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बाढ़ पीड़िता का दर्द : 2006 में बेटा मर गया, इस बार बेटी की शादी का सारा सामान बह गया, क्या करें?

बाढ़ पीड़ित का कहना है कि बेटी की शादी के लिए रखा सारा सामान पानी में बह गया. सरकार की ओर से कोई मदद नहीं दी जा रही है. ऐसे में बेटी की शादी कैसे होगी, इसकी चिंता सता रही है.

शादी का सारा सामान पानी में बह गया
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Published : Jul 27, 2019, 9:38 AM IST

मधुबनी: जिले में आई बाढ़ ने तबाही मचा दी है. खेतों में जलजमाव होने से फसलें भी बर्बाद हो गई. कई प्रखंडों में बाढ़ का पानी घुस गया है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. आलम यह है कि बाढ़ पीड़ितों के पास न तो रहने के लिए घर बचा और न ही खाने के लिए अन्न. ऐसे में ये लोग झोपड़ी लगाकर जैसे-तैसे गुजर बसर कर रहे हैं.

14 जुलाई से आई प्रलयंकारी बाढ़ ने सभी को झकझोर दिया है. मधुबनी जिले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के हरना गांव में लोग भूमिहीन हो गए हैं. सरकारी जमीन पर झुग्गी-झोपड़ी बनाकर परिवार और बच्चों के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं. मजदूरी करके ये अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

madhubani
बाढ़ पीड़ित

बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीण
हरना गांव के निवासी सरदे आलम की मानें तो जिंदगी ही उजड़ गई है. सरदे आलम अपने परिवार के साथ कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर प्लास्टिक का तंबू लगाकर जीवन बसर कर रहे हैं. जिले में आई बाढ़ ने उनके घर को धाराशाही कर दिया. जिसके बाद पूरा परिवार कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर शरण लिए हुए है. बता दें कि इनका घर 2006 और 2017 में आई बाढ़ में धाराशाही हो गया था. 2006 के ही बाढ़ में इनके एक बेटे की नदी में डूबने से मौत हो गई थी.

शादी का सामान पानी में बह गया
बाढ़ पीड़ित का कहना है कि इन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा अभी तक नहीं मिल पाई है. यह परिवार दाने-दाने का मोहताज हैं. मजदूरी कर जैसे-तैसे ये अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं. सबसे बड़ी विडंबना यह है की बेटी की शादी के लिए रखा सामान भी बाढ़ में बह गया. ऐसे में अब इन्हें चिंता सता रही है कि अब बेटी की शादी कैसे होगी?

बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीण

सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
यह परिवार प्रशासन की उपेक्षा के कारण बेजार जिंदगी जीने को मजबूर है. इन्हें किसी भी जनप्रतिनिधि या सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ में इनका नुकसान होता है लेकिन कोई अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आता. राहत के नाम पर बस इन्हें प्लास्टिक दिया गया है. खाने का कोई प्रबंध नहीं है. कई बार तो ऐसा होता है कि ये लोग दो-दो दिन भूखे रह जाते हैं. सरकार बस 6 हजार देने का ढ़िढोरा पीट रही है. लेकिन वास्तविकता कुछ अलग ही है.

कैसे होगी बेटी की शादी?
लोगों का कहना है कि बाढ़ के कारण ये लोग खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. इस साल बाढ़ में इन्हें काफी क्षति हुई है. सीओ अगर कुछ बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद भी भेजते हैं तो वो सभी को नहीं मिलता. कुछ लोगों को मदद दी जाती है और बाकी की राशि का बंदरबांट किया जाता है. ऐसे में बेटी की शादी की चिंता होना लाजमी है. हालांकि स्थानीय लोगों ने इनकी बेटी की शादी के लिए चंदा इकट्ठा कर मदद करने की बात कही है.

मधुबनी: जिले में आई बाढ़ ने तबाही मचा दी है. खेतों में जलजमाव होने से फसलें भी बर्बाद हो गई. कई प्रखंडों में बाढ़ का पानी घुस गया है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. आलम यह है कि बाढ़ पीड़ितों के पास न तो रहने के लिए घर बचा और न ही खाने के लिए अन्न. ऐसे में ये लोग झोपड़ी लगाकर जैसे-तैसे गुजर बसर कर रहे हैं.

14 जुलाई से आई प्रलयंकारी बाढ़ ने सभी को झकझोर दिया है. मधुबनी जिले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के हरना गांव में लोग भूमिहीन हो गए हैं. सरकारी जमीन पर झुग्गी-झोपड़ी बनाकर परिवार और बच्चों के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं. मजदूरी करके ये अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

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बाढ़ पीड़ित

बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीण
हरना गांव के निवासी सरदे आलम की मानें तो जिंदगी ही उजड़ गई है. सरदे आलम अपने परिवार के साथ कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर प्लास्टिक का तंबू लगाकर जीवन बसर कर रहे हैं. जिले में आई बाढ़ ने उनके घर को धाराशाही कर दिया. जिसके बाद पूरा परिवार कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर शरण लिए हुए है. बता दें कि इनका घर 2006 और 2017 में आई बाढ़ में धाराशाही हो गया था. 2006 के ही बाढ़ में इनके एक बेटे की नदी में डूबने से मौत हो गई थी.

