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मधेपुरा: कोसी के कटाव का दंश झेल रहे सैकड़ों परिवार, झोपड़ी बनाकर रहने को हैं मजबूर

कटाव में अपना सब कुछ गवां देने के बाद अब इन परिवारों के पास न तो खेती के लिए अपनी जमीन बची है और ना ही रोजगार के लिए कोई साधन. दूसरी तरफ आपातकाल की स्थिति में इनके इलाज के लिए दूर-दूर तक कोई सरकारी अस्पताल की भी व्यवस्था नहीं की गई है.

families  facing problem of  Kosi's erosion in madhepura
वर्षों से कोसी के कटाव का दंश झेल रहा सैकड़ों परिवार
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Published : Dec 15, 2019, 1:01 PM IST

Updated : Dec 15, 2019, 3:10 PM IST

मधेपुरा: जिले से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर आलमनगर चौसा पुरैनी का इलाका वर्षों से कोसी के कटाव का दंश झेल रहा है. बीते दो दशकों में हजारों लोग कटाव के कारण मजबूर होकर यहां से विस्थापित हुए हैं. लेकिन सरकार और जिला प्रशासन उन्हें आज तक दोबारा नहीं बसा पाई है. सरकार और जिला प्रशासन के हर दावे से हटकर ये लोग सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं.

कई समस्याओं से जूझ रहा सैकड़ों परिवार
आलमनगर के कपासिया, खापुर और रतवारा के सैकड़ों परिवार बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. 22 वर्षों से यहां के लोग अपने पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं. सीमांचल में कोसी के विकराल रूप ने बिहार की राजनीति में दस्तक दी. लेकिन बदलते वक्त के साथ यह मुद्दा भी शांत हो गया. इन इलाकों में रहने वाले लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी अस्पताल की नहीं है व्यवस्था
कटाव में अपना सब कुछ गवां देने के बाद अब इन परिवारों के पास न तो खेती के लिए अपनी जमीन बची है और ना ही रोजगार के लिए कोई साधन है. दूसरी तरफ आपातकाल की स्थिति में इनके इलाज के लिए दूर-दूर तक कोई सरकारी अस्पताल की भी व्यवस्था नहीं की गई है. जिसकी वजह से कई बार रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देते हैं. ऐसे में अब यहां के लोगों की उम्मीदें सरकारी सिस्टम से टूटने लगे हैं.

families  facing problem of  Kosi's erosion in madhepura
ग्रामीण

ये भी पढ़ें: नीतीश से मिले pk, कहा- CAB से दिक्कत नहीं, NRC से जुड़ने के बाद खतरनाक

धरातल तक नहीं पहुंची योजना
आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो वर्ष 2008-9 में 144 विस्थापित परिवारों को पुनर्वास देने के लिए राज्य सरकार की तरफ से 4 एकड़ 42 डिसमिल जमीन के लिए 2 करोड़ 70 लाख 97 हजार 600 रुपये दिए गए थे. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल तक नहीं पहुंच पाई है. वहीं अब तक पूर्ण रूप से जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया तक पूरी नहीं की जा सकी है.

मधेपुरा: जिले से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर आलमनगर चौसा पुरैनी का इलाका वर्षों से कोसी के कटाव का दंश झेल रहा है. बीते दो दशकों में हजारों लोग कटाव के कारण मजबूर होकर यहां से विस्थापित हुए हैं. लेकिन सरकार और जिला प्रशासन उन्हें आज तक दोबारा नहीं बसा पाई है. सरकार और जिला प्रशासन के हर दावे से हटकर ये लोग सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं.

कई समस्याओं से जूझ रहा सैकड़ों परिवार
आलमनगर के कपासिया, खापुर और रतवारा के सैकड़ों परिवार बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. 22 वर्षों से यहां के लोग अपने पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं. सीमांचल में कोसी के विकराल रूप ने बिहार की राजनीति में दस्तक दी. लेकिन बदलते वक्त के साथ यह मुद्दा भी शांत हो गया. इन इलाकों में रहने वाले लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकारी अस्पताल की नहीं है व्यवस्था
कटाव में अपना सब कुछ गवां देने के बाद अब इन परिवारों के पास न तो खेती के लिए अपनी जमीन बची है और ना ही रोजगार के लिए कोई साधन है. दूसरी तरफ आपातकाल की स्थिति में इनके इलाज के लिए दूर-दूर तक कोई सरकारी अस्पताल की भी व्यवस्था नहीं की गई है. जिसकी वजह से कई बार रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देते हैं. ऐसे में अब यहां के लोगों की उम्मीदें सरकारी सिस्टम से टूटने लगे हैं.

