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मधेपुराः क्वॉरेंटाइन सेंटर का वीडियो हुआ वायरल, प्रशासन के दावों की खुली पोल

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Published : May 12, 2020, 10:07 PM IST

क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने वाले लोगों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. लोगों का आरोप है कि उन्हें वक्त पर खाना नहीं मिल रहा है और अगर खाना मिल भी रहा है, तो वह खाने लायक नहीं है. ऐसे में वह 21 दिनों तक यहां कैसे रह पाएंगे. ऐसे में क्वॉरेंटाइन सेंटर की चाक-चौबंद व्यवस्था को बनाये रखना जिला प्रशासन की अहम जिम्मेदारियों में से एक है.

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मधेपुराः कोरोना वायरस के मद्देनजर पूरे देश में लॉक डाउन है. जिसकी वजह से कल कारखानों पर ताला लग चुका है. वहीं, रोजगार के साधन भी ठप हो चुके हैं. ऐसे में प्रवासी मजदूरों के लौटने का सिलसिला भी लगातार जारी है. सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से कोरोना संक्रमित मरीजों को पूरी व्यवस्था के साथ क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाना है. लेकिन मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड स्थित चंद्रमणि कन्या मध्य विद्यालय क्वॉरेंटाइन सेंटर से जुड़ी अनियमितता का एक वीडियो वायरल हो रहा है.

क्वॉरेंटाइन सेंटर का वीडियो हुआ वायरल
दरअसल जिले के मुरलीगंज प्रखंड स्तिथ चंद्रमणि कन्या मध्य विद्यालय में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे दर्जनों मजदूरों ने वक्त पर खाना न मिलने की शिकायत को लेकर जमकर हंगामा किया है. साथ ही प्रवासी मजदूरों ने इस पूरे मामले को लेकर एक वीडियो भी जारी किया है. जिसमें यह लोग चाय बनाने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. जिला प्रशासन की ओर से क्वॉरेंटाइन सेंटर में संदिग्ध मरीजों के रहने, खाने, सोने की व्यवस्था करने के खूब दावे किए गए थे. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रशासनिक व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए मजदूरों ने किया हंगामा
क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने वाले लोगों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. लोगों का आरोप है कि उन्हें वक्त पर खाना नहीं मिल रहा है और अगर खाना मिल भी रहा है, तो वह खाने लायक नहीं है. ऐसे में वह 21 दिनों तक यहां कैसे रह पाएंगे. ऐसे में क्वॉरेंटाइन सेंटर की चाक-चौबंद व्यवस्था को बनाये रखना जिला प्रशासन की अहम जिम्मेदारियों में से एक है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

मजदूर खोल रहे सरकारी दावों की पोल
फिलहाल मेहनत मजदूरी कर अपना घर चलाने वाले लोगों के पास अब खाने तक के पैसे नहीं बचे है. ऐसे में उन्हें जानवरों की तरह क्वॉरेंटाइन सेंटर में डाल दिया गया है. जहां उनके लिए खाने पीने की समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है. ऐसे में अब इस सेंटर में रहने वाले लोग सरकारी उदासीनता का शिकार हो रहे हैं. जिला प्रशासन को इसकी समीक्षा करने की सख्त जरूरत है, क्योंकि सरकारी दावों की पोल इस सेंटर में रहने वाले लोग ही खोलते नजर आ रहे हैं.

मधेपुराः कोरोना वायरस के मद्देनजर पूरे देश में लॉक डाउन है. जिसकी वजह से कल कारखानों पर ताला लग चुका है. वहीं, रोजगार के साधन भी ठप हो चुके हैं. ऐसे में प्रवासी मजदूरों के लौटने का सिलसिला भी लगातार जारी है. सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से कोरोना संक्रमित मरीजों को पूरी व्यवस्था के साथ क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाना है. लेकिन मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड स्थित चंद्रमणि कन्या मध्य विद्यालय क्वॉरेंटाइन सेंटर से जुड़ी अनियमितता का एक वीडियो वायरल हो रहा है.

क्वॉरेंटाइन सेंटर का वीडियो हुआ वायरल
दरअसल जिले के मुरलीगंज प्रखंड स्तिथ चंद्रमणि कन्या मध्य विद्यालय में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे दर्जनों मजदूरों ने वक्त पर खाना न मिलने की शिकायत को लेकर जमकर हंगामा किया है. साथ ही प्रवासी मजदूरों ने इस पूरे मामले को लेकर एक वीडियो भी जारी किया है. जिसमें यह लोग चाय बनाने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. जिला प्रशासन की ओर से क्वॉरेंटाइन सेंटर में संदिग्ध मरीजों के रहने, खाने, सोने की व्यवस्था करने के खूब दावे किए गए थे. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रशासनिक व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए मजदूरों ने किया हंगामा
क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने वाले लोगों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. लोगों का आरोप है कि उन्हें वक्त पर खाना नहीं मिल रहा है और अगर खाना मिल भी रहा है, तो वह खाने लायक नहीं है. ऐसे में वह 21 दिनों तक यहां कैसे रह पाएंगे. ऐसे में क्वॉरेंटाइन सेंटर की चाक-चौबंद व्यवस्था को बनाये रखना जिला प्रशासन की अहम जिम्मेदारियों में से एक है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

मजदूर खोल रहे सरकारी दावों की पोल
फिलहाल मेहनत मजदूरी कर अपना घर चलाने वाले लोगों के पास अब खाने तक के पैसे नहीं बचे है. ऐसे में उन्हें जानवरों की तरह क्वॉरेंटाइन सेंटर में डाल दिया गया है. जहां उनके लिए खाने पीने की समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है. ऐसे में अब इस सेंटर में रहने वाले लोग सरकारी उदासीनता का शिकार हो रहे हैं. जिला प्रशासन को इसकी समीक्षा करने की सख्त जरूरत है, क्योंकि सरकारी दावों की पोल इस सेंटर में रहने वाले लोग ही खोलते नजर आ रहे हैं.

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