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मधेपुरा: टांय-टांय फिस्स पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट स्कीम, ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर

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Published : Jun 9, 2019, 3:05 PM IST

गरीब तबके के लोगों को मुफ्त में शौचालय उपलब्ध कराना था. जिसके लिए नगर परिषद ने साल 2017 में 4 करोड़ 41 लाख रुपये की लागत से पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट की खरीदी की. लेकिन, टेक्नीशियन के नहीं आने के कारण ये अब तक चालू नहीं हो सका है.

पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट

मधेपुरा: पीएम मोदी का स्वच्छ भारत मिशन जिले में फेल होता दिख रहा है. दरअसल, ग्रामीणों के लिए बनी पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट स्कीम यहां लाई तो गई लेकिन अब तक वह शुरू नहीं हुई है. करोड़ों की लागत में बने शौचालय जस के तस हैं. वहीं, कुछ लोगों ने दावा किया है कि इसके पीछे धांधली का खेल चल रहा है.

दरअसल, मधेपुरा नगर परिषद में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत गरीब तबके के लोगों को मुफ्त में शौचालय उपलब्ध कराना था. जिसके लिए नगर परिषद ने साल 2017 में 4 करोड़ 41 लाख रुपये की लागत से पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट की खरीदी की गई. वहीं, 2018 में करीब 900 लाभार्थी की सूची बनाकर इसे वितरित कर दिया गया. लेकिन, आजतक ये शौचालय टेक्नीशियन के नहीं आने के कारण चालू नहीं हो सका है और न ही सरकारी स्तर पर इसकी प्रोत्साहित राशि लाभार्थी को मिली है. जिससे ग्रामीण नाराज हैं.

करोड़ों की लागत से बना शौचालय अबतक नहीं हो पाया है चालू

खुद के पैसे से करवा रहे काम ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि वे वोट देकर सरकार बनाए फिर भी उनके घर में शौचालय नहीं है. जिस कारण ग्रामीणों के में नाराजगी देखने को मिल रही है. यहां ग्रामीण खुले में शौच करने पर मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में शौचालय को चालू कराने के लिए खुद के पैसे से काम करवाना पड़ा. लेकिन, ज्यादा पैसे नहीं होने के कारण काम पूरा नहीं हो सका.

सरकारी काम में हो रहा घोटाला- पार्षद
नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड पार्षद मनीष कुमार का कहना है कि नगर परिषद लूट का अड्डा है. यहां एक भी योजना का लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता है. उन्होंने कहा कि यहां घोटाला ही घोटाला होता रहता है. हाल ही में स्ट्रीट लाइट, एनजीओ और नल जल योजनाओं में घोटाले हो रहे हैं. यहां सारा काम गोपनीयता होता है. जिससे किसी को कोई जानकारी नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत वरीय अधिकारी को की गई है. जल्द ही इसकी जांच की जाएगी.

मधेपुरा: पीएम मोदी का स्वच्छ भारत मिशन जिले में फेल होता दिख रहा है. दरअसल, ग्रामीणों के लिए बनी पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट स्कीम यहां लाई तो गई लेकिन अब तक वह शुरू नहीं हुई है. करोड़ों की लागत में बने शौचालय जस के तस हैं. वहीं, कुछ लोगों ने दावा किया है कि इसके पीछे धांधली का खेल चल रहा है.

दरअसल, मधेपुरा नगर परिषद में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत गरीब तबके के लोगों को मुफ्त में शौचालय उपलब्ध कराना था. जिसके लिए नगर परिषद ने साल 2017 में 4 करोड़ 41 लाख रुपये की लागत से पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट की खरीदी की गई. वहीं, 2018 में करीब 900 लाभार्थी की सूची बनाकर इसे वितरित कर दिया गया. लेकिन, आजतक ये शौचालय टेक्नीशियन के नहीं आने के कारण चालू नहीं हो सका है और न ही सरकारी स्तर पर इसकी प्रोत्साहित राशि लाभार्थी को मिली है. जिससे ग्रामीण नाराज हैं.

