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मधेपुरा: कोरोना काल में श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन बना 'राहत की छत'

कोरोना की इस जंग में जब लोग खुद को सुरक्षित करने को लेकर पहले एहतियात बरत रहे हैं, वहीं मधेपुरा जिला के सिंघेश्वर में श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन कोरोना संक्रमितों के लिए इस काल में कोसी क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है. एक ही जगह कई सुविधाएं मिल जा रही हैं. पढ़ें खबर

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Published : May 15, 2021, 10:16 PM IST

मधुपेरा: ऑक्सीजन हो या खून की जरूरत, भोजन की बात हो या संक्रमितों के मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार निर्वहन की आवश्यकता सभी लोगों की मदद के लिए सेवा मिशन मददगार बना हुआ है. सेवा मिशन ने सौहगढ गांव के पास एक जमीन चिह्न्ति कर वहां सम्मान के साथ संक्रमितों के शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था की गई है.

श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन संस्थान के संस्थापक भास्कर कुमार निखिल बताते हैं कि 'सबके साथ सबके लिए' मूल मंत्र के साथ सभी की सहभागिता के साथ श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन एक सामाजिक और गैर राजनीतिक संगठन है जो मानवता, पर्यावरण, राष्ट्र और संस्कृति के लिए समर्पित है.

शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार
शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार

''कोरोना के इस काल में लोगों की जरूरतों के हिसाब से सेवाएं बढ़ती चलती गई और लोगों की सेवा में जुटे हैं. अप्रैल महीने में जब संक्रमितों को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी तब सेवा मिशन ने आठ सिलेंडर उपलब्ध कराकर संक्रमितों को ऑक्सीजन पहुंचाना प्रारंभ किया. इसके बाद आज उनके पास 25 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं, जो संक्रमितों के लिए 'प्राणवायु' दे रहे हैं.'' - भास्कर कुमार निखिल, संस्थापक, श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अब तक 250 से अधिक संक्रमितों को सेवा मिशन द्वारा नि:शुल्क ऑक्सीजन पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक कर रक्तदान करवाया जाता है और उन रक्त को जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया जा रहा है.

शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार
शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार

शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार
निखिल कहते हैं कि संक्रमितों की मौत के बाद जब उनके अंतिम संस्कार के लिए परेशानी बढ़ी, तब सेवा मिशन ने इसके लिए भी प्रबंध किए. सेवा मिशन को समाजसेवी अजय यादव ने नदी के किनारे तीन कट्ठे का एक प्लॉट दान में दे दिया और अब संक्रमितों की मौत के बाद उनके शवों को सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए सभी सामानों की आपूर्ति नि:शुल्क सेवा मिशन करती है.

''संक्रमितों की मौत के बाद गांव वाले भी उस परिवार से मुंह मोड लेते हैं, ऐसे में अंतिम यात्रा में कंधा देने वाले भी लोग नहीं मिलते हैं. सेवा मिशन द्वारा अब तक आठ से 10 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है.'' - अरविंद प्राणसुखका, संरक्षक, श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन

लोगों की सेवा करते श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन के सदस्य
लोगों की सेवा करते श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन के सदस्य

ऐसे करते है लोगों की मदद
संस्था के रक्त प्रबंधक सागर यादव कहते हैं कि कई जब लोग घरों में कैद हैं, ऐसे में सोशल मीडिया के द्वारा पता चलता है कि किसी पीड़ित को रक्त की आवश्यकता है, तो तुरंत ही मिशन के सदस्यों द्वारा इस पर पहल शुरू हो जाती है. पहले तो मरीज के परिवार के लोगों को जागरूक कर रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाता है. अगर परिवार में उपलब्ध नहीं हो पाता तो मिशन से जुड़े रक्तदानी स्वयंसेवक उपलब्ध कराने का प्रबंध करते हैं.

दिहाड़ी मजदूरों के सामने पहाड़ जैसी समस्या
निखिल कहते हैं कि सिंघेश्वर मंदिर परिसर में लोगों के लिए दोनों समय भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज लॉकडाउन के समय कई दिहाड़ी मजदूरों के अलावे प्रतिदिन कमाकर घर चलाने वालों के घरों में परेशानियां बढ़ गई हैं.

