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मधेपुराः चाइनीज लाइट्स की जगमग में दीये बनाने वाले कुम्हारों के घरों में छा रहा अंधेरा! - madhepura

दीपावली रोशनी का त्यौहार है. इस अवसर पर पुराने समय से ही परंपरागत तरीके से मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया जाता रहा है, क्योंकि इन्हें शुद्ध माना जाता है. लेकिन हाल के दिनों में इसकी मांग घटी है.

रोजी-रोटी पर गहरा संकट
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Published : Oct 26, 2019, 10:28 AM IST

मधेपुराः दीपावली दीपों का त्योहार माना जाता है, जिसकी शुरूआत मिट्टी के दीये से हुई थी. लेकिन वर्तमान समय में चाइनीज झालरों ने इन दीयों से निकलने वाली रोशनी और कुम्हारों की रोजी-रोटी पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कुम्हारों के साथ-साथ यहां के कुम्हारों का दर्द भी एक जैसा है. माटी के दीये की रोशनी में कुम्हार आज भी अपना भविष्य तलाशते नजर आ रहे है.

कुम्हारों की रोजी-रोटी पर खड़ा संकट
लकड़ी की बनी चाक पर मिट्टी के गौंदे को अपने हाथों से दिए का आकार देते मधेपुरा जिले के तरवा घाट कुम्हार टोली के ये कुम्हार मानों दीए की शक्ल में अपने भविष्य को तरास रहे हो. हर साल की तरह इस साल भी इस गांव में रहकर अपना भरण-पोषण करने वाले दर्जनों कुम्हार परिवार इस उम्मीद में दीपावली की तैयारियों में जुटे हैं, जैसे मानों मिट्टी से बने ये दीये बाजारों तक पहुंच कर लोगों के घरों के साथ उनकी बदरंग जिंदगी को भी रोशन करेंगे. लेकिन वर्तमान समय में बाजारों में चाइनीज लाइटों की बिक्री ने उनके अंदर एक डर पैदा कर दिया है, क्योंकि आज के दौर में लोग अपनी परंपरा अपनी विरासत को दरकिनार कर चाइनीज झालरों की खरीदारी करने में खुद को सहज महसूस करने लगे है.

madhepura
दीया बनाता कुम्हार

ग्राहकों से आस लगाए बैठे किसान
वहीं सड़कों के किनारे गाड़ियों की तेज आवाज और उड़ती धूल के बीच कुम्हार अपने दिए को बेचने के लिए ग्राहकों की तरफ टकटकी लगाए बैठे है. उन्हें आज भी उम्मीद है की शायद लोगों को उनके दर्द का एहसास हो जाए. उनके दीये भी बिक जाएं ताकि वह भी अपने परिवार के साथ दीपावाली मना सकें.

चाइनीज झालरों ने खड़ा किया कुम्हारों के रोजी-रोटी पर गहरा संकट

मिट्टी के दीयों को माना जाता है शुद्ध
दीपावली रोशनी का त्यौहार है और पुराने समय से ही परंपरागत तरीके से मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया जाता रहा है और इन्हें शुद्ध माना जाता है. साथ ही मिट्टी के दीये से जुड़ी कई मान्यताएं भी सुनने को मिलती है. लेकिन शहरी चकाचौंध और आधुनिकता के कारण लोग भी इन दीयों के बजाय चाइनीज लाइट से घरों को जगमग कर रहे हैं.

मधेपुराः दीपावली दीपों का त्योहार माना जाता है, जिसकी शुरूआत मिट्टी के दीये से हुई थी. लेकिन वर्तमान समय में चाइनीज झालरों ने इन दीयों से निकलने वाली रोशनी और कुम्हारों की रोजी-रोटी पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कुम्हारों के साथ-साथ यहां के कुम्हारों का दर्द भी एक जैसा है. माटी के दीये की रोशनी में कुम्हार आज भी अपना भविष्य तलाशते नजर आ रहे है.

कुम्हारों की रोजी-रोटी पर खड़ा संकट
लकड़ी की बनी चाक पर मिट्टी के गौंदे को अपने हाथों से दिए का आकार देते मधेपुरा जिले के तरवा घाट कुम्हार टोली के ये कुम्हार मानों दीए की शक्ल में अपने भविष्य को तरास रहे हो. हर साल की तरह इस साल भी इस गांव में रहकर अपना भरण-पोषण करने वाले दर्जनों कुम्हार परिवार इस उम्मीद में दीपावली की तैयारियों में जुटे हैं, जैसे मानों मिट्टी से बने ये दीये बाजारों तक पहुंच कर लोगों के घरों के साथ उनकी बदरंग जिंदगी को भी रोशन करेंगे. लेकिन वर्तमान समय में बाजारों में चाइनीज लाइटों की बिक्री ने उनके अंदर एक डर पैदा कर दिया है, क्योंकि आज के दौर में लोग अपनी परंपरा अपनी विरासत को दरकिनार कर चाइनीज झालरों की खरीदारी करने में खुद को सहज महसूस करने लगे है.

