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माहवारी दिवस पर महिला रोग विशेषज्ञ ने दी जानकारी, कहा- लोगों को जागरूक करने की जरूरत - माहवारी दिवस पर मधुबनी की डॉक्टर ने दी जानकारी

विश्व माहवारी और स्वच्छता दिवस पर स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवृति मिश्रा ने कहा कि लोगों को इसको लेकर जागरूक होने की जरूरत है.

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Published : May 27, 2020, 11:55 PM IST

Updated : May 28, 2020, 4:01 PM IST

मधुबनी: पूरे विश्व में साल 2014 से 28 मई को “विश्व माहवारी और स्वच्छता दिवस” मनाया जाता है. इसको मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी गलत अवधारणा को दूर करना है. साथ ही महिलाओं और किशोरियों को माहवारी प्रबंधन संबंधी सही जानकारी देना है. महिलाओं और किशोरियों मे मासिक धर्म को लेकर फैली भ्रांतियां उनके गंभीर बीमारी की वजह है. माहवारी के मिथक और शर्म को तोड़ने के लिए पूरे विश्व में 28 मई को विश्व मासिक धर्म दिवस मनाया जाता है.

क्या है माहवारी
सामान्यता 12 से 13 वर्षों की किशोरियों में 4-5 दिनों तक रक्त का स्राव होता है. जो 28 से 29 दिन के अंतराल पर होता है और 40 से 45 उम्र तक की महिलाओं में होती है. माहवारी को मासिक धर्म, पीरियड्स, ब्लीडिंग, एमसी आदि नामों से जाना जाता है. राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि कई परिवारों में लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है.

मंदिर जाने या पूजा करने की मनाही होती है. कुछ परिवारों में किशोरियों को खेलने-कूदने से लेकर खट्टी चीजें, आचार आदि को छूने से मना किया जाता है. ऐसी कुरीतियों को अब बदलने का समय आ गया है.

ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता
डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में तो आज भी यही स्थिति है. महिलाएं इस तरह के विषयों पर बात करने से हिचकिचाती हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे दिनों मे स्वच्छता के साथ ज्यादा पोषक तत्वों की भी अवश्यकता होती है. पीरियड्स के दिनों में पोषक तत्व ना लेने के कारण अधिकतर महिलाएं और किशोरियां एनीमिया से ग्रसित हो जाती हैं. इसलिए महिलाओं को इस तरह के संवेदनशील मुद्दों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है.

सदर अस्पताल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवृति मिश्रा ने बताया कि माहवारी के दौरान साफ-सफाई बेहद जरूरी है. एक ही कपड़े को बार-बार धोकर इस्तेमाल करने से उसमें जीवाणु हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. ऐसे में महिलाओं को सेनेट्री नेपकिन का इस्तेमाल करना चाहिए.

सूती कपड़े पहनना उपयुक्त
डॉ. प्रवृति मिश्रा ने बताया कि कई घंटों तक एक ही पैड को लगाए रखने से भी संवेदनशील अंगों पर इचिंग और सूजन हो सकती है. महिलाओं को ब्लड फ्लो के आधार पर तीन से चार बार पैड बदलना चाहिए. माहवारी के दिनों मे सूती कपड़े पहनना उपयुक्त होता है. महिलाओं मे चिड़चिड़ापन, थकान और पेट व कमर दर्द जैसी कई परेशानियां होती है. ऐसे में महिलाएं यदि गुनगुने पानी से नहाएं, तो शरीर स्वस्थ होने के साथ ही दर्द में आराम भी मिलेगा.

मधुबनी: पूरे विश्व में साल 2014 से 28 मई को “विश्व माहवारी और स्वच्छता दिवस” मनाया जाता है. इसको मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी गलत अवधारणा को दूर करना है. साथ ही महिलाओं और किशोरियों को माहवारी प्रबंधन संबंधी सही जानकारी देना है. महिलाओं और किशोरियों मे मासिक धर्म को लेकर फैली भ्रांतियां उनके गंभीर बीमारी की वजह है. माहवारी के मिथक और शर्म को तोड़ने के लिए पूरे विश्व में 28 मई को विश्व मासिक धर्म दिवस मनाया जाता है.

क्या है माहवारी
सामान्यता 12 से 13 वर्षों की किशोरियों में 4-5 दिनों तक रक्त का स्राव होता है. जो 28 से 29 दिन के अंतराल पर होता है और 40 से 45 उम्र तक की महिलाओं में होती है. माहवारी को मासिक धर्म, पीरियड्स, ब्लीडिंग, एमसी आदि नामों से जाना जाता है. राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि कई परिवारों में लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है.

मंदिर जाने या पूजा करने की मनाही होती है. कुछ परिवारों में किशोरियों को खेलने-कूदने से लेकर खट्टी चीजें, आचार आदि को छूने से मना किया जाता है. ऐसी कुरीतियों को अब बदलने का समय आ गया है.

ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता
डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में तो आज भी यही स्थिति है. महिलाएं इस तरह के विषयों पर बात करने से हिचकिचाती हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे दिनों मे स्वच्छता के साथ ज्यादा पोषक तत्वों की भी अवश्यकता होती है. पीरियड्स के दिनों में पोषक तत्व ना लेने के कारण अधिकतर महिलाएं और किशोरियां एनीमिया से ग्रसित हो जाती हैं. इसलिए महिलाओं को इस तरह के संवेदनशील मुद्दों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है.

सदर अस्पताल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवृति मिश्रा ने बताया कि माहवारी के दौरान साफ-सफाई बेहद जरूरी है. एक ही कपड़े को बार-बार धोकर इस्तेमाल करने से उसमें जीवाणु हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. ऐसे में महिलाओं को सेनेट्री नेपकिन का इस्तेमाल करना चाहिए.

सूती कपड़े पहनना उपयुक्त
डॉ. प्रवृति मिश्रा ने बताया कि कई घंटों तक एक ही पैड को लगाए रखने से भी संवेदनशील अंगों पर इचिंग और सूजन हो सकती है. महिलाओं को ब्लड फ्लो के आधार पर तीन से चार बार पैड बदलना चाहिए. माहवारी के दिनों मे सूती कपड़े पहनना उपयुक्त होता है. महिलाओं मे चिड़चिड़ापन, थकान और पेट व कमर दर्द जैसी कई परेशानियां होती है. ऐसे में महिलाएं यदि गुनगुने पानी से नहाएं, तो शरीर स्वस्थ होने के साथ ही दर्द में आराम भी मिलेगा.

Last Updated : May 28, 2020, 4:01 PM IST
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