शादी का सामान पानी में बह गया
बाढ़ पीड़ित का कहना है कि इन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा अभी तक नहीं मिल पाई है. यह परिवार दाने-दाने का मोहताज हैं. मजदूरी कर जैसे-तैसे ये अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं. सबसे बड़ी विडंबना यह है की बेटी की शादी के लिए रखा सामान भी बाढ़ में बह गया. ऐसे में अब इन्हें चिंता सता रही है कि अब बेटी की शादी कैसे होगी?

बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीण

सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
यह परिवार प्रशासन की उपेक्षा के कारण बेजार जिंदगी जीने को मजबूर है. इन्हें किसी भी जनप्रतिनिधि या सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ में इनका नुकसान होता है लेकिन कोई अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आता. राहत के नाम पर बस इन्हें प्लास्टिक दिया गया है. खाने का कोई प्रबंध नहीं है. कई बार तो ऐसा होता है कि ये लोग दो-दो दिन भूखे रह जाते हैं. सरकार बस 6 हजार देने का ढ़िढोरा पीट रही है. लेकिन वास्तविकता कुछ अलग ही है.

कैसे होगी बेटी की शादी?
लोगों का कहना है कि बाढ़ के कारण ये लोग खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. इस साल बाढ़ में इन्हें काफी क्षति हुई है. सीओ अगर कुछ बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद भी भेजते हैं तो वो सभी को नहीं मिलता. कुछ लोगों को मदद दी जाती है और बाकी की राशि का बंदरबांट किया जाता है. ऐसे में बेटी की शादी की चिंता होना लाजमी है. हालांकि स्थानीय लोगों ने इनकी बेटी की शादी के लिए चंदा इकट्ठा कर मदद करने की बात कही है.

Intro:बाढ़ में बेटा खोने के साथ जिंदगी हुआ बर्बाद मधुबनी


Body:मधुबनी
14 जुलाई को आई प्रलयंकारी बाढ़ एक परिवार को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। यह परिवार भूमिहीन परिवार है सरकारी जमीन पर फुस का घर बना कर परिवार बच्चों के साथ जीवन यापन करने को मजबूर हैं।और मजदूरी कर परिवार को जीवन यापन करता है। मामला अंधराठाढ़ी प्रखंड के हरना गांव की है जहां सरदे आलम नाम का व्यक्ति की जिंदगी ही मानो उजड़ गई है सरदे आलम अपने आप बच्चों के साथ कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर प्लास्टिक के नीचे जीवन बसर करने को मजबूर है । 14 जुलाई को आई प्रलयंकारी बाढ़ ने उसके बने घर को धारा शाही कर दिया और पूरे परिवार भागकर कमला बलान के पूर्वी तटबंध पर शरण ले रखा है। बता दे कि इनका झोपड़ीनुमा घर 2006 और 2017 में आई बाढ़ में धारा शाही हो गया था और 2006 के ही बाढ़ में इनका एक बेटा भी नदी की धारा में डूब कर मर गया था इन्हें किसी प्रकार का सरकारी सुविधा अभी तक नहीं मिल पाई है दाने-दाने को मोहताज यह परिवार तरस रहा है ।मजदूरी कर कर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहा है सबसे बड़ी विडंबना इस बार यह है की बेटी के शादी के लिए रखा सामान बाढ़ में बह गया।8 संतान है जिसमे दो बेटा हैं दोनों बेटा पांच बेटी दिव्यांग है गूंगी है वह कुछ बोल नहीं पाती आठवीं बेटी स्वस्थ से जिसका बड़े अरमान से 16 अगस्त को शादी करने वाला था लेकिन कुदरत का ऐसा प्रहार हुआ जो घर के साथ पैसे पैसे को जोड़कर बिटिया की शादी और दहेज के लिए जुटाए समान भी सारा बाढ़ में बह गया और चिंता सता रही है जो कैसे शादी करने का सामान का जुगाड़ करूंगा और कैसे लड़की की शादी हो पाएगी ।यह परिवार शासन प्रशासन की उपेक्षा के कारण बेजार जिंदगी जीने को मजबूर है इन्हें किसी भी जनप्रतिनिधि या सरकार के द्वारा कोई सुविधा अभी तक एक प्लास्टिक छोड़कर नहीं मिल पाया है ।स्थानीय लोगों ने बताया इसका तो जिंदगी ही बर्बाद हो चुकी है सरकारी जमीन पर घर बना कर जीवन यापन करता था वह भी घर बह गया है इससे पहले भी घर बाढ़ में डूब गया था फिर मजदूरी कर कर के परिवार का भरण पोषण करता है और प्लास्टिक टांग कर जिंदगी बिता रहा है सरकार के द्वारा किसी भी तरह का कोई सुविधा नहीं मिल पाया है ना ही मुखिया प्रमुख या सरकारी कोई अधिकारी इस क्षेत्र में आकर कोई सुविधा दिया है आखिरकार हम लोग चंदा करके इनकी बछिया को शादी करवाने का प्रयास करेंगे यह परिवार अपने किस्मत को कोस रहा है।सरकार के हवा हवाई का शिकार हैं यह परिवार।
बाइट स्थानीय लोग
राज कुमार झा,मधुबनी


Conclusion:
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