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मधुबनी में विराजते हैं शिव के 11 रूप, दर्शन के लिए विदेश से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु

मंगरौनी एकादश रूद्र शिव मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक ही वेदी पर ग्यारह शिवलिंग स्थापित हैं. यह अपने आप में अद्वितीय है.

शिव मंदिर
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Published : Aug 12, 2019, 7:55 AM IST

मधुबनी: आज सावन के पवित्र महीने का आखिरी सोमवार है. इस मौके पर शिवालयों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी है. यूं तो मिथिलांचल में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं. लेकिन, मधुबनी के मंगरौनी एकादश रूद्र शिव मंदिर का अपना एक खास महत्व है. यह मंदिर अपने आप में अनूठा है.

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पूजा करते शिव भक्त

मंगरौनी एकादश रूद्र शिव मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक ही वेदी पर ग्यारह शिवलिंग स्थापित हैं. यह अपने आप में अद्वितीय है. लिहाजा, सावन के पवित्र महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. पड़ोसी राज्य नेपाल के लोग भी इसके दर्शन के लिए पहुंचते हैं

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शिव मंदिर का अद्भुत नजारा

क्या है मंदिर की मान्यता?
इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि एकादश रूद्र की पूजा करने से ग्यारह गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है. मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के मंगरौनी स्थित प्रसिद्ध मंदिर में एक ही वेद पर शिव के ग्यारह रूपों का स्थापित किया गया है. यह झलक विश्व के किसी कोने में देखने को नहीं मिलती है. केवल सावन ही नहीं बल्कि सालों भर यहां श्रद्धालुओं की तांता लगा रहता है.

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आत्माराम, मंदिर पुजारी

इन 11 रुपों की होती है पूजा
बता दें कि लगभग आठ फुट लंबे और पांच फुट चौड़ाई में बनी एक ही पीठिका(जलढरी) पर शिव के 11 रूपों के रूप में 11 शिवलिंग स्थापित हैं. इसकी स्थापना साल 1953 में प्रसिद्ध तांत्रिक मुनीश्वर झा ने की थी. यहां स्थापित सभी शिवलिंग काले ग्रेनाइट पत्थर के हैं. इन शिवलिंगों में महादेव, शिव, रूद्र, शंकर, नीललोहित, ईशान, विजय, भीम, देवदेव, भवोदभव और कपाली हैं. लोगों की मानें तो यह शिवलिंग 200 साल पुराने हैं.

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श्रद्धालु

हर सोमवार होती है विशेष पूजा
हर सोमवार को यहां पंचामृत, चंदन से इन शिवलिंगों का स्नान और श्रृंगार होता है. कहा जाता है कि यहां का प्रसाद खाने से सभी शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं. इस मंदिर में कांची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी आकर पूजा कर चुके हैं. इन शंकराचार्यों ने भी यहां की महिमा का भरपूर बखान किया था.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

पूजा से पूरी होती है हर मुराद
लोगों का कहना है कि एकादश रूद्र की पूजा-अर्चना करने से ग्यारह फलों की प्राप्ति होती है. लिहाजा, शंकराचार्य समेत कई नामचीन हस्तियां बाबा एकादश रूद्र के मुरीद हैं. गौरतलब है कि इस मंदिर में केवल देशभर के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. कई नामचीन हस्तियां जैसे गिरिराज सिंह, लालू प्रसाद यादव भी जब मधुबनी दौरे पर आते हैं तो बाबा के दरबार में हाजिरी जरूर लगाते हैं.

मधुबनी: आज सावन के पवित्र महीने का आखिरी सोमवार है. इस मौके पर शिवालयों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी है. यूं तो मिथिलांचल में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं. लेकिन, मधुबनी के मंगरौनी एकादश रूद्र शिव मंदिर का अपना एक खास महत्व है. यह मंदिर अपने आप में अनूठा है.

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पूजा करते शिव भक्त

मंगरौनी एकादश रूद्र शिव मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक ही वेदी पर ग्यारह शिवलिंग स्थापित हैं. यह अपने आप में अद्वितीय है. लिहाजा, सावन के पवित्र महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. पड़ोसी राज्य नेपाल के लोग भी इसके दर्शन के लिए पहुंचते हैं

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शिव मंदिर का अद्भुत नजारा

क्या है मंदिर की मान्यता?
इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि एकादश रूद्र की पूजा करने से ग्यारह गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है. मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के मंगरौनी स्थित प्रसिद्ध मंदिर में एक ही वेद पर शिव के ग्यारह रूपों का स्थापित किया गया है. यह झलक विश्व के किसी कोने में देखने को नहीं मिलती है. केवल सावन ही नहीं बल्कि सालों भर यहां श्रद्धालुओं की तांता लगा रहता है.

