पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव की तरह ही तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर उपचुनाव में भी चिराग पासवान (Chirag Paswan) अकेले मैदान में हैं. इस बार भी सीएम नीतीश (CM Nitish Kumar) के प्रत्याशियों को टक्कर देने के लिए उन्होंने कमर कस ली है, लेकिन चुनौतियां इस बार पहले से कहीं ज्यादा कठिन हैं. तारापुर सीट चिराग के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, लिहाजा चिराग के सामने प्रतिष्ठा बचाने की भी चुनौती है.
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यही कारण है कि चिराग पासवान अपने संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीट को बचाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. इसके लिए चिराग लगातार तारापुर विधानसभा क्षेत्र में डोर टू डोर कैंपेनिंग करते नजर आ रहे हैं. लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान अपने प्रत्याशी को जिताने में जुटे हुए हैं. हालांकि, खबर है कि लोजपा प्रत्याशी चंदन कुमार इस चुनाव में उतने सक्रिय नहीं हैं, जितनी अपेक्षा पार्टी और चिराग को उनसे थी.
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बता दें कि इस सीट से चिराग ने इस बार उम्मीदवार बदल दिया है. बिहार विधानसभा 2020 में इस सीट से लोजपा तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी. इधर, कुशेश्वरस्थान सीट से पूनम देवी लोजपा आर. के सिंबल पर चुनावी मैदान में हैं. पूनम देवी पासवान जाति से आती हैं.
यहां ध्यान दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में चिराग पासवान संसदीय क्षेत्र जमुई से एनडीए गठबंधन से चुनाव लड़कर लोजपा के टिकट पर विजयी हुए थे. वे उस दौरान बड़े मार्जिन से आगे रहे थे लेकिन 2020 आते-आते स्थिति बदल गई.
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इस क्षेत्र के तारापुर क्षेत्र समय सभी विधानसभा सीटों पर बड़े मार्जिन से आगे रहे थे लेकिन 2020 आते-आते उनकी अपने संसदीय क्षेत्र में ही हालात खराब हो गई. साल 2020 में लोजपा के टिकट पर तारापुर क्षेत्र से मीना देवी चुनावी मैदान में उतरीं और तीसरे नंबर पर रहीं.
उपचुनाव चिराग पासवान के लिए अग्निपरीक्षा इसलिए भी है कि अगर तारापुर क्षेत्र में चिराग अपनी जीत सुनिश्चित करने या बड़ा वोट बैंक तैयार करने में असफल हो जाते हैं तो आने वाले लोकसभा चुनाव में उनके लिए मुश्कलें और बढ़ सकती हैं. इधर, उनके चाचा पशुपति कुमार पारस भी ये साबित करने में जुट जाएंगे कि रामविलास पासवान का जनाधार चिराग के साथ नहीं बल्कि उनके साथ है.