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प्रवासी मजदूरों के बच्चों को फ्री में कराया जाएगा एडमिशन, जुलाई से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया - Dr. Ranjit Kumar Singh

कोरोना के इस दौर में लाखों प्रवासी मजदूर बिहार लौटे हैं. सरकार उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए कवायद शुरू कर दी है. मुफ्त में ऐसे सभी बच्चों की स्कूल में नामांकन की जाएगी.

बच्चे
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Published : Jun 5, 2020, 3:37 PM IST

मधुबनी: दूसरे प्रदेशों से लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार ने पहल की है. राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुफ्त में नामांकन के लिए योजना बना ली है. इन बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मिलेगी, सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में दाखिला होगा.

प्रदेश में लौटे लाखों प्रवासियों के बच्चों की सरकार सर्वे कराएगी. सभी बीईओ और डीईओ सूची तैयार कर शिक्षा विभाग को भेजेंगे. इसके आधार पर नामांकन को लेकर फैसला लिया जाएगा. जुलाई के पहले सप्ताह में दाखिला की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जल्द बैठक भी बुलाई है. बैठक के बाद रणनीति तैयार कर सभी डीईओ को आदेश जारी किया जाएगा.

'जुलाई से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया'
प्राथमिक शिक्षा के निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मिशन के तहत नामांकन करवाने की कार्य योजना बनाने में जुटा है. जुलाई के प्रथम सप्ताह से सरकारी स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. इसमें सभी प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुफ्त में नामांकन लिया जाएगा. सभी बच्चों को सरकार के तरफ से मिलने वाली छात्रवृति, पोशाक और अन्य योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा. योग्यता अनुसार बच्चों को वर्ग में दाखिला लिया जाएगा, जिससे बच्चों को सिलेबस समझने में कठिनाई नहीं हो.

'साढ़े 4 लाख बच्चों का पड़ेगा बोझ'
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में 20 लाख 70 हजार प्रवासी मजदूर कोरोना काल मे बिहार लौटे हैं, जिनमें 80 प्रतिशत मजदूर दोबारा दूसरे प्रदेश नहीं जाना चाहते हैं. ऐसे में उनके बच्चे शिक्षा से महरूम न रहे, इसको लेकर सरकार योजना बना रही है. अभी बिहार के सरकारी स्कूलों में लगभग पौने दो करोड़ बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन अब अनुमान लगाया जा रहा है कि साढ़े 4 लाख बच्चों का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

प्राइवेट स्कूलों ने भेजा प्रस्ताव

वहीं, शिक्षा विभाग के पास कई जिलों से प्राइवेट स्कूल संचालकों का भी प्रस्ताव पहुंच रहा है, जो अपने स्कूल में आरटीई के तहत 25 प्रतिशत कोटा में इन प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का मुफ्त में नामांकन लेना चाह रहे हैं. सरकार ने ऐसे निजी स्कूल संचालकों को नामांकन लेने की अनुमति दे दी है.

मधुबनी: दूसरे प्रदेशों से लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार ने पहल की है. राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुफ्त में नामांकन के लिए योजना बना ली है. इन बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मिलेगी, सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में दाखिला होगा.

प्रदेश में लौटे लाखों प्रवासियों के बच्चों की सरकार सर्वे कराएगी. सभी बीईओ और डीईओ सूची तैयार कर शिक्षा विभाग को भेजेंगे. इसके आधार पर नामांकन को लेकर फैसला लिया जाएगा. जुलाई के पहले सप्ताह में दाखिला की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जल्द बैठक भी बुलाई है. बैठक के बाद रणनीति तैयार कर सभी डीईओ को आदेश जारी किया जाएगा.

'जुलाई से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया'
प्राथमिक शिक्षा के निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मिशन के तहत नामांकन करवाने की कार्य योजना बनाने में जुटा है. जुलाई के प्रथम सप्ताह से सरकारी स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. इसमें सभी प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुफ्त में नामांकन लिया जाएगा. सभी बच्चों को सरकार के तरफ से मिलने वाली छात्रवृति, पोशाक और अन्य योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा. योग्यता अनुसार बच्चों को वर्ग में दाखिला लिया जाएगा, जिससे बच्चों को सिलेबस समझने में कठिनाई नहीं हो.

'साढ़े 4 लाख बच्चों का पड़ेगा बोझ'
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में 20 लाख 70 हजार प्रवासी मजदूर कोरोना काल मे बिहार लौटे हैं, जिनमें 80 प्रतिशत मजदूर दोबारा दूसरे प्रदेश नहीं जाना चाहते हैं. ऐसे में उनके बच्चे शिक्षा से महरूम न रहे, इसको लेकर सरकार योजना बना रही है. अभी बिहार के सरकारी स्कूलों में लगभग पौने दो करोड़ बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन अब अनुमान लगाया जा रहा है कि साढ़े 4 लाख बच्चों का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

प्राइवेट स्कूलों ने भेजा प्रस्ताव

वहीं, शिक्षा विभाग के पास कई जिलों से प्राइवेट स्कूल संचालकों का भी प्रस्ताव पहुंच रहा है, जो अपने स्कूल में आरटीई के तहत 25 प्रतिशत कोटा में इन प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का मुफ्त में नामांकन लेना चाह रहे हैं. सरकार ने ऐसे निजी स्कूल संचालकों को नामांकन लेने की अनुमति दे दी है.

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