मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा (Madhepura) में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाली की दौर से गुजर रही है. इसका जीता जागता उदाहरण मुरलीगंज प्रखंड के रतनपट्टी गांव स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र है. सालों से चिकित्सक, कर्मी और उचित दवा के अभाव में ये स्वास्थ्य उपकेंद्र खंडहर में तब्दील हो गया है.
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हकीकत दावों से कोसों दूर
भले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य सेवा में आमूलचूल परिवर्तन और मुकम्मल व्यवस्था होने का ढोल पिट रहे हैं, लेकिन हकीकत दावों से कोसों दूर नजर आ रही है.
मधेपुरा जिले के लोग, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित स्वास्थ्य उपकेंद्र चिकित्सक, कर्मियों और उचित दवा नहीं रहने के कारण बदहाल अवस्था में है और ग्रामीणों को मुंह चिढ़ा रहा है.
''इस स्वास्थ्य उप केंद्र में 90 के दशक में चौबीसों घंटे दवा और चिकित्सक की व्यवस्था थी. लोगों को साधारण इलाज और दवा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता था, लेकिन पिछले 11 साल से स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ है. ना ही स्थायी रूप से कभी चिकित्सक आते हैं और ना ही अन्य कर्मी यहां आते हैं. चिकित्सक और दवा के बजाय स्वास्थ्य केंद्र के गेट पर लटके हुए ताले को देखकर ही संतोष करना पर रहा है.''- नंदन कुमार, ग्रामीण
''स्वास्थ्य सेवा के नाम पर सिर्फ एक एएनएम (ANM) गांव में आती हैं और पहले से निर्धारित टीकाकरण केंद्र पर नियमित टीकाकरण करके चली जाती है, लेकिन स्वास्थ्य उप केंद्र में चिकित्सक और अन्य कर्मी नहीं आते हैं, जिसके कारण साधारण इलाज के लिए भी लोगों को बाहर ही जाना पड़ता है.''- ब्रजेश यादव, स्थानीय सरपंच
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खस्ता स्वास्थ्य व्यवस्था
हम कह सकते हैं कि ये स्वास्थ्य उपकेंद्र गांव में शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं खुलने के कारण स्थानीय लोगों में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रति भारी आक्रोश देखा जा रहा है.