मधेपुरा: जिले के साहूगढ़ गांव में भव्य दुर्गा पूजा मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले की शुरूआत आजादी के पूर्व अंग्रेजों ने 5 रुपये 70 पैसे दान कर की थी. उसी दिन से यहां भव्य दुर्गा पूजा मेले का आयोजन किया जा रहा है.
जानकारों ने बताया कि अंग्रेजों ने यहां के धार्मिक महत्व को देखते हुए, दान देकर दुर्गा पूजा की शुरूआत कराई थी. श्रद्धालुओं का मानना है कि अगर यहां कोई सच्चे मन से मन्नत मांगता है तो वह जरूर पूरी होती है. इलाके के लोगों ने बताया कि यहां बिहार के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी लोग मनोकामना मांगने आते हैं. बता दें कि इस मेले में शहर के अलावा काफी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ भी उमड़ती है. यहां वह पूजा अर्चना कर मां से मनोकामना मांगते हैं.
कई चीजों पर है पाबंदी
इलाके के लोगों ने बताया कि इस मेले में अश्लील गाने बजाने पर पूरी तरह से पाबंदी रहती है. इसके अलावा मेले में डांस, तमाशा, महिलाओं और लड़कियों के नाचने पर भी रोक है. लोगों ने बताया कि यहां मनोरंजन के नाम पर सिर्फ भक्ति गीत बजाए जाते हैं. इसके अलावा मेले में भव्य सत्संग का आयोजन भी किया जाता है.
बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर
इलाके के लोगों ने बताया कि इस मेले में खर्च होने वाली राशि का वहन पंचायत के लोगों के जरिए दिए जाने वाले चंदे से किया जाता है. लोगों ने बताया कि यहां पर बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर बनाया गया है. जो अपने आप में मनमोहक लगता है. मंदिर के आसपास के लोग बताते हैं कि यहां किसी भी जानवर की बली नहीं दी जाती है. जिस किसी पशुपालक की मनोकामना पूरी होती है. वह पशु को बेचकर मिलने वाले पैसे को मंदिर में दान कर देता है.