाहुति करने वाले श्रद्धालुओं पर मां चंडिका की कृपा हमेशा बनी रहती है.

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जिले के वासुदेवपुर में स्थापित सिद्ध शक्तिपीठ चंडिका स्थान है. जहां सती के बांयी नेत्र की पूजा होती है. श्रद्धालु 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पूजा के दिन विशेष रूप से मंदिर आते हैं. यहां हवन पूजन कर कन्याओं भोजन कराया जाता है. यहां कुल 100 हवन कुंड है और 50 हजार से अधिक श्रद्धालु हवन करने पहुंचते हैं.

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जिले के लगभग सभी श्रद्धालु माता चंडिका के दरबार में आकर माथा जरूर टेकते हैं. माता के नेत्र पर जल पुष्प चढ़ाकर हवन में भी भाग लेते हैं. यहां आने का सिलसिला रात 12:00 बजे के बाद ही शुरू हो जाता है. वहीं, माता रानी के दरबार में हाजिरी लगाने और हवन कर पूर्णाहुति करने का कार्यक्रम शाम 4:00 बजे तक निरंतर जारी रहता है.



'नवमी पूजा के दिन चंडिका स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है. आज के दिन विशेष पूजा हो रही है. नवरात्रि का अनुष्ठान करने वाले श्रदालु नवमी के दिन पूर्णाहुति करते हैं. पूर्णाहुति में तिल, गुड़, शहद और हवन सामग्री का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही सभी देवी-देवताओं का आह्वाहन और पूजा कर उन्हें खुश करने की परम्परा है. हवन से वातावरण भी शुद्ध होता है. सभी श्रद्धालु परिवार के साथ हवन में शामिल हो रहे हैं. इसके लिए लगभग 100 से अधिक अस्थाई हवन कुंड बनाए गए है.' -नंदन बाबा, प्रधान पुजारी, चंडिका स्थान

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