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दीया बनाता कुम्हार

ग्राहकों से आस लगाए बैठे किसान
वहीं सड़कों के किनारे गाड़ियों की तेज आवाज और उड़ती धूल के बीच कुम्हार अपने दिए को बेचने के लिए ग्राहकों की तरफ टकटकी लगाए बैठे है. उन्हें आज भी उम्मीद है की शायद लोगों को उनके दर्द का एहसास हो जाए. उनके दीये भी बिक जाएं ताकि वह भी अपने परिवार के साथ दीपावाली मना सकें.

चाइनीज झालरों ने खड़ा किया कुम्हारों के रोजी-रोटी पर गहरा संकट

मिट्टी के दीयों को माना जाता है शुद्ध
दीपावली रोशनी का त्यौहार है और पुराने समय से ही परंपरागत तरीके से मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया जाता रहा है और इन्हें शुद्ध माना जाता है. साथ ही मिट्टी के दीये से जुड़ी कई मान्यताएं भी सुनने को मिलती है. लेकिन शहरी चकाचौंध और आधुनिकता के कारण लोग भी इन दीयों के बजाय चाइनीज लाइट से घरों को जगमग कर रहे हैं.

Intro:दीपावली यानी कि दीपों का त्योहार जिसकी शुरुआत मिट्टी के दीए से हुई थी।लेकिन वर्तमान समय में चाइनिज झालरों ने इन दियों से निकलने वाली रोशनी और कुम्हारों की रोजी-रोटी पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है। देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कुम्हारों के साथ-साथ मधेपुरा जिले के कुम्हारों का दर्द भी एक जैसा है।माटी के दीए की रोशनी में कुम्हार आज भी अपना भविष्य तलाशते नजर आ रहे हैं, ग्राहकों की तरफ टकटकी लगाए आंखों से बस एक ही दर्द छलकता है कि साहब हमारे लिए भी दिए खरीद लो,ज़रा हम भी दिवाली मना ले।


Body:लकड़ी की बनी चाक पर मिट्टी के गौंदे को अपने हाथों से दिए का आकार देते मधेपुरा जिले के तरवा घाट कुम्हार टोली के ये कुम्हार मानों दिए कि शक्ल में अपने भविष्य को तरास रहें हों। हर साल की तरह इस साल भी इस गांव में रहकर अपना भरण-पोषण करने वाले दर्जनों कुम्हार परिवार इस उम्मीद में दीपावली की तैयारियों में जुटे हैं जैसे मानो मिट्टी से बने ये दिए बाजारों तक पहुंच कर लोगों के घरों के साथ उनकी बदरंग जिंदगी को भी रोशन करेंगे।लेकिन वर्तमान समय में बाजारों में चाइनीज लाइटों की बिक्री ने उनके अंदर एक अंजाना सा डर पैदा कर दिया है। क्योंकि आज के दौर में लोग अपनी परंपरा अपनी विरासत को दरकिनार कर चाइनीज झालरों की खरीदारी करने में खुद को सहज महसूस करने लगे हैं। सड़कों के किनारे गाड़ियों की तेज आवाज और उड़ती धूल के बीच अपने दिए को बेचने के लिए बैठे ये कुम्हार ग्राहकों की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं उन्हें आज भी उम्मीद है की शायद लोगों को उनके दर्द का एहसास हो जाए। उनके दिए भी बिक जाएं ताकि वह भी अपने परिवार के साथ दिवाली मना सकें। दीपावली रोशनी का त्यौहार है पुराने समय से ही परंपरागत तरीके से मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया जाता रहा है,इन्हें शुद्ध माना जाता है।साथ ही मिट्टी के दिए से जुड़ी कई मान्यताएं भी सुनने को मिलती हैं।लेकिन शहरी चकाचौंध और आधुनिक जीवनशैली ने लोगों की मानसिकता को बदल दिया है।ऐसे में इन कुम्हारों का दर्द आख़िर कौन सुनेगा।चाइनीज लाइटो ने बाजार में इस कदर अपना पैर का पसारा है कि कुम्हारों के लिए अब कोई जगह तक नहीं बची।


Conclusion:वर्तमान समय की परिस्थितियों ने दीपावली से जुड़ी पुरानी परंपराओं को धूमिल कर दिया है। मिट्टी के दिए और मिट्टी से बने बर्तन अब विलुप्त होते जा रहे हैं।ऐसे में भारत देश और मधेपुरा जिले के कुम्हार परिवारों की उम्मीदें भी टूटने लगी है क्योंकि उनके दिए नहीं बिकेंगे तो इस बार भी उनकी दिवाली नहीं मनेगी।

बाईट1
नागेन्द्र पंडित

बाईट2
शिव नारायण पंडित

बाईट3
भूखनी देवी

बाईट4
दिनेश पंडित

बाईट5
पप्पू कुमार-ग्राहक

बाईट6
प्रहलाद गुप्ता-ग्राहक

वाक थ्रू
गौरव तिवारी-मधेपुरा
8271071503
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