करोड़ों की लागत से बना शौचालय अबतक नहीं हो पाया है चालू

खुद के पैसे से करवा रहे काम ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि वे वोट देकर सरकार बनाए फिर भी उनके घर में शौचालय नहीं है. जिस कारण ग्रामीणों के में नाराजगी देखने को मिल रही है. यहां ग्रामीण खुले में शौच करने पर मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में शौचालय को चालू कराने के लिए खुद के पैसे से काम करवाना पड़ा. लेकिन, ज्यादा पैसे नहीं होने के कारण काम पूरा नहीं हो सका.

सरकारी काम में हो रहा घोटाला- पार्षद
नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड पार्षद मनीष कुमार का कहना है कि नगर परिषद लूट का अड्डा है. यहां एक भी योजना का लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता है. उन्होंने कहा कि यहां घोटाला ही घोटाला होता रहता है. हाल ही में स्ट्रीट लाइट, एनजीओ और नल जल योजनाओं में घोटाले हो रहे हैं. यहां सारा काम गोपनीयता होता है. जिससे किसी को कोई जानकारी नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत वरीय अधिकारी को की गई है. जल्द ही इसकी जांच की जाएगी.

Intro:मधेपुरा का नगर परिषद क्षेत्र सरकार की उदासीन रवैये के चलते मनमानी और लूट खसौट का अड्डा बनकर रह गया है।जिसके कारण करोड़ों रुपये विभिन्न योजनाओं में खर्च करने के बावजूट भी लोगों कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है।। सर यह खबर नहीं लगी है इसलिए दुबारा भेज रहे हैं।


Body:मधेपुरा नगर परिषद में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत खासकर गरीब तबके के लोगों को मुफ्त में शौचालय उपलब्ध कराने के लिए नगर परिषद के द्वारा पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट की खरीद 4 करोड़ 41 लाख रुपये की लागत से 2017 में ही की गई।इसके बाद दिसंबर 2018 में 900 लाभार्थी की सूची बनाकर वितरित भी किया गया।हैरत की बात यह है कि अधिकारियों द्वारा शौचालय का उपकरण लाभार्थियों के बीच वितरीत तो कर दिया गया,लेकिन आज तक टेक्नीशियन को भेजकर न ही उपकरण को लगाया न ही लगाने हेतु नियमानुसार सरकारी स्तर पर मिलने बाली प्रोत्साहन राशि ही लाभार्थी को दिया।जिसके कारण पोर्टेबल बॉयो टॉयलेट लाभार्थियों के घर पर यत्र तत्र लावारिस हालत में बिखरे पड़े हैं।जबकि नियमानुसार सभी लाभार्थी के घर में शौचालय के उपकरण को स्थापित कर चालू करके देना था।लेकिन अधिकारी लाभार्थी के घर पर उपकरण को लावारिश हालत में फेंकवा दिया और राशि की निकासी कर बंदर बांट कर डकार गये।नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड पार्षद मनीष कुमार का कहना है नगर परिषद लूट का अड्डा है यहां एक भी योजना का लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाता है, रास्ते में ही अधिकारी व मुख्य पार्षद लूट खसौट कर डकार जाता है।इसलिए गहन छान बीन कर दोषी अधिकारियों पर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए।पीड़ित लाभार्थी का कहना है कि वे वोट देकर सरकार बनाए फिर भी उनके घर में शौचालय नहीं रहने से काफी परेशानी हो रही है खुले में दूसरे के खेत में शौच आदि करने जाना पड़ता है।इस दौरान मनचलों का कोप भाजन भी बनना पड़ता है।अपने घर में तत्र तत्र बिखरे शौचालय के उपकरण को देखकर आहत रहते हैं कि कब इनके घर में भी शौचालय बनेगा। बाइट--1---2--पीड़ित लाभार्थी।-बाइट----3-------मनीष कुमार----वार्ड पार्षद नगर परिषद मधेपुरा।


Conclusion:अब देखना दिलचस्प होगा कि कब तक जांच कर उचित कार्रवाई होती है।सर ये खबर नहीं लगी है इसलिए दुबारा भेज रहा हूं।
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