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गंगा दर्शन योगाश्रम: इस आश्रम से पूरी दुनिया में फैली योग क्रांति, यहां आ चुकी हैं कई हस्तियां - munger latest news

आश्रम की व्यवस्था से मिलने वाली शांति से आकर्षित विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए यहां हर साल हजारों लोग आते हैं. योग विद्या के प्रचार प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है.

Ganga Darshan Yogashram
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Published : Jun 21, 2020, 8:26 PM IST

मुंगेर: रविवार को पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया गया. इस मौके पर मुंगेर योग आश्रम की चर्चा ना करें तो बेमानी होगी. जिले को योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है. विश्व के 200 देशों में यहां से प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षक योग का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. 100 से अधिक देशों में इनकी शाखाएं हैं. कई देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के अलावे कई सेलिब्रिटीज यहां आ चुके हैं.

Ganga Darshan Yogashram
1963 में हुई थी गंगा दर्शन योगाश्रम की स्थापना

स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु शिवानंद सरस्वती के इच्छा अनुसार वर्ष 1963 में उत्तरायण गंगा तट के किनारे पुराने कर्णचौड़ा वाले टीलेनुमा स्थान पर बिहार योग विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. मुंगेर के किला परिसर में पहाड़ी पर स्थित बिहार योग विद्यालय बहुत कम समय मे ही योग संस्कृति की धरोहर बनकर विश्व गौरव का प्रतीक बन गया. पतंजलि और गीता के योग दर्शन पर आधारित यह संस्थान विज्ञान, चिकित्सा और मनोविज्ञान का समन्वय कर आज योग की व्यवहारिक शिक्षा दे रहा है. विश्व के 150 देशों में इसकी शाखाएं हैं. योग को विश्व पटल पर लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है.

Ganga Darshan Yogashram
गंगा किनारे बसा है यह गंगा दर्शन योगाश्रम

गंगा दर्शन के नाम से जाना जाता है यह आश्रम
इस योग आश्रम को गंगा दर्शन के नाम से भी जाना जाता है. यहां 1 महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेड तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं. यहां ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. आश्रम के अपने कायदे कानून हैं. सुबह 3:00 बजे से लेकर रात 8 बजे ही कार्य होते हैं. यहां आने वाले लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. बहुत पहले योग आश्रम को यूजीसी ने दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय की मान्यता देकर इसे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित कराया. लेकिन आश्रम के नियमों को देखते हुए स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने यूजीसी से संबंध विच्छेद कर लिया.

2013 में हुआ था विश्व योग सम्मेलन
मुंगेर योग आश्रम ने 2013 में विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया था. इसमें करीब 70 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. तीन दिवसीय विश्व योग सम्मेलन मुंगेर के पोलो मैदान में हुआ था. इसमें एक लाख से अधिक योग साधक सम्मिलित हुए थे.

मुंगेर
बिहार योग विश्वविद्यालय, मुंगेर

कोने-कोने से यहां आते हैं लोग
आश्रम की व्यवस्था से मिलने वाली शांति से आकर्षित विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए यहां हर साल हजारों लोग आते हैं. योग विद्या के प्रचार प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है. इससे प्रभावित होकर न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई के अलावे कई फिल्मी अभिनेता और राजनेता यहां आ चुके हैं. आश्रम के नजर में सभी सामान साधक होते हैं.

देखें रिपोर्ट

वर्ष 1972 में स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को योग आश्रम का प्रमुख बनाकर उनके गुरु सत्यानंद सरस्वती रिखिया झारखंड चले गए. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की देखरेख में ही योग के सारे कार्य यहां संपादित होते हैं. निरंजनानंद सरस्वती का मानना है कि भारत में योग क्रांति लाना एकमात्र उद्देश्य है.

मुंगेर: रविवार को पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया गया. इस मौके पर मुंगेर योग आश्रम की चर्चा ना करें तो बेमानी होगी. जिले को योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है. विश्व के 200 देशों में यहां से प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षक योग का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. 100 से अधिक देशों में इनकी शाखाएं हैं. कई देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के अलावे कई सेलिब्रिटीज यहां आ चुके हैं.

Ganga Darshan Yogashram
1963 में हुई थी गंगा दर्शन योगाश्रम की स्थापना

स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु शिवानंद सरस्वती के इच्छा अनुसार वर्ष 1963 में उत्तरायण गंगा तट के किनारे पुराने कर्णचौड़ा वाले टीलेनुमा स्थान पर बिहार योग विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. मुंगेर के किला परिसर में पहाड़ी पर स्थित बिहार योग विद्यालय बहुत कम समय मे ही योग संस्कृति की धरोहर बनकर विश्व गौरव का प्रतीक बन गया. पतंजलि और गीता के योग दर्शन पर आधारित यह संस्थान विज्ञान, चिकित्सा और मनोविज्ञान का समन्वय कर आज योग की व्यवहारिक शिक्षा दे रहा है. विश्व के 150 देशों में इसकी शाखाएं हैं. योग को विश्व पटल पर लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है.

Ganga Darshan Yogashram
गंगा किनारे बसा है यह गंगा दर्शन योगाश्रम

गंगा दर्शन के नाम से जाना जाता है यह आश्रम
इस योग आश्रम को गंगा दर्शन के नाम से भी जाना जाता है. यहां 1 महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेड तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं. यहां ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. आश्रम के अपने कायदे कानून हैं. सुबह 3:00 बजे से लेकर रात 8 बजे ही कार्य होते हैं. यहां आने वाले लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. बहुत पहले योग आश्रम को यूजीसी ने दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय की मान्यता देकर इसे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित कराया. लेकिन आश्रम के नियमों को देखते हुए स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने यूजीसी से संबंध विच्छेद कर लिया.

2013 में हुआ था विश्व योग सम्मेलन
मुंगेर योग आश्रम ने 2013 में विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया था. इसमें करीब 70 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. तीन दिवसीय विश्व योग सम्मेलन मुंगेर के पोलो मैदान में हुआ था. इसमें एक लाख से अधिक योग साधक सम्मिलित हुए थे.

मुंगेर
बिहार योग विश्वविद्यालय, मुंगेर

कोने-कोने से यहां आते हैं लोग
आश्रम की व्यवस्था से मिलने वाली शांति से आकर्षित विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए यहां हर साल हजारों लोग आते हैं. योग विद्या के प्रचार प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है. इससे प्रभावित होकर न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई के अलावे कई फिल्मी अभिनेता और राजनेता यहां आ चुके हैं. आश्रम के नजर में सभी सामान साधक होते हैं.

देखें रिपोर्ट

वर्ष 1972 में स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को योग आश्रम का प्रमुख बनाकर उनके गुरु सत्यानंद सरस्वती रिखिया झारखंड चले गए. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की देखरेख में ही योग के सारे कार्य यहां संपादित होते हैं. निरंजनानंद सरस्वती का मानना है कि भारत में योग क्रांति लाना एकमात्र उद्देश्य है.

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