मधुबनी : जिला समाहरणालय के सामने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक दिवसीय सामूहिक उपवास रखा. ये उपवास किसान और मजदूरों की मांगों को लेकर किया गया. किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए भाकपा कार्यकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए भाकपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने समेत कई मांगे की. इन मांगों में धान न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 प्रति क्विंटल खरीदने की गारंटी, धान खरीदी में हो रहे बिचौलियागिरी पर पाबंदी, बिजली बिल संशोधन बिल-2020 को वापस लेने, किसान विरोधी तीनो कृषि कानूनों को रद्द करना शामिल रहा.
दर्जनों कार्यकर्ताओं ने किया उपवास
इस एकदिवसीय उपवास कार्यक्रम में पार्टी जिला मंत्री मिथिलेश झा, बिहार महिला समाज के महासचिव राजश्री किरण, पार्टी राज्य परिषद सदस्य उपेंद्र सिंह, कृपानन्द आजाद, रामनारायण यादव, मनोज मिश्रा, लक्ष्मण चौधरी, सूर्यनारायण महतो समेत कई लोग शामिल हुए.
'लोकतंत्र के इतिहास में ये पहली घटना'
जिला मंत्री मिथिलेश झा ने कहा कि आज वैश्विक महामारी के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है. मजदूरों-किसानों की फसलों का न तो वाजिब मूल्य मिल रहा है और न ही उनके लिए बाजार की व्यवस्था सरकार कर रही है. लेकिन किसान विरोधी काला कानून लाकर सरकार खेती को एवं किसानों के उत्पाद को पूंजीपतियों कर हाथों बेचने की गहरी साजिश जरूर रच रही है.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली में आंदोलनरत किसानों की मांग पर अनदेखी कर रही है. देश के लोकतंत्र में पहली घटना है जब अन्नदाता सड़कों पर हैं. सरकार उनकी मांगों पर विचार करने के बजाय, उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है. सरकार कह रही है ये आन्दोलन कम्युनिस्टों का है. इस सामूहिक उपवास के माध्यम से जिला पदाधिकारी मधुबनी से भाकपा मांग करती है कि जिले के सभी पैक्सों में धान खरीदी में हो रहे मनमानी की जांच की जाए एवं किसानों को उचित मूल्य मिलने की गारंटी कि जाए.