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आत्माराम, मंदिर पुजारी

इन 11 रुपों की होती है पूजा
बता दें कि लगभग आठ फुट लंबे और पांच फुट चौड़ाई में बनी एक ही पीठिका(जलढरी) पर शिव के 11 रूपों के रूप में 11 शिवलिंग स्थापित हैं. इसकी स्थापना साल 1953 में प्रसिद्ध तांत्रिक मुनीश्वर झा ने की थी. यहां स्थापित सभी शिवलिंग काले ग्रेनाइट पत्थर के हैं. इन शिवलिंगों में महादेव, शिव, रूद्र, शंकर, नीललोहित, ईशान, विजय, भीम, देवदेव, भवोदभव और कपाली हैं. लोगों की मानें तो यह शिवलिंग 200 साल पुराने हैं.

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श्रद्धालु

हर सोमवार होती है विशेष पूजा
हर सोमवार को यहां पंचामृत, चंदन से इन शिवलिंगों का स्नान और श्रृंगार होता है. कहा जाता है कि यहां का प्रसाद खाने से सभी शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं. इस मंदिर में कांची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी आकर पूजा कर चुके हैं. इन शंकराचार्यों ने भी यहां की महिमा का भरपूर बखान किया था.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

पूजा से पूरी होती है हर मुराद
लोगों का कहना है कि एकादश रूद्र की पूजा-अर्चना करने से ग्यारह फलों की प्राप्ति होती है. लिहाजा, शंकराचार्य समेत कई नामचीन हस्तियां बाबा एकादश रूद्र के मुरीद हैं. गौरतलब है कि इस मंदिर में केवल देशभर के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. कई नामचीन हस्तियां जैसे गिरिराज सिंह, लालू प्रसाद यादव भी जब मधुबनी दौरे पर आते हैं तो बाबा के दरबार में हाजिरी जरूर लगाते हैं.

Intro:Body:मधुबनी
सावन के पवित्र महीना के तीसरी सोमवारी है। श्रद्धालुओं की भीड़ शिवालय में उमड़ पड़ी है ! मिथिलांचल में कई प्रसिद्ध शिवालय है ! जिसमे से मंगरौनी एकादश रूद्र शिव मंदिर एक ख़ास मंदिर है ! एक ही वेदी पर ग्यारह शिवलिंग लिंग अपने आप में अद्वितीय है ! लिहाजा सावन के पवित्र महीनों में श्रद्धालुओं की भीड़ यहाँ पर जुटी रहती है ! ऐसी मान्यता है की एकादश रूद्र की पूजा करने से ग्यारह गुना फलों की प्राप्ति होती है !मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के मंगरौनी स्थित प्रसिद्ध एकादस रूद्र मंदिर ! एक ही वेद पर शिव के ग्यारह रूपों का स्थापित किया गया है ! जो और कहीं देखने को नही मिलता है ! न केवल सावन बल्कि सालों भर श्रद्धालुओं की तांता लगा रहता है ! एकादस रूद्र के पूजा अर्चना करने से ग्यारह फलों की प्राप्ति होती है ! बाबा एकादस रूद्र की पूजन से न जाने कितने श्रद्धालुओं ने मन की मुराद पाई है ! लिहाजा शंकरचार्ज समेत कई नामचीन हस्तियां बाबा एकादस रूद्र के मुरीद है ! बाबा एकादस रूद्र के पूजन करने से न जाने कितने भक्तों की दुखों से मुक्ति मिली है ! यही वजह है की यहाँ सालों भर देश - विदेश के श्रद्धालुओं आते रहते हैं ! बाबा एकादस रूद्र के अराधनों से मनो वांछित फलों की प्राप्ति होती है ! कई राजनीतिक हस्तियां बाबा एकादस रुद्र के मुरीद है ।गिरिराज सिंह, लालू प्रसाद यादव, जब भी मधुबनी दौरे पर आते हैं तो बाबा के दरबार में हाजिरी जरूर लगाते हैं।
बाइट संदीप झा ,श्रद्धालु
बाइट जितेंद्र कुमार श्रद्धालु
बाइट आत्मा राम,पुजारी एकादश रुद्र
राज कुमार झा,मधुबनी Conclusion:
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