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कृषि कार्य के लिए ड्रोन की खरीद पर मिल रही सब्सिडी, किसानों के चेहरे पर खुशी

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Published : Feb 22, 2022, 7:32 AM IST

किसानों की आय बढ़ाने (increase farmers income) के लिए सरकार कई तरह के कदम उठा रही है. खेती के कार्यों में नयी तकनीकों का इस्तेमाल (Use of new technologies in agriculture)किया जा रहा है जिससे कम समय कार्य संभव हो सके. इसी प्रकार से कृषि कार्य में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर सरकार गंभीर है. किसानों पर ड्रोन की खरीदारी सब्सिडी भी मिलेगी. पढ़ें पूरी खबर.

मुंगेर
मुंगेर

मुंगेर: वैज्ञानिक तरीके से खेती (scientific farming) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं. इसी के तहत अब खेती में ड्रोन के उपयोग (use of drones in agriculture) को लेकर सरकार गंभीर है. ड्रोन से फसलों पर रासायनिक का छिड़काव करने के लिए किसानों को ड्रोन खरीद पर 40% से 100% तक का अनुदान (subsidy on purchase of drones for agricultural work) दे रही है. ड्रोन के माध्यम से कम समय में बेहतर छिड़काव हो जाएगा. इससे समय और श्रम की बचत होगी. इसको लेकर किसानों के चेहरे पर खुशी है.

क्या है ड्रोन तकनीक, कैसे करें इसका उपयोग?
ड्रोन फसलों पर रासायनिक छिड़काव करने का एक साधन है. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ वैज्ञानिक अशोक कुमार ने बताया कि किसान ड्रोन से विभिन्न तरह के रासायनिक का छिड़काव फसल पर कम समय में अधिक भूमि पर कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन से 1 एकड़ फसल पर मात्र 5 मिनट में छिड़काव हो जाता है.

इससे लागत और मानव बल में भी कमी आएगी. इसके अलावा जहां पर मानव रहित छिड़काव करना कठिन एवं अधिक समय लेने के साथ-साथ रसायनों के उपयोग की क्षमता कम होती है, वहां ड्रोन द्वारा छिड़काव बेहतर विकल्प साबित हो रहा है. इससे ऊंचे पेड़, पहाड़ी, ढालू खेत तथा दलदल जमीन पर भी इस ड्रोन द्वारा छिड़काव कम समय में सुलभ तरीके से हो जाएगा.


ये भी पढ़ें: 7 जिलों के किसानों ने सीखे सेब की खेती के गुर, उगा सकते हैं ताइवान का पपीता, बिना बीज वाला नींबू

ड्रोन खरीद पर मिलती है सब्सिडी
इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि केंद्र सरकार कृषि अनुसंधान संस्थान, कृषि प्रसार संस्थान एवं अन्य सरकारी संस्थानों को रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों, रोग नाशक एवं पोषक तत्वों, पौधों पर वृद्धि नियामक के छिड़काव हेतु शत-प्रतिशत अनुदान पर सरकार ड्रोन प्रदान कर रही है. इसके अलावा निबंधित कृषक, उत्पादक कंपनी या निबंधित किसानों के समूह को कृषि कार्य हेतु ड्रोन खरीद पर सरकार 75% अनुदान दे रही है. कृषि यंत्र बैंक के लिए 50% अनुदान दे रही है.

देखें विशेष रिपोर्ट



ड्रोन के प्रकार
ड्रोन मुख्यतः तीन प्रकार के हैं जो खेती में उपयोग किए जा सकते हैं. इनकी कीमत 3 लाख से 15 लाख तक की है. 10 लीटर, 15 लीटर तथा 20 लीटर रासायनिक वाहन की क्षमता वाले ड्रोन भारत में मिल रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने कहा कि 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन को चलाने के लिए डीजीसीसी से लाइसेंस की बाध्यता नहीं होती है. इसके ऊपर क्षमता वाले ड्रोन चलाने एवं रखने के लिए लाइसेंस होना चाहिए.

उन्होंने बताया कि ड्रोन की तकनीक रक्षा, स्वास्थ्य विभाग, फोटोग्राफी कार्य में पहले होता था. अब कृषि कार्य में भी होने से किसानी खेती-किसानी में खूब मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इसका प्रशिक्षण ड्रोन बेचने वाली कंपनी के टेक्नीशियन आकर किसानों को देते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र में भी ड्रोन के बारे में जानकारी दी जा रही है.

ये भी पढ़ें: किसानों के लिए अच्छी खबर: अब समस्तीपुर में सरकारी मदद से कर सकेंगे सेब और रजनीगंधा की खेती

ड्रोन में 16 सौ एमएच का बैटरी सेट होता है. एक बार चार्ज होने पर 3 से 4 घंटे तक छिड़काव खेतों में कर सकता है. इसमें तीन पंखे लगे होते हैं. प्रत्येक पंखे में एक मोटर एक, प्रोपेलर लगा रहता है. एक रडार तथा जीपीएस डिवाइस भी होता है जो छिड़काव के दौरान अवरोधक जैसे तार, पेड़, दीवार आ जाने पर ड्रोन के रास्ते को बदल देता है और इसे पुनः स्थापित कर आगे बढ़ता है. छिड़काव करने से पहले खेत का जीपीएस की सहायता से ड्रोन का पथ निर्धारित कर इसे उड़ाया जाता है. अगर छिड़काव के दौरान बीच में ड्रोन की बैटरी डाउन हो जाए या रसायन खत्म हो जाए तो वापस ड्रोन जब भी उड़ान भरेगा तो जहां से छूटा रहता है, वहीं से ड्रोन ऑटोमेटिक छिड़काव दोबारा प्रारंभ करेगा.

