ETV Bharat / state

हजरत पीर नाफे शाह के 844 वें दो दिवसीय उर्स मेला का आयोजन, कई कार्यकर्मो का होगा आयोजन - two-day Urs Fair

उर्स मेला को लेकर तीन नफा शाह के मजार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है. विभिन्न धर्म के लोग यहां आते हैं और दुआ मांगते हैं. कहा जाता है कि इस मजार पर जो भी लोग सच्चे मन से पीरबाबा से दुआ मांगते हैं, बाबा उनकी हर मुराद पूरी करते हैं

844th Urs Mela
844th Urs Mela
author img

By

Published : Mar 12, 2020, 8:48 PM IST

Updated : Mar 12, 2020, 8:55 PM IST

मुंगेर: जिला के किला क्षेत्र अंतर्गत पीर नफा शाह मजार पर सालाना दो दिवसीय उर्स मेले की शुरुआत हुई. हजरत पीर नाफ़े साह रहमतुल्ला अलेह का उर्स मेला गुरुवार से शुरू हुआ. हर सार 12 और 13 मार्च को ये उर्स मनाया जाता है. हजरत पीर नाफे शाह रहमतुल्लाह अलैह का इस साल 844 वां उर्स मुबारक कुरान खानी व मिलाद शरीफ के साथ शुरू हुआ. शुक्रवार शाम चादर पोशी होगी साथ ही जायरीन की दुआ भी पढ़ी जाएगी. इस मेले के मद्देनजर मजार पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.

सूफी पीर की शहादत की याद में आयोजित होता है उर्स
गद्दी नशीन सैय्यद मोहम्मद शौकत अली ने बताया कि हजरत पीर नाफे शाह रहमतुल्लाह अलैह बहुत बड़े संत थे. मुंगेर की पहचान भी इनके नाम से होती है. सन 1926 में प्रकाशित मुंगेर गैजेटियर के मुताबिक अजमेर के हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के एक शागिर्द फारस के सूफी पीर नाफ़े साह का असली नाम अबू अवैद है. वे ज्ञान का आलोक बांटते हुए हिजरी सन 596 ई. में मुंगेर पहुंचे और यही बस गए. उसी साल उनकी हिजरी सन 596 ई. यानि सन 1176 में शहादत हो गई. तब से ही हर साल उनकी शहादत पर उर्स मेला का आयोजन किया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मजार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़
उर्स मेला को लेकर तीन नफा शाह के मजार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है. विभिन्न धर्म के लोग यहां आते हैं और दुआ मांगते हैं. कहा जाता है कि इस मजार पर जो भी लोग सच्चे मन से पीरबाबा से दुआ मांगते हैं, बाबा उनकी हर मुराद पूरी करते हैं . इस मौके पर जिला इत्तेहाद कमेटी के संरक्षक जफर अहमद ने बताया कि इस मजार की लोकप्रियता दुनिया भर में है. दूर-दूर देश के लोग यहां मुरादें मांगने आते हैं.

मुंगेर: जिला के किला क्षेत्र अंतर्गत पीर नफा शाह मजार पर सालाना दो दिवसीय उर्स मेले की शुरुआत हुई. हजरत पीर नाफ़े साह रहमतुल्ला अलेह का उर्स मेला गुरुवार से शुरू हुआ. हर सार 12 और 13 मार्च को ये उर्स मनाया जाता है. हजरत पीर नाफे शाह रहमतुल्लाह अलैह का इस साल 844 वां उर्स मुबारक कुरान खानी व मिलाद शरीफ के साथ शुरू हुआ. शुक्रवार शाम चादर पोशी होगी साथ ही जायरीन की दुआ भी पढ़ी जाएगी. इस मेले के मद्देनजर मजार पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.

सूफी पीर की शहादत की याद में आयोजित होता है उर्स
गद्दी नशीन सैय्यद मोहम्मद शौकत अली ने बताया कि हजरत पीर नाफे शाह रहमतुल्लाह अलैह बहुत बड़े संत थे. मुंगेर की पहचान भी इनके नाम से होती है. सन 1926 में प्रकाशित मुंगेर गैजेटियर के मुताबिक अजमेर के हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के एक शागिर्द फारस के सूफी पीर नाफ़े साह का असली नाम अबू अवैद है. वे ज्ञान का आलोक बांटते हुए हिजरी सन 596 ई. में मुंगेर पहुंचे और यही बस गए. उसी साल उनकी हिजरी सन 596 ई. यानि सन 1176 में शहादत हो गई. तब से ही हर साल उनकी शहादत पर उर्स मेला का आयोजन किया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मजार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़
उर्स मेला को लेकर तीन नफा शाह के मजार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है. विभिन्न धर्म के लोग यहां आते हैं और दुआ मांगते हैं. कहा जाता है कि इस मजार पर जो भी लोग सच्चे मन से पीरबाबा से दुआ मांगते हैं, बाबा उनकी हर मुराद पूरी करते हैं . इस मौके पर जिला इत्तेहाद कमेटी के संरक्षक जफर अहमद ने बताया कि इस मजार की लोकप्रियता दुनिया भर में है. दूर-दूर देश के लोग यहां मुरादें मांगने आते हैं.

Last Updated : Mar 12, 2020, 8:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.