मधेपुरा: प्रदेश में शराबबंदी के लगभग 3 साल बीतने को हैं. लेकिन सूबे में शराबबंदी कितनी कारगार रही. इस बात की पोल सरकारी आंकड़े ही खोल देते हैं. ताजा मामला जिले का है जहां सुदूर ग्रामीण इलाके के लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी से शराब का निर्माण कर धड़ल्ले से इसका सेवन कर रहें हैं.
तेजी से फल-फूल रहा कारोबार
जिले के दूर-सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी से देशी शराब का निर्माण कर बेखौफ होकर इसका सेवन भी करते है. बताया जाता है कि इस देशी कारखाने में निर्मीत शराब का सेवन न केवल ग्रामीण इलाके के लोग बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी खुलेआम डोर-टू-डोर डिलेवरी होता है. हालांकि इस दौरान तस्कर कई बार शराब के साथ गिरफ्तार भी हुए, लेकिन बेल पर छुटने के बाद वे लोग फिर से अपने धंधे मे जुट जाते है. जिससे यह कारोबार रुकने के बजाय दिन प्रतिदिन और तेजी से फल-फूल रहा है.
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'शराब सेवन के बाद बिमारियों से मर रहे लोग'
इस, बाबत स्थानीय समाजसेवक ध्यानी यादव और राजीव जोशी का कहना है कि जिस तरह इलाके में असुरक्षित तरीके से देशी शराब का निर्माण हो रहा है. उससे पूरा क्षेत्र जल्द ही बिमारियो से ग्रसित हो जाएगा. इस शराब का सेवन अधिकांश गरिब और अनपढ़ लोग करते है. जिस वजह से वे खुद मौत के मुंह समा रहे है.
ऐसे बनाई जाती है जहरीली शराब
नाम नहीं छापने के शर्त पर इस कारोबार से जुड़े एक शख्श ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि इस शराब को बनाने में एसिड, यूरिया, बासी चावल और जंगली चूर्ण का इस्तेमाल कियी जाता है.
कुत्ते के शौच का भी किया जाता है इस्तेमाल
बताया जाता है कि इस शराब को ज्यादा नशीला बनाने के लिए कभी-कभी इसमें कुत्ते का शौच और ऑक्सीटोसिन का भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं ज्यादा ऑक्सीटोसिन की मात्रा हो जाने पर यह शराब जहरीली हो जाती है. जिससे इसका सेवन करने वाले लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते है.
जगह-जगह हो रही छापेमारी- एसपी
इस मामले पर जिले के एसपी संजय कुमार का कहना है कि गुप्त सूचना के आधार पर कई जगहों पर छापेमारी की जा रही है. इस निर्माण में जुटे कई शराब तस्करों को जेल भी भेजा जा चुका है. मामले का मैं खुद से मॉनिटरिंग कर रहा हूं. जिले में हर हाल में पूर्ण शराब बंदी को लागू किया जाएगा.
कैसे होती है मौत
कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे केमिकल पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोल्हल बन जाता है. जिस वजह से इसका सेवन करने वाले लोगों की मौत हो जाती है. मिथाइल शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज होता है. इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं. इसकी वजह से कई बार तुरंत मौत हो जाती है. कुछ लोगों में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है.