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मुंगेर: वैज्ञानिक तरीके से खेती (scientific farming) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं. इसी के तहत अब खेती में ड्रोन के उपयोग (use of drones in agriculture) को लेकर सरकार गंभीर है. ड्रोन से फसलों पर रासायनिक का छिड़काव करने के लिए किसानों को ड्रोन खरीद पर 40% से 100% तक का अनुदान (subsidy on purchase of drones for agricultural work) दे रही है. ड्रोन के माध्यम से कम समय में बेहतर छिड़काव हो जाएगा. इससे समय और श्रम की बचत होगी. इसको लेकर किसानों के चेहरे पर खुशी है.

क्या है ड्रोन तकनीक, कैसे करें इसका उपयोग?
ड्रोन फसलों पर रासायनिक छिड़काव करने का एक साधन है. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ वैज्ञानिक अशोक कुमार ने बताया कि किसान ड्रोन से विभिन्न तरह के रासायनिक का छिड़काव फसल पर कम समय में अधिक भूमि पर कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन से 1 एकड़ फसल पर मात्र 5 मिनट में छिड़काव हो जाता है.

इससे लागत और मानव बल में भी कमी आएगी. इसके अलावा जहां पर मानव रहित छिड़काव करना कठिन एवं अधिक समय लेने के साथ-साथ रसायनों के उपयोग की क्षमता कम होती है, वहां ड्रोन द्वारा छिड़काव बेहतर विकल्प साबित हो रहा है. इससे ऊंचे पेड़, पहाड़ी, ढालू खेत तथा दलदल जमीन पर भी इस ड्रोन द्वारा छिड़काव कम समय में सुलभ तरीके से हो जाएगा.


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ड्रोन खरीद पर मिलती है सब्सिडी
इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि केंद्र सरकार कृषि अनुसंधान संस्थान, कृषि प्रसार संस्थान एवं अन्य सरकारी संस्थानों को रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों, रोग नाशक एवं पोषक तत्वों, पौधों पर वृद्धि नियामक के छिड़काव हेतु शत-प्रतिशत अनुदान पर सरकार ड्रोन प्रदान कर रही है. इसके अलावा निबंधित कृषक, उत्पादक कंपनी या निबंधित किसानों के समूह को कृषि कार्य हेतु ड्रोन खरीद पर सरकार 75% अनुदान दे रही है. कृषि यंत्र बैंक के लिए 50% अनुदान दे रही है.

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ड्रोन के प्रकार
ड्रोन मुख्यतः तीन प्रकार के हैं जो खेती में उपयोग किए जा सकते हैं. इनकी कीमत 3 लाख से 15 लाख तक की है. 10 लीटर, 15 लीटर तथा 20 लीटर रासायनिक वाहन की क्षमता वाले ड्रोन भारत में मिल रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने कहा कि 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन को चलाने के लिए डीजीसीसी से लाइसेंस की बाध्यता नहीं होती है. इसके ऊपर क्षमता वाले ड्रोन चलाने एवं रखने के लिए लाइसेंस होना चाहिए.

उन्होंने बताया कि ड्रोन की तकनीक रक्षा, स्वास्थ्य विभाग, फोटोग्राफी कार्य में पहले होता था. अब कृषि कार्य में भी होने से किसानी खेती-किसानी में खूब मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इसका प्रशिक्षण ड्रोन बेचने वाली कंपनी के टेक्नीशियन आकर किसानों को देते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र में भी ड्रोन के बारे में जानकारी दी जा रही है.

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ड्रोन में 16 सौ एमएच का बैटरी सेट होता है. एक बार चार्ज होने पर 3 से 4 घंटे तक छिड़काव खेतों में कर सकता है. इसमें तीन पंखे लगे होते हैं. प्रत्येक पंखे में एक मोटर एक, प्रोपेलर लगा रहता है. एक रडार तथा जीपीएस डिवाइस भी होता है जो छिड़काव के दौरान अवरोधक जैसे तार, पेड़, दीवार आ जाने पर ड्रोन के रास्ते को बदल देता है और इसे पुनः स्थापित कर आगे बढ़ता है. छिड़काव करने से पहले खेत का जीपीएस की सहायता से ड्रोन का पथ निर्धारित कर इसे उड़ाया जाता है. अगर छिड़काव के दौरान बीच में ड्रोन की बैटरी डाउन हो जाए या रसायन खत्म हो जाए तो वापस ड्रोन जब भी उड़ान भरेगा तो जहां से छूटा रहता है, वहीं से ड्रोन ऑटोमेटिक छिड़काव दोबारा प्रारंभ करेगा.

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