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100 करोड़ वैगन घोटाले की जांच को लेकर CBI की टीम दोबारा पहुंची मुंगेर, 2 दिनों तक चलेगी कार्रवाई

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Published : Dec 6, 2020, 2:22 PM IST

सौ करोड़ रूपये वैगन घोटाले की जांच को लेकर सीबीआई की टीम ने जमालपुर में दोबारा दस्तक दी. सीबीआई इंस्पेक्टर रुबी चौधरी के नेतृत्व में जमालपुर रेल कारखाना और धोबी घाट स्थित स्क्रैप रखने वाले स्थान पर भी टीम ने जांच की. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जमालपुर पहुंची सीबीआई टीम अगले दो दिनों तक जमालपुर में रहकर ही जांच प्रक्रिया को पूर्ण करेगी.

munger wagon scam
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मुंगेर: सीबीआई इंस्पेक्टर रूबी चौधरी के नेतृत्व में जमालपुर रेल कारखाना और धोबी घाट के स्क्रैप रखने वाले स्थान पर भी टीम ने दोबारा जांच की. जांच दल ने कारखाना से सेवानिवृत्त हुए घोटाले के मुख्य आरोपी एएससी सी. पी. यादव के विभिन्न दस्तावेजों की जांच के साथ ही शहर के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में उनके बैंक अकाउंट को खंगाला. इस दौरान सीबीआई टीम को बैंक अकाउंट से कई जानकारियां भी मिलने की बात बताई जा रही है.

दूसरी बार आई है सीबीआई की टीम
29 नवंबर 2019 को भी सीबीआई के एसपी अभिषेक शांडिल्य ने जमालपुर पहुंचकर घोटाले से जुड़ी जानकारियों के साथ घोटाले को अंजाम दिए जाने वाले धोबीघाट स्थल का निरीक्षण किया था. रेल कारखाना की स्थापना के बाद से 158 सालों में पहली बार भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों ने लगभग 100 करोड़ रुपए का घोटाला किया है. मामले की जांच का जिम्मा पूर्व रेलवे कोलकाता के सीनियर डिप्टी जनरल मैनेजर सह चीफ विजिलेंस अफसर यू के.बल द्वारा सीबीआई को दिया गया था. जिस पर सीबीआई के तत्कालीन एसपी नागेंद्र प्रसाद ने मामला दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू की थी.

एक सौ वैगन के सामान हुए थे गायब
16 अक्टूबर 2017 को वैगन गायब होने के प्रकरण में कोलकाता की विजिलेंस टीम ने 17 अक्टूबर 2017 को पटना सीबीआई को पत्राचार कर जांच का अनुरोध किया . विजिलेंस टीम ने यह बताया कि घोटाला वर्ष 2013 से 2017 के बीच का है. 3220 वैगनों में कुल 100 वैगन को साउथ यार्ड से धोबी घाट लाया गया था. जहां से इन वैगनों के चक्का व अन्य पार्ट्स गायब हुए थे. कहा जाता है कि जमालपुर रेल कारखाना से गायब हुए बैगन के पार्ट्स को कारखाना के कुछ कर्मियों के सहयोग से बाहर निकाला गया था. 4 साल तक धीरे-धीरे वैगन के सामान गायब किए गए थे.

फरवरी 2018 में हुई थी प्राथमिकी
पटना के सीबीआई एसपी नागेंद्र प्रसाद ने प्राथमिकी संख्या 0 2320180A -0004 दिनांक 9 फरवरी 2018 के तहत मामला दर्ज कर थानाध्यक्ष जांचकर्ता के रूप में आशीष कुमार को सौंप दिया था. अब जांच टीम ने रेल के कई अधिकारी कर्मचारियों व प्राइवेट संवेदको की बारी बारी से पूछताछ करनी शुरू कर दी है.

महारानी स्टील्स के अधिकारियों पर भी लगी है आईपीसी की धाराएं
बैगन घोटाले में श्री महारानी स्टील पटना के अज्ञात अधिकारियों और अज्ञात प्राइवेट व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की 120 बी 419 एवं 420 के तहत धाराएं लगाई गई थी. मामले की छानबीन की जा रही है. सीबीआई की टीम ने जांच में क्या कुछ हासिल किया इसकी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है.

मुंगेर: सीबीआई इंस्पेक्टर रूबी चौधरी के नेतृत्व में जमालपुर रेल कारखाना और धोबी घाट के स्क्रैप रखने वाले स्थान पर भी टीम ने दोबारा जांच की. जांच दल ने कारखाना से सेवानिवृत्त हुए घोटाले के मुख्य आरोपी एएससी सी. पी. यादव के विभिन्न दस्तावेजों की जांच के साथ ही शहर के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में उनके बैंक अकाउंट को खंगाला. इस दौरान सीबीआई टीम को बैंक अकाउंट से कई जानकारियां भी मिलने की बात बताई जा रही है.

दूसरी बार आई है सीबीआई की टीम
29 नवंबर 2019 को भी सीबीआई के एसपी अभिषेक शांडिल्य ने जमालपुर पहुंचकर घोटाले से जुड़ी जानकारियों के साथ घोटाले को अंजाम दिए जाने वाले धोबीघाट स्थल का निरीक्षण किया था. रेल कारखाना की स्थापना के बाद से 158 सालों में पहली बार भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों ने लगभग 100 करोड़ रुपए का घोटाला किया है. मामले की जांच का जिम्मा पूर्व रेलवे कोलकाता के सीनियर डिप्टी जनरल मैनेजर सह चीफ विजिलेंस अफसर यू के.बल द्वारा सीबीआई को दिया गया था. जिस पर सीबीआई के तत्कालीन एसपी नागेंद्र प्रसाद ने मामला दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू की थी.

एक सौ वैगन के सामान हुए थे गायब
16 अक्टूबर 2017 को वैगन गायब होने के प्रकरण में कोलकाता की विजिलेंस टीम ने 17 अक्टूबर 2017 को पटना सीबीआई को पत्राचार कर जांच का अनुरोध किया . विजिलेंस टीम ने यह बताया कि घोटाला वर्ष 2013 से 2017 के बीच का है. 3220 वैगनों में कुल 100 वैगन को साउथ यार्ड से धोबी घाट लाया गया था. जहां से इन वैगनों के चक्का व अन्य पार्ट्स गायब हुए थे. कहा जाता है कि जमालपुर रेल कारखाना से गायब हुए बैगन के पार्ट्स को कारखाना के कुछ कर्मियों के सहयोग से बाहर निकाला गया था. 4 साल तक धीरे-धीरे वैगन के सामान गायब किए गए थे.

फरवरी 2018 में हुई थी प्राथमिकी
पटना के सीबीआई एसपी नागेंद्र प्रसाद ने प्राथमिकी संख्या 0 2320180A -0004 दिनांक 9 फरवरी 2018 के तहत मामला दर्ज कर थानाध्यक्ष जांचकर्ता के रूप में आशीष कुमार को सौंप दिया था. अब जांच टीम ने रेल के कई अधिकारी कर्मचारियों व प्राइवेट संवेदको की बारी बारी से पूछताछ करनी शुरू कर दी है.

महारानी स्टील्स के अधिकारियों पर भी लगी है आईपीसी की धाराएं
बैगन घोटाले में श्री महारानी स्टील पटना के अज्ञात अधिकारियों और अज्ञात प्राइवेट व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की 120 बी 419 एवं 420 के तहत धाराएं लगाई गई थी. मामले की छानबीन की जा रही है. सीबीआई की टीम ने जांच में क्या कुछ हासिल किया इसकी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है.

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