मधुबनी: सुखेत गांव के लोगों को कचरे के बदला गैस देने की योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना का शुरुआत डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने की है. इस मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इस मौके पर डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव को मिथिला रीति रिवाज के अनुसार पाग, दुपट्टा और मखाना का माला पहनाकर सम्मानित किया गया. वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना को शुरू करना, उनके सपने के सच होने जैसा है. इस योजना से ना सिर्फ गांव में सफाई रहेगी बल्कि पूरे गांव की खाद की जरूरत भी पूरी हो जाएगी. इस योजना से गांव के 14-15 लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
कचरे से खाद बनाकर की जाएगी बिक्री
बता दें कि गांव में हर परिवार को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए सभी घरों में हरा और नारंगी रंग का डस्टबिन दिया गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय की ओर से घर-घर जाकर कचरे का उठाव भी किया जा रहा है. हालांकि अब कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाकर उसकी बिक्री की जाएगी. वहीं, गांव के कचरे के बदले लोगों को 2 महीने में एक एलपीजी सिलेंडर दिया जाएगा. साथ ही सब्सिडी भी खाते में ही जाएगा.
महिलाओं को धुआं से मिलेगी मुक्ती
इसके अलावा डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि गोबर से खाद बनाया जाएगा. वहीं, एलपीजी के उपयोग से गांव में खाना बनाने वाली महिलाओं को धुंआ से मुक्ति मिलेगी. उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा.
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युवाओं को उद्यम के रूप में अपनाने की अपील
इसके अलावा विश्वविद्यालय के सूचना पदाधिकारी डॉ. कुमार राज वर्धन ने कहा कि कचरे से कमाई योजना विश्वविद्यालय देवघर मंदिर, मुजफ्फरपुर बाबा गरीब नाथ मंदिर और विश्वविद्यालय परिसर में चल रहा है. इससे लाखों रुपये की आमदनी हो रही है. अगर गांव के युवा इसे उद्यम के रूप में अपनाए तो अच्छा मुनाफा होगा.