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Mahashivratri: विद्यापति के यहां काम करते थे भोलेनाथ.. मधुबनी के उगना महादेव मंदिर का है विशेष महत्व - मधुबनी में उगना महादेव मंदिर

बिहार के मधुबनी का उगना महादेव मंदिर आस्था का केंद्र है. महाशिवरात्रि के मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया. उगना महादेव मंदिर का इतिहास कवि विद्यापति से जुड़ा है. ऐसी मान्यता है कि भगवान महादेव विद्यापति के यहां काम करते थे. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Feb 18, 2023, 5:37 PM IST

मधुबनी का उगना महादेव मंदिर

मधुबनीः बिहार के मधुबनी में उगना महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. जलाभिषेक करने के लिए उमड़े श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव का जयकारा लगाए. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है. उगना महादेव मंदिर तका इतिहास काफी पुराना है. मान्यता है कि भगनाव शंकर कवि विद्यापति को दर्शन दिए थे. तभी से यहां भगवान उगना महादेव का मंदिर है. इसके पीछे लंबी कहानी है, जो आज भी लोगों की आस्था से जुड़ी है.

यह भी पढ़ेंः Mahashivratri : छपरा में निकाली गई आकर्षक शिव बारात, भूत-प्रेत के साथ झूमे श्रद्धालु

विद्यापति के यहां नौकरी करते थे महादेवः ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर स्वयं उगना के रूप में विद्यापति के यहां नौकरी की थी. विद्यापति विस्फी गांव के रहने वाले थे. कवि होने के साथ-साथ विद्यापति भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त भी थे. इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव इनके घर नौकर बनकर रहने की इच्छा की. भगवान शिव एक दिन एक गरीब का वेष बनाकर विद्यापति के घर पहुंचे थे. विद्यापति को महादेव ने अपना नाम उगना बताया. उन्होंने उनके यहां नौकरी करने की इच्छा जताई थी.

विद्यापति को प्यास लगने पर गंगा जल पिलाएः विद्यापति जी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उन्होंने उगना महादेव को नौकरी पर रखने से मना कर दिया. इसके बाद महादेव ने दो वक्त की रोटी पर ही तैयार हो गए. विद्यापति की पत्नी सुशीला ने उन्हें नौकरी पर रखने के लिए कहा तो विद्यापति ने हां कर दी. एक दिन विद्यापति उगना के साथ कहीं जा रहे थे. भीषण गर्मी के कारण उन्हें प्यास लगी तो उन्होंने उगना से पानी मांगा. बीच जंगल में पानी नहीं था. तो उगना महादेव ने चुपके से उन्हें अपनी जटा से गंगा जल दे दिया.

भक्ति से प्रसन्न होकर दिया दर्शनः विद्यापति ने गंगाजल पिए तो उन्हें पता चल गया कि ये पानी का स्वाद नहीं है. इसके बाद विद्यापति ने उगना से उनकी पहचान पूछने लगे, जिसके बाद उगना ने बताया कि वे भगवान शंकर हैं. महादेव ने कहा कि आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर आया हूं. लेकिन यह बात आप किसी से नहीं बताना. इसके बाद दोनों घर के लिए चल दिए. एक दिन विद्यापति की पत्नी सुशीला ने चूल्हे की लकड़ी लेकर उगना की पिटाई करने लगी. इतने में विद्यापति के मुख से निकल गया कि ये भगवान शंकर हैं. इतना सुनते ही भगवान विद्यापति के घर से अंतर्ध्यान हो गए.

लोगों का आस्था जुड़ा हैः विद्यापति वन वन भटकने लगे तो फिर महादेव प्रसन्न होकर विद्यापति को दर्शन दिए. महादेव ने कहा कि अब मैं यहां नहीं रह सकता लेकिन शिवलिंग के रूप में मैं यहां अवश्य रहूंगा. उसी समय से भवानीपुर में उगना महादेव अवस्थित है. महाशिवरात्रि के मौके पर हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने के लिए उमड़ते हैं. उगना महादेव मंदिर से लोगों का आस्था जुड़ा हुआ है. शनिवार को भगवान उगना महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया.