families  facing problem of  Kosi's erosion in madhepura
ग्रामीण

ये भी पढ़ें: नीतीश से मिले pk, कहा- CAB से दिक्कत नहीं, NRC से जुड़ने के बाद खतरनाक

धरातल तक नहीं पहुंची योजना
आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो वर्ष 2008-9 में 144 विस्थापित परिवारों को पुनर्वास देने के लिए राज्य सरकार की तरफ से 4 एकड़ 42 डिसमिल जमीन के लिए 2 करोड़ 70 लाख 97 हजार 600 रुपये दिए गए थे. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल तक नहीं पहुंच पाई है. वहीं अब तक पूर्ण रूप से जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया तक पूरी नहीं की जा सकी है.

Intro:यहां जीवन आसान नहीं... बारिश में पानी और सुखार में धूल... न चलने के लिए सड़क और बुनियादी सुविधाएं का घोर अभाव। लेकिन फिर भी लोग यहां रहते हैं।यह दर्द उन लोगों का है जो बिहार की राजधानी पटना से तकरीबन 280 किलोमीटर दूर मधेपुरा जिले के कोसी दियारा क्षेत्र के कटाव पीड़ितों का।जो लगभग 22 वर्षों से अपने पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं। सरकार और जिला प्रशासन के हर दावे से हटकर ये लोग या तो सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं या फिर भाड़े की जमीन पर।


Body:दरअसल मधेपुरा जिले से लगभह 70 किलोमीटर की दूरी पर आलमनगर, चौसा पुरैनी का इलाका वर्षों से कोसी के कटाव का दंश झेलते रहा है। बीते दो दशकों में हजारों लोग कटाव के कारण मजबूर होकर विस्थापित हुए। लेकिन सरकार और जिला प्रशासन उन्हें आज तक दुबारा नही बसा पाई है।आलमनगर के कपासिया,खापुर और रतवारा के सैकड़ों परिवार बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं। सीमांचल में कोसी के विकराल रूप ने बिहार की राजनीति में दस्तक दी लेकिन बदलते वक्त के साथ या मुद्दा भी शांत हो गया। इन इलाकों में रहने वाले लोग शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कटाव में अपना सब कुछ गवा देने के बाद अब इन परिवारों के पास मैं तो खेती के लिए अपनी जमीन बची है और ना ही रोजगार के लिए कोई साधन। वहीं दूसरी तरफ आपातकाल की स्थिति में इनके इलाज के लिए भी दूर दूर तक कोई भी सरकारी व्यवस्था नहीं की गई है जिसकी वजह से कई बार रास्ते में हैं मरीज दम तोड़ देते हैं। ऐसे में अब यहां के लोगों की उम्मीदें अब सरकारी सिस्टम से टूटने लगे हैं।




Conclusion:वही आपदा प्रबंधन विभाग की माने तो वर्ष 2008-9 में 144 विस्थापित परिवार को पुनर्वास देने के लिए राज्य सरकार की तरफ से 4 एकड़ 42 डिसमिल जमीन के लिए 2 करोड़ 70 लाख 97600 रुपए दिए गए थे। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल तक नहीं पहुंच पाई है।अभी पूर्ण रूप से जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया तक पूरी नहीं की जा सकी है,ताकि पुनर्वास योजना का लाभ इन लोगों को दिलाया जा सके।


(नोट-डेस्क कृपया ध्यान दें, नीचे दी हुई बाईट नेम वीडियो फ़ाइल में सीक्वेंस वाइज है)

बाईट
1.विपिन कुमार- विस्थापित
2.शत्रुघ्न कुमार
3. आनंदी मंडल
4. चंदन देवी
5. मंजू देवी
6.घोलटी शर्मा
7.प्रवेश कुमार
8.महेंद्र शर्मा
9. मीरा देवी
10. गजेंद्र शर्मा- विस्थापित
Last Updated : Dec 15, 2019, 3:10 PM IST
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