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मुंगेर: प्रसिद्ध साहित्यकार मृदुला झा का निधन, साहित्यकारों में शोक की लहर

मुंगेर में प्रसिद्ध साहित्यकार मृदुला झा का ह्रदय गति रुकने से निधन हो गया. वो पिछले कुछ महीनों से बीमार थीं. बता दें उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.

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प्रसिद्ध साहित्यकार मृदुला झा का आकस्मिक निधन
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Published : Aug 10, 2020, 5:23 PM IST

मुंगेर: जिले की प्रसिद्ध साहित्यकार मृदुला झा का बेलन बाजार स्थित उनके आवास पर देर रात ह्रदय गति रुकने से आकस्मिक निधन हो गया. वो पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं. अंग जनपद की धरोहर में शुमार डॉ. मृदुला झा का अवतरण बेगूसराय की धरा पर 5 दिसम्बर 1946 को हुआ था.

ब्रह्मलोक में हुईं विलीन
चर्चित वन प्रमंडल पदाधिकारी स्मृतिशेष अशर्फी झा से विवाहोपरांत मुंगेर इस दम्पत्ति को इतना भाया कि उन्होंने मुंगेर के बेलन बाजार में अपनी गृहस्थी बसा ली. रविवार 9 अगस्त 2020 को रात 9.45 बजे उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया और ब्रह्मलोक में विलीन हो गईं.

कुछ महीनों से थीं बीमार
पिछले कुछ महीनों से मृदुला दीदी बेहद बीमार थीं और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में कार्यरत उनके एकमात्र पुत्र रत्नेश और पुत्रवधु उनकी सेवा में लगे हुए थे. मृदुला झा को साहित्यकार मृदुला दीदी के नाम से पुकारते थे. उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.

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कई राष्ट्रीय पुरस्कार से किया गया सम्मानित

विद्यावाचस्पति, विद्यासागर, साहित्यसगर, विमल साहित्य सम्राट और शब्द रत्न जैसे मानद उपाधियों से अलंकृत मृदुला दीदी ने अपने राजकीय सेवा से निवृति के बाद साहित्य की अहर्निश सेवा करने की ठानी. एक दशक पूर्व अशरफी झा के महाप्रयाण के उपरांत उन्होंने अपने एकाकीपन को साहित्य के विभिन्न रंगों से रंग दिया.

देश का नाम किया रौशन
मृदुला झा ने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख डालीं. उन्होंने उज्बेकिस्तान, वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड, मॉरीशस, श्रीलंका, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों की साहित्यिक यात्राएं की और सम्मानित हुईं. साथ ही अपने मुल्क का नाम रौशन किया.

साहित्यकारों में शोक की लहर
मृदुला दीदी के आकस्मिक निधन से साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई. साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने कहा कि साहित्य कला के क्षेत्र में मुंगेर जिला से एक अच्छे साहित्यकार अब चले गए. उनकी रचना मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत और सरल होती थीं.

क्या कहते हैं भाजपा जिलाध्यक्ष
भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश जैन ने कहा कि मेरी बहुत सी यादें उनसे जुड़ी हुई हैं. उनकी पुस्तकों का शायद ही कोई लोकार्पण होगा, जिसमें मैं शरीक नहीं होता था. बल्कि वो मुझसे लिखित प्रतिक्रिया की भी जिद किया करती थीं. उनका निधन ना केवल मेरी व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि मुंगेर के साहित्य संसार को मानो किसी घनीभूत अंधेरा ने जकड़ सा लिया है.

मुंगेर: जिले की प्रसिद्ध साहित्यकार मृदुला झा का बेलन बाजार स्थित उनके आवास पर देर रात ह्रदय गति रुकने से आकस्मिक निधन हो गया. वो पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं. अंग जनपद की धरोहर में शुमार डॉ. मृदुला झा का अवतरण बेगूसराय की धरा पर 5 दिसम्बर 1946 को हुआ था.

ब्रह्मलोक में हुईं विलीन
चर्चित वन प्रमंडल पदाधिकारी स्मृतिशेष अशर्फी झा से विवाहोपरांत मुंगेर इस दम्पत्ति को इतना भाया कि उन्होंने मुंगेर के बेलन बाजार में अपनी गृहस्थी बसा ली. रविवार 9 अगस्त 2020 को रात 9.45 बजे उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया और ब्रह्मलोक में विलीन हो गईं.

कुछ महीनों से थीं बीमार
पिछले कुछ महीनों से मृदुला दीदी बेहद बीमार थीं और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में कार्यरत उनके एकमात्र पुत्र रत्नेश और पुत्रवधु उनकी सेवा में लगे हुए थे. मृदुला झा को साहित्यकार मृदुला दीदी के नाम से पुकारते थे. उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.

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कई राष्ट्रीय पुरस्कार से किया गया सम्मानित

विद्यावाचस्पति, विद्यासागर, साहित्यसगर, विमल साहित्य सम्राट और शब्द रत्न जैसे मानद उपाधियों से अलंकृत मृदुला दीदी ने अपने राजकीय सेवा से निवृति के बाद साहित्य की अहर्निश सेवा करने की ठानी. एक दशक पूर्व अशरफी झा के महाप्रयाण के उपरांत उन्होंने अपने एकाकीपन को साहित्य के विभिन्न रंगों से रंग दिया.

देश का नाम किया रौशन
मृदुला झा ने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख डालीं. उन्होंने उज्बेकिस्तान, वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड, मॉरीशस, श्रीलंका, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों की साहित्यिक यात्राएं की और सम्मानित हुईं. साथ ही अपने मुल्क का नाम रौशन किया.

साहित्यकारों में शोक की लहर
मृदुला दीदी के आकस्मिक निधन से साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई. साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने कहा कि साहित्य कला के क्षेत्र में मुंगेर जिला से एक अच्छे साहित्यकार अब चले गए. उनकी रचना मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत और सरल होती थीं.

क्या कहते हैं भाजपा जिलाध्यक्ष
भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश जैन ने कहा कि मेरी बहुत सी यादें उनसे जुड़ी हुई हैं. उनकी पुस्तकों का शायद ही कोई लोकार्पण होगा, जिसमें मैं शरीक नहीं होता था. बल्कि वो मुझसे लिखित प्रतिक्रिया की भी जिद किया करती थीं. उनका निधन ना केवल मेरी व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि मुंगेर के साहित्य संसार को मानो किसी घनीभूत अंधेरा ने जकड़ सा लिया है.

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