मधुबनी: बिहार पर बाढ़ का प्रकोप कोई नई समस्या नहीं है. इसके बावजूद प्रशासन मानों कुंभकरण की नींद सोया हुआ है. कमाल बलान नदी अभी से अपने उफान की आहट दे रही है और सरकारी तैयारी का हाल यह है कि तटबंध टूटे हुए हैं, कहीं दरार तो कहीं बड़े-बड़े छेद व सुरंगे हैं.
35 लोगों ने गंवाई थी जान
इन सबको देखते हुए ग्रामीण काफी भयभीत हैं. पिछले साल आई बाढ़ का दर्द और दंश ये अभी तक भूले नहीं हैं. तब 35 लोगों की मौत हो गई थी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. इसके अलावा न जाने कितने लोगों के आशियाने उजड़ गए थे.
अब फिर से इन्हें यही खौफ सता रहा है क्योंकि प्रशासन ने इन्हें बचाने के लिए कोई रणनीति नहीं बना रखी है. कमला बलान नदी का पूर्वी तटबंध क्षतिग्रस्त है. बांध में कई जगहों पर रेनकट और सुरंगें हो चुकी हैं. जिले के परतापुर, इस्लामपुर, महरैल, भड़ुआर में रेनकट से बांध खतरे में हैं.
13 जगहों से जर्जर है बांध
नदी में पानी का दबाव बढ़ने से तटबंध कभी भी टूट सकता है, जबकि पिछले साल बांध की मरम्मत पर सवा सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. उसके उपरांत जिले में कई अन्य जगहों पर भी कमला बलान नदी का तटबंध टूटा हुआ है.
अभी तक किसी भी प्रकार का रेनकट भरने या मरम्मत कार्य की शुरुआत नहीं की गई है. अब लोगों में खौफ है कि नदी में जलधारा भरते ही दर्जनों गांवों को अपने आगोश में ले लेगी. खासकर परतापुर, कन्हौली, महरैल, झंझारपुर, सूखेत, बेलाराही सहित दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे. ग्रामीणों ने बताया पिछले वर्ष कमला बलान नदी का रौद्र रूप देखने को मिला था. उसी परतापुर घाट के समीप 13 जगहों पर बांध जर्जर हालत में रहा लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी कान में तेल डालकर बैठे रहे.
'बारिश में बनेगा बांध'
वहीं, जल संसाधन विभाग के जेई अमरेंद्र कुमार ने बताया 15 जून के बाद बांध मरम्मत का कार्य किया जाएगा, जबकि बिहार में 15 जून के बाद मॉनसून आ जाता है. आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि मॉनसून आने के बाद बांध मरम्मत का कार्य कैसे होगा?