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मधेपुरा: समर्थकों के साथ जनसंपर्क करने में जुटी सुभाषिनी यादव

बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सुभाषिनी यादव अपने चुनाव प्रचार में दिन-रात एक कर दी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि सुभाषिनी यादव अपने पिता शरद यादव से भी एक कदम आगे चल रही हैं.

आशिर्वाद लेती सुभाषनी यादव.
आशिर्वाद लेती सुभाषिनी यादव.
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Published : Oct 22, 2020, 2:21 PM IST

मधेपुरा: जिले के बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार और शरद की बेटी सुभाषिनी यादव सुदूर ग्रामीण इलाकों में समर्थकों के साथ बॉडीगार्ड के मोटरसाइकिल से रात दिन प्रचार प्रसार में जुटी हुई हैं. यह देखकर हर कोई अचंभित हो रहा है.

देखें रिपोर्ट.

दिन रात प्रचार-प्रसार में लगी हैं सुभाषिनी यादव
लोगों का कहना है कि महिला पुरूष से किसी क्षेत्र में कम नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने यह साबित कर दी हैं. बता दें कि मधेपुरा जिले के बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुभाषिनी यादव दिन रात सुदूर ग्रामीण इलाकों के कच्ची सड़कों पर उड़ती धूल के बीच समर्थकों के साथ अपने बॉडीगार्ड के मोटरसाइकिल पर बैठकर प्रचार-प्रसार में जुटी हुई नजर आ रही हैं.

धूप और गर्मी चल रहा है सुभाषिनी यादव का जनसंपर्क
सुभाषिनी यादव जो कभी कच्ची सड़क नहीं देखी और लग्जरी गाड़ी से नीचे नहीं उतरी होंगी. वह आज कच्ची सड़क के पगडंडी पर कभी कई किलोमीटर पैदल लगातार चलती रहती हैं, तो कभी मोटरसाइकिल से बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के तीनों प्रखंड के गांव गांव टोले टोले कड़ाके के धूप और गर्मी में दिन रात जनसंपर्क कर रही हैं. इसे देखकर जिले के हर दल के उम्मीदवार अचंभित हैं.

सत्ताधारी दल के उम्मीदवार भी हैं शिथिल
चुनाव जीतना और हारना अलग बात है, लेकिन एक महिला की इस जज्बे को देखर हर कोई कह सकता है कि अब महिला पुरूष से किसी भी कार्य या क्षेत्र में कम नही है. ताज्जुब की बात तो यह है कि सत्ताधारी दल के उम्मीदवार शिथिल दिख रहे हैं. उन्हें आशा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावे जैसे ही अन्य बड़े नेताओं की एक-एक सभा हो जाएगी उसी से उनकी जीत पक्की हो जाएगी. तो अभी क्षेत्र में प्रचार-प्रसार करके अपनी ताकत क्यों बर्बाद करें.

बड़े नेताओं के भरोसे नहीं हैं सुभाषिनी
आपको बता दें कि शरद यादव की बेटी बड़े नेताओं के भरोसे नहीं है. उनके पिता शरद यादव काफी बीमार हैं और महगठबंधन में तेजस्वी यादव के अलावे कोई और नेता जनाधार वाला है ही नहीं. ऐसे में शायद अपने बल पर फतह हासिल करने की जुगत में सुभाषिनी जुटी हुई है. हालांकि सुभाषिनी के प्रचार प्रसार को देखते हुए स्थानीय लोग भी संभावना व्यक्त कर रहे हैं कि वे चुनाव जीत भी सकतीं हैं.

मधेपुरा: जिले के बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार और शरद की बेटी सुभाषिनी यादव सुदूर ग्रामीण इलाकों में समर्थकों के साथ बॉडीगार्ड के मोटरसाइकिल से रात दिन प्रचार प्रसार में जुटी हुई हैं. यह देखकर हर कोई अचंभित हो रहा है.

देखें रिपोर्ट.

दिन रात प्रचार-प्रसार में लगी हैं सुभाषिनी यादव
लोगों का कहना है कि महिला पुरूष से किसी क्षेत्र में कम नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने यह साबित कर दी हैं. बता दें कि मधेपुरा जिले के बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुभाषिनी यादव दिन रात सुदूर ग्रामीण इलाकों के कच्ची सड़कों पर उड़ती धूल के बीच समर्थकों के साथ अपने बॉडीगार्ड के मोटरसाइकिल पर बैठकर प्रचार-प्रसार में जुटी हुई नजर आ रही हैं.

धूप और गर्मी चल रहा है सुभाषिनी यादव का जनसंपर्क
सुभाषिनी यादव जो कभी कच्ची सड़क नहीं देखी और लग्जरी गाड़ी से नीचे नहीं उतरी होंगी. वह आज कच्ची सड़क के पगडंडी पर कभी कई किलोमीटर पैदल लगातार चलती रहती हैं, तो कभी मोटरसाइकिल से बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के तीनों प्रखंड के गांव गांव टोले टोले कड़ाके के धूप और गर्मी में दिन रात जनसंपर्क कर रही हैं. इसे देखकर जिले के हर दल के उम्मीदवार अचंभित हैं.

सत्ताधारी दल के उम्मीदवार भी हैं शिथिल
चुनाव जीतना और हारना अलग बात है, लेकिन एक महिला की इस जज्बे को देखर हर कोई कह सकता है कि अब महिला पुरूष से किसी भी कार्य या क्षेत्र में कम नही है. ताज्जुब की बात तो यह है कि सत्ताधारी दल के उम्मीदवार शिथिल दिख रहे हैं. उन्हें आशा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावे जैसे ही अन्य बड़े नेताओं की एक-एक सभा हो जाएगी उसी से उनकी जीत पक्की हो जाएगी. तो अभी क्षेत्र में प्रचार-प्रसार करके अपनी ताकत क्यों बर्बाद करें.

बड़े नेताओं के भरोसे नहीं हैं सुभाषिनी
आपको बता दें कि शरद यादव की बेटी बड़े नेताओं के भरोसे नहीं है. उनके पिता शरद यादव काफी बीमार हैं और महगठबंधन में तेजस्वी यादव के अलावे कोई और नेता जनाधार वाला है ही नहीं. ऐसे में शायद अपने बल पर फतह हासिल करने की जुगत में सुभाषिनी जुटी हुई है. हालांकि सुभाषिनी के प्रचार प्रसार को देखते हुए स्थानीय लोग भी संभावना व्यक्त कर रहे हैं कि वे चुनाव जीत भी सकतीं हैं.

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