मदद से आज कई लोगों की जान बच गई
सिंघेश्वर के विधायक चंद्रहास चौपाल ने भी कोरोना काल में श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन संस्थान के किए गए कार्यो की तारीफ करते हुए कहते हैं कि इस कोरोना काल में कोसी क्षेत्र के लिए यह संस्था वरदान साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा मदद पहुंचाए जाने के कारण कई लोगों की जान बच गई है.

मधुपेरा: ऑक्सीजन हो या खून की जरूरत, भोजन की बात हो या संक्रमितों के मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार निर्वहन की आवश्यकता सभी लोगों की मदद के लिए सेवा मिशन मददगार बना हुआ है. सेवा मिशन ने सौहगढ गांव के पास एक जमीन चिह्न्ति कर वहां सम्मान के साथ संक्रमितों के शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था की गई है.

श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन संस्थान के संस्थापक भास्कर कुमार निखिल बताते हैं कि 'सबके साथ सबके लिए' मूल मंत्र के साथ सभी की सहभागिता के साथ श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन एक सामाजिक और गैर राजनीतिक संगठन है जो मानवता, पर्यावरण, राष्ट्र और संस्कृति के लिए समर्पित है.

शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार
शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार

''कोरोना के इस काल में लोगों की जरूरतों के हिसाब से सेवाएं बढ़ती चलती गई और लोगों की सेवा में जुटे हैं. अप्रैल महीने में जब संक्रमितों को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी तब सेवा मिशन ने आठ सिलेंडर उपलब्ध कराकर संक्रमितों को ऑक्सीजन पहुंचाना प्रारंभ किया. इसके बाद आज उनके पास 25 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं, जो संक्रमितों के लिए 'प्राणवायु' दे रहे हैं.'' - भास्कर कुमार निखिल, संस्थापक, श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अब तक 250 से अधिक संक्रमितों को सेवा मिशन द्वारा नि:शुल्क ऑक्सीजन पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक कर रक्तदान करवाया जाता है और उन रक्त को जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया जा रहा है.

शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार
शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार

शवों को सम्मान के साथ किया जा रहा अंतिम संस्कार
निखिल कहते हैं कि संक्रमितों की मौत के बाद जब उनके अंतिम संस्कार के लिए परेशानी बढ़ी, तब सेवा मिशन ने इसके लिए भी प्रबंध किए. सेवा मिशन को समाजसेवी अजय यादव ने नदी के किनारे तीन कट्ठे का एक प्लॉट दान में दे दिया और अब संक्रमितों की मौत के बाद उनके शवों को सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए सभी सामानों की आपूर्ति नि:शुल्क सेवा मिशन करती है.

''संक्रमितों की मौत के बाद गांव वाले भी उस परिवार से मुंह मोड लेते हैं, ऐसे में अंतिम यात्रा में कंधा देने वाले भी लोग नहीं मिलते हैं. सेवा मिशन द्वारा अब तक आठ से 10 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है.'' - अरविंद प्राणसुखका, संरक्षक, श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन

लोगों की सेवा करते श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन के सदस्य
लोगों की सेवा करते श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन के सदस्य

ऐसे करते है लोगों की मदद
संस्था के रक्त प्रबंधक सागर यादव कहते हैं कि कई जब लोग घरों में कैद हैं, ऐसे में सोशल मीडिया के द्वारा पता चलता है कि किसी पीड़ित को रक्त की आवश्यकता है, तो तुरंत ही मिशन के सदस्यों द्वारा इस पर पहल शुरू हो जाती है. पहले तो मरीज के परिवार के लोगों को जागरूक कर रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाता है. अगर परिवार में उपलब्ध नहीं हो पाता तो मिशन से जुड़े रक्तदानी स्वयंसेवक उपलब्ध कराने का प्रबंध करते हैं.

दिहाड़ी मजदूरों के सामने पहाड़ जैसी समस्या
निखिल कहते हैं कि सिंघेश्वर मंदिर परिसर में लोगों के लिए दोनों समय भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज लॉकडाउन के समय कई दिहाड़ी मजदूरों के अलावे प्रतिदिन कमाकर घर चलाने वालों के घरों में परेशानियां बढ़ गई हैं.

मदद से आज कई लोगों की जान बच गई
सिंघेश्वर के विधायक चंद्रहास चौपाल ने भी कोरोना काल में श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन संस्थान के किए गए कार्यो की तारीफ करते हुए कहते हैं कि इस कोरोना काल में कोसी क्षेत्र के लिए यह संस्था वरदान साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा मदद पहुंचाए जाने के कारण कई लोगों की जान बच गई है.

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