मधेपुरा: जिले के बाढ़ प्रभावित प्रखंड आलमनगर और चौसा में पीड़ितों की परेशानी काफी बढ़ी हुई है. इन लोगों के लिए सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं रहने से लोग प्राइवेट नाव में जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं. ये नाव चालक क्षमता से अधिक लोगों की सवारी करवाते हैं. जिससे किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है.
बता दें कि इस तरह से नाव में क्षमता से अधिक सवारी लेकर चलने की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को है, लेकिन वो कुछ भी नहीं करते. उनक तरफ से किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं की जाती है या किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होती है. वहीं, लोग मजबूरी में नाव की सवारी करते हैं.
'हादसे का इंतजार कर रहे अधिकारी'
बाढ़ पीड़ित ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि नाव की व्यवस्था की मांग करते-करते हम सभी थक चुके हैं. लेकिन सरकारी अधिकारियों की ओर से सिर्फ आश्वासन दिया जाता है. अधिकारियों की लापरवाही और मूकदर्शक बने रहने से लगता है कि वो सभी किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं.
लोगों ने बताया कि एनएच बन जाने से उनलोगों के आवागमन की समस्या काफी हद तक दूर हो जाती. जबतक एनएच नहीं बना है तबतक गांव से मुख्यालय जाने आने का एक मात्र साधन नाव है. साथ ही लोगों ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि कोरोना के डर से वो सभी बाढ़ पीड़ितों की समस्या देखने और सुनने तक नहीं आ रहे हैं.