"उगना महादेव स्वयं यहां अवस्थित हैं. जो भी भक्त श्रद्धालु मनोकामना से यहां आते हैं, उगना महादेव मनोकामना को पूर्ण करते हैं. मधुबनी ही नहीं कई राज्य और पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रावण, महाशिवरात्रि, नरक निवारण चतुर्दशी के दिन विशेष भक्तों का सैलाब उमड़ता है." -मनोज झा, ग्रामीण

मधुबनी का उगना महादेव मंदिर

मधुबनीः बिहार के मधुबनी में उगना महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. जलाभिषेक करने के लिए उमड़े श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव का जयकारा लगाए. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है. उगना महादेव मंदिर तका इतिहास काफी पुराना है. मान्यता है कि भगनाव शंकर कवि विद्यापति को दर्शन दिए थे. तभी से यहां भगवान उगना महादेव का मंदिर है. इसके पीछे लंबी कहानी है, जो आज भी लोगों की आस्था से जुड़ी है.

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विद्यापति के यहां नौकरी करते थे महादेवः ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर स्वयं उगना के रूप में विद्यापति के यहां नौकरी की थी. विद्यापति विस्फी गांव के रहने वाले थे. कवि होने के साथ-साथ विद्यापति भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त भी थे. इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव इनके घर नौकर बनकर रहने की इच्छा की. भगवान शिव एक दिन एक गरीब का वेष बनाकर विद्यापति के घर पहुंचे थे. विद्यापति को महादेव ने अपना नाम उगना बताया. उन्होंने उनके यहां नौकरी करने की इच्छा जताई थी.

विद्यापति को प्यास लगने पर गंगा जल पिलाएः विद्यापति जी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उन्होंने उगना महादेव को नौकरी पर रखने से मना कर दिया. इसके बाद महादेव ने दो वक्त की रोटी पर ही तैयार हो गए. विद्यापति की पत्नी सुशीला ने उन्हें नौकरी पर रखने के लिए कहा तो विद्यापति ने हां कर दी. एक दिन विद्यापति उगना के साथ कहीं जा रहे थे. भीषण गर्मी के कारण उन्हें प्यास लगी तो उन्होंने उगना से पानी मांगा. बीच जंगल में पानी नहीं था. तो उगना महादेव ने चुपके से उन्हें अपनी जटा से गंगा जल दे दिया.

भक्ति से प्रसन्न होकर दिया दर्शनः विद्यापति ने गंगाजल पिए तो उन्हें पता चल गया कि ये पानी का स्वाद नहीं है. इसके बाद विद्यापति ने उगना से उनकी पहचान पूछने लगे, जिसके बाद उगना ने बताया कि वे भगवान शंकर हैं. महादेव ने कहा कि आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर आया हूं. लेकिन यह बात आप किसी से नहीं बताना. इसके बाद दोनों घर के लिए चल दिए. एक दिन विद्यापति की पत्नी सुशीला ने चूल्हे की लकड़ी लेकर उगना की पिटाई करने लगी. इतने में विद्यापति के मुख से निकल गया कि ये भगवान शंकर हैं. इतना सुनते ही भगवान विद्यापति के घर से अंतर्ध्यान हो गए.

लोगों का आस्था जुड़ा हैः विद्यापति वन वन भटकने लगे तो फिर महादेव प्रसन्न होकर विद्यापति को दर्शन दिए. महादेव ने कहा कि अब मैं यहां नहीं रह सकता लेकिन शिवलिंग के रूप में मैं यहां अवश्य रहूंगा. उसी समय से भवानीपुर में उगना महादेव अवस्थित है. महाशिवरात्रि के मौके पर हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने के लिए उमड़ते हैं. उगना महादेव मंदिर से लोगों का आस्था जुड़ा हुआ है. शनिवार को भगवान उगना महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया.

"उगना महादेव स्वयं यहां अवस्थित हैं. जो भी भक्त श्रद्धालु मनोकामना से यहां आते हैं, उगना महादेव मनोकामना को पूर्ण करते हैं. मधुबनी ही नहीं कई राज्य और पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रावण, महाशिवरात्रि, नरक निवारण चतुर्दशी के दिन विशेष भक्तों का सैलाब उमड़ता है." -मनोज झा, ग्रामीण

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